इन्टरार्क में छंटनी-ट्रांसफर के ख़िलाफ़ मज़दूर आक्रोशित

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29 सुपरवाइजरों की छंटनी व 195 मज़दूरों के ग़ैरक़ानूनी स्थानांतरण के ख़िलाफ़ कम्पनी गेट पर धरना जारी

पंतनगर (उत्तराखंड)। पंतनगर में स्थित इन्टरार्क बिल्डिंग प्रोडक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का प्रबंधन छंटनी और ट्रांसफर के हथकंडों से मज़दूरों पर नया हमला बोला है। कम्पनी ने 29 सुपरवाइजर/ इंजीनियर की छंटनी के बाद अब 195 मज़दूरों का चेन्नई स्थानांतरण का नोटिस चस्पा कर दिया है, जिससे आक्रोशित मज़दूर आंदोलित हैं।

मज़दूरों ने फिसिकल डिस्टेंस के साथ प्लांट के सामने धरना प्रारंभ कर दिया है।

यूनियन अध्यक्ष दलजीत सिंह ने बताया कि कम्पनी में 600 से अधिक मज़दूर काम करते हैं। प्रबंधन ने मनमाने तरीके से 195 मज़दूरों का चेन्नई और अहमदाबाद स्थानांतरण का नोटिस जारी किया है। कंपनी और भी कई मज़दूरों को निकालने की तैयारी कर रही है।

उन्होंने सहायक श्रमायुक्त की आज की वार्ता का हवाला देते हुए कहा कि कम्पनी के प्रमाणित स्थाई आदेश और राज्य के माडल स्थाई आदेश के अनुसार मज़दूर की बगैर सहमति राज्य से बाहर स्थानांतरण नहीं हो सकता। साथ ही श्रम न्यायालय में औद्योगिक विवाद कायम रहते भी बगैर अनुमति गलत है।

सुपरवाइजरों की छंटनी

सूत्रों के अनुसार इससे पूर्व कम्पनी ने 6 जून को 29 सुपरवाइजर व इंजीनियरों को एक महीने का नोटिस देकर काम से निकाल दिया है। मंदी का हवाला देकर वह स्टाफ के करीब 130 लोगों की छंटनी की तैयारी में है।

प्रबंधन का निशाना यूनियन है

उधम सिंह नगर में इन्टरार्क कम्पनी के पंतनगर व किच्छा में दो प्लांट हैं, जहाँ करीब 1000 मज़दूर काम करते हैं। दोनों जगह यूनियन है। जबसे यूनियन बनी है, प्रबंधन का दमन और मज़दूरों का संघर्ष जारी है।

सन 2017 में एक बड़े संघर्ष के बाद मज़दूरों का 2700 रुपए का वेतन समझौत हुआ था। इस संघर्ष से जहाँ दोनों प्लांटों के मज़दूरों की संग्रामी एकता कायम हुई थी, वहीँ दोनों प्लांटों में यूनियनें पंजीकृत हुई थीं। तबसे प्रबंधन की नज़र में मज़दूर व यूनियन खटकने लगे।

2018 का जुझारू संघर्ष

सन 2018 में माँगपत्र पर विवाद काफी गहरा रहा। दमन के बीच मज़दूरों के साथ महिलाएँ व बच्चे भी आन्दोलन की अगली क़तर में रहे। उस वक़्त प्रबंधन ने मज़दूरों पर फर्जी मुक़दमे व निलंबन की कार्यवाही की। दोनों प्लांटों में 30 से ज्यादा मज़दूरों के निलंबन हुए।

अंततः समझौते के साथ मज़दूरों को जीत मिली थी। लेकिन प्रबंधन का दमन जारी रहा और उसने 24 मज़दूरों को बर्ख़ास्त कर दिया, जिनका मामला श्रम न्यायालय में है। इस बीच 2019 का माँगपत्र भी विवादित रहा।

मज़दूर संघर्ष करेंगे तेज

प्रबंधन कोविड-19 और लॉकडाउन से पैदा परिस्थितियों का लाभ उठाकर मज़दूरों व स्टाफ की छंटनी करने पर अमादा है। स्थानांतरण का तीर भी उसने छंटनी के लिए चलाया है। उधर मज़दूर भी मामले को समझ रहे हैं और कमर कस रहे हैं।

ग़ैरक़ानूनी स्थानांतरण के ख़िलाफ़ मज़दूरों ने आर-पार संघर्ष का मन बना लिया है। फ़िलहाल पंतनगर प्लांट के गेट पर मज़दूरों का धरना जारी है। यूनियन आगे की रणनीति बना रही है।

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