कोविड-19 : ग़रीबी भयावह, अंबानी-अडानी की कमाई बम्पर
बहुसंख्यक आबादी की बढ़ती ग़रीबी के बीच चंद अमीरजादों की बल्ले-बल्ले
कोरोना/लॉकडाउन के बीच जहाँ देश की बड़ी आबादी बेरोजगारी व महँगाई के बीच भुखमरी की कगार पर पहुँच गई है, वहीँ मुकेश अंबानी की संपत्ति में कुछ ही घंटों में 5.88 बिलियन डॉलर बढ़ गई। जबकि पिछले सिर्फ 4 सालों में ही गौतम अडानी की दौलत में बम्पर इजाफा हुआ है।
बीते अप्रैल माह में संयुक्त राष्ट्र के श्रम निकाय ने चेतावनी दी थी कि कोरोना वायरस संकट के कारण भारत में अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लगभग 40 करोड़ लोग गरीबी में फंस सकते हैं और अनुमान है कि इस साल दुनिया भर में 19.5 करोड़ लोगों की पूर्णकालिक नौकरी छूट सकती है।
मगर मोदी सरकार का करिश्मा देखिए, जिस दौरान देश की व्यापक मेहनतकश आवाम सबसे बड़े आर्थिक संकट से गुजर रही है, उसी दरमियान अम्बानी व अडानी की संम्पत्ति छलाँगें ले रही है।
मुकेश अम्बानी की संम्पत्ति में जबर्दस्त इज़ाफा
ग्लोबल हुरुन रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना संकट काल में रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी की संपत्ति में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई और इस वजह से वह 8वें सबसे अमीर शख्स भी बन गए।
रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैपिटल सोमवार को 150 अरब के रिकॉर्ड लेवल को पार कर गया। ब्लूमबर्ग बिलियनरीज इंडेक्स के मुताबिक, मंगलवार को मुकेश अंबानी की नेटवर्थ 64.5 अरब डॉलर (करीब 4,90,800 करोड़ रुपए) से बढ़कर 64.5 बिलियन डॉलर हो गई।
कोविड-19 के शुरुआती दौर में घटी संपत्ति हो गई कर्जमुक्त
कोविड-19 संकट के शुरुआती दौर में मुकेश अम्बानी की संपत्ति 31 मार्च तक घट कर 48 अरब डॉलर हो गई थी। इससे दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की फहरिस्त में भी वे 8 पायदान लुढ़क कर 17वें नंबर पर पहुँच गए थे।
पिछले दो महीने के दौरान रिलायंस जियो में 11 बड़े निवेश हुए हैं। जियो प्लेटफॉर्म्स मे फेसबुक के निवेश के बाद दुनिया की बड़ी कंपनियों में जियो प्लेटफॉर्म्स में निवेश में तेजी आई। उसने राइट्स इश्यू से 84,000 करोड़ रुपये और जियो प्लेटफॉर्म्स में पिछले कुछ हफ्तों में ही 1.68 लाख करोड़ रुपए उगाहे हैं।
हालत ये हैं कि मुकेश अंबानी ने मार्च, 2021 तक रिलायंस इंडस्ट्रीज को पूरी तरह कर्जमुक्त कंपनी बनाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन कोविड-19 के दौरान कंपनी 9 माह पहले ही कर्जमुक्त हो गई।
अडानी की दौलत में चार गुना से ज्यादा इज़ाफा
2016 में अडानी की कुल संपत्ति 264 अरब डॉलर थी, जबकि आज उनकी संपदा 1,180 अरब डॉलर के करीब है। पिछले महज पांच सालों में ही उनकी संपत्ति में 121 फीसदी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।
कोविड संकट के बीच इसी जून माह में गौतम अडानी की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड को दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पावर प्लांट बनाने का ठेका मिला है। इसके तहत अंबानी ग्रीन एनर्जी 8,000 मेगावॉट का सोलर पावर प्लांट तैयार करेगी। इसके अलावा कंपनी 2,000 मेगावॉट के डोमेस्टिक सोलर पैनल तैयार करेगी।
6 अरब डॉलर यानी करीब 45,300 करोड़ रुपये के इस टेंडर के साथ ही अडानी ग्रुप की कंपनी ने दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पावर कॉन्ट्रैक्ट हासिल कर लिया है।
सरकार की छात्र छाया का कमाल
मोदी सरकार का साथ मुकेश अम्बानी, गौतम अडानी जैसे पूँजीपतियों का गुणात्मक विकास! नोटबंदी से लेकर कोरोना/लॉकडाउन का लाभ जियो को मिला। डीजल-पेट्रोल-गैस की कीमतों में बृद्धि का लाभ मुख्यतः अडानी व अम्बानी की कंपनियों को मिलता रहा। पॉवर से लेकर खनन तक के ठेके मूलतः इन्हीं कंपनियों के हिस्से आए और सम्म्पत्तियां उछाल लेती रहीं।
यह यूँ ही नहीं है कि मोदी सरकार के दौरान वर्ष 2014 से 2019 के बीच 100 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति 25 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 32 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई। इन 100 लोगों के पास जीडीपी के 6 फीसदी के बराबर संपत्ति है।
इन पांच सालों में मुकेश अंबानी ने अपनी संपत्ति दोगुनी से भी ज्यादा कर ली। गौतम अडानी की संपत्ति में 121 फीसदी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।
जियो टीवी को हरियाणा में मिला बड़ा ठेका
कोविड-19 के दौरान ‘मुख्यमंत्री दूरवर्ती शिक्षा कार्यक्रम’ के तहत राज्य के स्कूली बच्चों की शिक्षा बेहतर करने की दिशा में हरियाणा सरकार ने रिलायंस जियो टीवी के साथ एक करार किया है। इसके तहत एजूसेट के चारों चैनल अब जियो के प्लेटफार्म पर नि:शुल्क उपलब्ध होंगे।
68 फ़ीसदी आबादी रसातल में
यूनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी (यूएनयू) के एक रिसर्च के अनुसार, अगर कोरोना सबसे खराब स्थिति में पहुंचता है तो भारत में 104 मिलियन यानी 10.4 करोड़ नए लोग गरीब हो जाएंगे। रिसर्च के मुताबिक, विश्व बैंक के आय मानकों के अनुसार, भारत में फिलहाल करीब 81.2 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। यह देश की कुल आबादी का 60 फीसदी हैं।
महामारी और लॉकडाउन बढ़ने से देश के आर्थिक हालात पर विपरीत असर पड़ेगा और गरीबों की यह संख्या बढ़कर 91.5 करोड़ हो जाएगी। यह कुल आबादी का 68 फीसदी हिस्सा होगा।
भारत में असमानता चरम पर
पिछले साल आर्थिक असमानता का अध्ययन करने वाली संस्था, आक्सफैम इंटरनेशनल की सालाना रिपोर्ट ‘पब्लिक गुड, प्राइवेट वेल्थ’ के आधार पर बताया था कि भारत में असमानता अपने चरम पर पहुंचती जा रही है। यहां एक तरफ गरीब अपने लिए दो बार की रोटी और बच्चों के लिए आवश्यक दवाओं तक का इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं, वहीं कुछ अमीरों की संपत्ति में बेहताशा वृद्धि हो रही है।
साफ़ है कि देश की 99 फ़ीसदी जनता को बदहाली में ढकेलकर ही एक फ़ीसदी मुनाफाखोरों की तिजोरियां भर रही हैं और ऐय्यासी के मीनार खड़े हो रहे हैं। इसमे भी सबसे भयावह स्थिति नीचे की 60 फ़ीसदी मेहनतकश जमात के ही सामने मौजूद है।