नागपुर: नितिन गडकरी के बेटे की सुगर फैक्ट्री में ब्लास्ट, 5 मज़दूर मरे।

शनिवार को दोपहर में महाराष्ट्र के नागपुर जिले में स्थित मानस एग्रो इंडस्ट्रीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के सुगर प्लांट में बॉयलर में हुए विस्फोट के कारण 5 मज़दूर मारे गए और कई गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

बायो सीएनजी आधारित इस प्लांट में वेल्डिंग करते वक्त बायो गैस के रिसाव की वजह से यह ब्लास्ट हुआ। मारे गए 5 श्रमिक ठेका श्रमिक थे, जिसमें से एक वेल्डर था और चार हेल्पर थे।

घटना दोपहर 2:15 की है। घटना के बाद पूरे प्लांट और इलाके में उनके बादल छा गए मरने वाले सभी श्रमिक वडगांव निवासी बताए जाते हैं। बुरी तरीके से चलने की वजह से सभी श्रमिकों की मौके पर ही मौत हो गई।

ये कंपनी केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के पुत्र सारंग गडकरी की है जो कंपनी के डायरेक्टर भी हैं।शायद यही वजह है कि मीडिया से इस तरह की दुर्घटना की खबरें गायब रहती है।

नीमराना में निस्सिन ब्रेक कंपनी की बस से कुचलकर एक श्रमिक की मौत दो घायल

शनिवार की शाम ही ए शिफ्ट छूटने के बाद घर वापस आते वक्त राजस्थान के अलवर जिले में नीमराणा स्थित जापानी जोन की कंपनी निस्सिन ब्रेक के बस से कुचलकर एक स्थानीय श्रमिक की मौत हो गई और दो श्रमिक गंभीर रूप से घायल हो गए। बस का ड्राइवर काफी लापरवाह तरीके से बस चला रहा था। दुर्घटना के बाद बस का ड्राइवर फरार हो गया।

दुर्घटना के शिकार ठेका श्रमिक थे जिन्हें कंपनी की तरफ से यात्रा परिवहन सुविधा भी नहीं उपलब्ध कराई जाती है। ठेका श्रमिक स्वयं के वाहन से आना-जाना करते हैं। शिफ्ट छूटने और छुट्टी के वक्त कंपनी की बसें काफी तेज गति से आती जाती है। अभी तक इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई।

कंपनी प्रबंधन और निस्सीन यूनियन की तरफ से भी कोई प्रतिक्रिया अभी तक नहीं आई है।

पिछले 3 महीनों में औद्योगिक दुर्घटनाएं काफी खतरनाक रूप ले रही हैं विशाखापट्टनम, विजाग, छत्तीसगढ़ में हुई दुर्घटनाएं मानवीय भूल नहीं कही जा सकती है। इनमें सरासर प्रबंधन और सरकार का अपराधिक दायित्व बनता है। ज्यादातर प्लांटों में सुरक्षा मानकों को नजरअंदाज करते हुए तथा औद्योगिक सुरक्षा से समझौता करते हुए उत्पादन करने की वजह से श्रमिकों की जान पर बनी हुई है।

श्रम और रोजगार मंत्रालय का आंकड़ा खुद कहता है कि फैक्ट्री में दुर्घटना की वजह से हर रोज की मजदूरी 12 जाते हैं। मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित श्रम कानून संशोधन में भी औद्योगिक सुरक्षा बिल में मालिकों के हित में परिवर्तन करते हुए दुर्घटना की स्थिति में नियोक्ता के दायित्व को कम करते हुए और मुआवजे क्षतिपूर्ति के प्रावधान को कमजोर करने की कोशिश की गई है।

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