बेलसोनिका यूनियन ने प्रदर्शन कर राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन
उदारीकरण-निजीकरण-वैश्वीकरण की पूँजीपरस्त नीतियों को रद्द करने की माँग की
गुडगाँव, 5 अगस्त। को बेलसोनिका यूनियन द्वारा कोरोना महामारी की आड़ में मज़दूर वर्ग पर किये जा रहे हमलों के विरोध में लघु सचिवालय (गुड़गांव) पर विरोध प्रदर्शन कर उपायुक्त गुड़गांव के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा और मज़दूर विरोधी श्रम सुधारों को रोकने सहित कई मांगें उठाई।
बेलसोनिक ऑटो कंपोनेंट इंडिया एम्पलाइज यूनियन द्वारा भेजे गए ज्ञापन में लिखा है कि कोविड-19 महामारी की आड़ में सरकार तथा पूंजीपति वर्ग के गठजोड़ ने मजदूर मेहनतकश जनता पर हमला बोल दिया है। सरकार मजदूर मेहनत का जनता के पैसे से खड़े किए गए सार्वजनिक संस्थानों को निजी हाथों में ओने पौने दामों पर बेचने पर उतारू है। भाजपा सरकार ने उदारीकरण निजीकरण के रथ को तेज गति से दौड़ाना शुरू कर दिया है।
सरकार द्वारा जनता के प्रयोग में आने वाली चीजों जैसे रेलवे, परिवहन, कोयला खनन, बिजली विभाग, देश की रक्षा के लिए हथियार बनाने वाली सरकारी संस्थानों को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है और इनमें काम करने वाले श्रमिकों की नौकरियों पर तलवार लटकी हुई है।
दूसरी ओर सरकार पूंजीपतियों के इशारे पर श्रम कानूनों में सुधार के नाम पर श्रम कानूनों को खत्म कर रही है। श्रम कानून होने पर भी कंपनियों द्वारा श्रम कानूनों को ताक पर रखकर मजदूरों का शोषण किया जाता है जो श्रम कानून समाप्त होने पर मजदूरों के क्या हालात होंगे सोचने का विषय है। पूंजीपति वर्ग को श्रम की खुली लूट की छूट दी जा रही है।
कोविड-19 महामारी के समय भी अनेक कंपनियों द्वारा मजदूरों के वेतन भत्ते में कटौती की गई और बड़े पैमाने पर फैक्ट्रियों की श्रमिकों को बाहर निकाला जा रहा है। बेलसोनिका, मारुति, रीको धारूहेड़ा, मुंजाल शोवा मानेसर, मार्क एग्जास्ट, श्रीराम इंजीनियरिंग फैक्ट्रियों में स्थाई व अस्थाई मजदूरों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
बेलसोनिका प्रबंधन द्वारा भी कोविड-19 को अवसर में बदलकर मजदूरों के वेतन में गैरकानूनी कटौती की गई है। 17 जून से 290 अस्थाई कर्मचारियों को कंपनी से निकाल दिया गया है। 165 अस्थाई मजदूरों को जून माह का वेतन नहीं दिया गया है। इन सब की लिखित शिकायत के बावजूद विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
बेलसोनिका यूनियन ने कहा कि सरकार पूंजीपतियों और बेलसोनिका प्रबंधन द्वारा अपनाई गई मजदूर विरोधी नीतियों का विरोध करती है।
यूनियन द्वारा उठाई गईं माँगें-
- उदारीकरण निजीकरण वैश्वीकरण की पूँजीपरस्त नीतियों को रद्द किया जाए।
- सरकार द्वारा सरकारी संस्थाओं के निजीकरण पर रोक लगाई जाए। सरकारी संस्थानों में काम कर रहे हैं श्रमिकों की छँटनी पर रोक लगाई जाए तथा खाली पड़े पदों को तुरंत प्रभाव से भरा जाए।
- सरकार द्वारा श्रम कानूनों के सुधार के नाम पर किए जा रहे मजदूर विरोधी बदलाव को रद्द किया जाए और सभी संस्थाओं में श्रम कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए।
- ठेकेदारी प्रथा, नीम परियोजना, फ़िक्सड टर्म एंप्लॉयमेंट जैसी मजदूर विरोधी नीतियों को रद्द किया जाए। स्थाई काम पर स्थाई नौकरी का प्रावधान किया जाए।
- घाटे में चल रहे निजी उद्योगों का राष्ट्रीयकरण करके सरकार स्वयं संचालित करे।
- बेलसोनिका कंपनी में लंबे समय से काम कर रहे अस्थाई कर्मचारियों को पिछले समय में संपन्न हुए समझौते के अनुसार स्थाई किया जाए।
- बेलसोनिका यूनियन द्वारा दिए गए सामूहिक मांग पत्र जो कि पिछले 1 साल 4 महीने से लंबित है, का जल्द से जल्द सम्मानजनक समझौता करवा कर निपटारा किया जाए।
- बेलसोनिका प्रबंधन द्वारा जानबूझकर मजदूरों के प्रति गलत मंशा रखते हुए आउटसोर्सिंग काम पर रोक लगाई जाए और मजदूरों के प्रति बदले की भावना से काम पर रोक लगाई जाए।
- बेलसोनिका प्रबंधन द्वारा लॉक डाउन के समय में निकाले गए श्रमिकों को वेतन सहित वापस लिया जाए। जब तक बेलसोनिका प्रबंधन निकाले गए कर्मचारियों को काम पर वापस नहीं बुलाते तब तक सरकार द्वारा इन श्रमिकों को गुजारा भत्ता दिया जाए।
- बेलसोनिका प्रबंधन द्वारा ल्पोच्कडाउन के समय में स्थाई और अस्थाई श्रमिकों की जो वेतन कटौती की गई है उसको तुरंत प्रभाव से वापस दिलाया जाए।
- सभी श्रमिकों का मई और जून माह का हाजिरी भत्ता तुरंत प्रभाव से दिलाया जाए।
- बेलसोनिका प्रबंधन द्वारा श्रमिकों की सरकार की गाइडलाइन द्वारा जो संस्था में नहीं पहुंच पाए उन श्रमिकों को दिए गए कारण बताओ नोटिस को रद्द किया जाए।