आतंकियों के साथ पकडे गए डीएसपी दविंदर को ज़मानत
जनतान्त्रिक हक़ों के लिए लड़ने वाले जेल में
आतंकवादियों को हथियारों सहित पहले अपने घर में छिपाने और फिर अपनी गाड़ी में बिठाकर दिल्ली पहुँचाते हुये रंगे हाथ पकड़ा गया जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी दविंदर सिंह के ख़िलाफ़ दिल्ली पुलिस ने कोई चार्जशीट दायर नहीं की, और उसे जमानत दे दी गई!
दविंदर सिंह के खिलाफ पिछले दसियों साल से आतंकवादियों की ऐसे ही मदद करने का इल्जाम था।
दविंदर को 13 जनवरी को कुलगाम जिले में श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाइवे पर एक कार में गिरफ्तार किया गया था जब वह हिज्बुल कमांडर सईद नवीद, एक दूसरे आतंकी रफी रैदर और हिज्बुल के एक भूमिगत कार्यकर्ता इरफान मीर को लेकर जम्मू जा रहा था। डीएसपी देवेंद्र सिंह का काम चंडीगढ़ और दिल्ली में इन आतंकियों के लिए ठहरने की व्यवस्था करना था।
दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को पुलिस द्वारा 90 दिन के भीतर आरोपपत्र दाखिल ना करने के आधार पर दविंदर सिंह को जमानत दे दी। अदालत ने इसी मामले के एक अन्य आरोपी इरफान शफी मीर को भी जमानत दे दी।
मोदी सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाले जेल में
आतंकी वारदात के संरक्षक को ज़मानत मिल गई, लेकिन सफुरा जरगर, नताशा नरवाल, देवांगना, कफील खान, सुधा भारद्वाज, आनंद तेलतुंबड़े, गौतम नवलखा जैसे बेकसूर छात्रों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों को जेल में ठूसे रखने में दिल्ली पुलिस विशेष रूचि रखती है, क्योंकि वे सच की आवाज़ बुलंद करते हैं, गलत को गलत कहने की हिम्मत रखते हैं।
यह ध्यानतलब है कि दविंदर जैसे तंत्र के भीतर बैठे संगीन अपराधी के खिलाफ दिल्ली पुलिस व एनआईए ने जांच करने में कोई रुचि नहीं दिखलाई। यह वही दिल्ली पुलिस व एनआईए है, जो कोरोनो/लॉकडाउन के दौरान मोदी सरकार की विरोधी ताक़तों को प्रताणित करने, फर्जी मुक़दमे ठोंकने, यूएपीए लगाने में भरपूर सक्रिय है।
क्या है कुख्यात दविंदर सिंह का मामला
समाचार एजंसी पीटीआई के अनुसार दविंदर विभिन्न इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स पर अन्य आरोपियों और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों से बात किया करता था और यह मामला ‘दिल्ली समेत देश के अन्य हिस्सों में आतंकी हमलों की योजना और अमल से जुड़ा हुआ है।’
इससे पहले पुलिस ने अदालत को बताया था कि शोपियां में हिजबुल के कमांडर सैयद नवीद मुश्ताक उर्फ नवीद बाबू अन्य लोगों के साथ मिलकर दिल्ली और देश के अलग-अलग हिस्सों में हमले और सुरक्षा प्राप्त लोगों को मारने की योजना बना रहे थे।
इस बारे में दिल्ली पुलिस ने आईपीसी की धारा 120 बी के तहत एफआईआर दर्ज की थी और इसी मामले में दविंदर सिंह को हिरासत में लिया गया था।
इस एफआईआर में माफिया डी कंपनी और छोटा शकील का नाम भी था। इसमें कहा गया था कि दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल को यह सूचना मिली थी कि दाऊद इब्राहिम द्वारा चलाई जा रही डी कंपनी द्वारा पंजाब में खालिस्तान समर्थकों को फंडिंग दी जा रही थी।
एनआईए ने भी कहा है कि आतंकी मामले में उनके पास दविंदर सिंह के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं।
दो आतंकवादियों के साथ पकड़ा गया था डीएसपी
जम्मू कश्मीर पुलिस ने बीते 11 जनवरी को दविंदर सिंह को दो आतंकियों हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर नवीद बाबू तथा रफी अहमद राठेर के साथ श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर एक गाड़ी में जाते वक्त पकड़ा था। उनके साथ खुद को वकील बताने वाले इरफान शफी मीर को भी पकड़ा गया था। बाद में 23 जनवरी को नवीद के भाई सैयद इरफान अहमद को भी गिरफ्तार किया गया।
एनआईए ने 18 जनवरी को आतंकी मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार ये आतंकी दिल्ली जा रहे थे। जिन आतंकियों के साथ दविंदर सिंह को पकड़ा गया, वे ‘मोस्ट वांटेड’ थे। गिरफ्तार किए जाने के समय दविंदर सिंह संवेदनशील श्रीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर तैनात था, जब कुलगाम जिले के वानपोह में नवीद बाबू के साथ पकड़ा गया।
बाबू पर आरोप हैं कि वह 2019 में अक्टूबर और नवंबर में दक्षिण कश्मीर में ट्रक ड्राइवरों और मजदूरों सहित 11 गैर-स्थानीय श्रमिकों की हत्या में शामिल थे।
भारी मात्र में हथियार बरामद हुआ था
दविंदर सिंह और नवीद बाबू की गिरफ्तारी और पूछताछ के बाद पुलिस ने श्रीनगर और दक्षिण कश्मीर में कई छापे मारे थे और दविंदर और अन्य आतंकवादियों द्वारा छिपाकर रखे गए भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद बरामद किया था।
श्रीनगर में दविंदर सिंह के घर पर पुलिस ने एक एके-47 राइफल और दो पिस्तौल बरामद हुई थी। नवीद बाबू के कबूलनामे के आधार पर एक और एके राइफल और एक पिस्तौल बरामद की गई।
पुलिस के अनुसार पूछताछ के दौरान सामने आया था कि दविंदर सिंह ने आतंकियों को श्रीनगर के हाई-सिक्योरिटी इलाके में स्थित अपने घर में पनाह दी थी।
अफजल गुरु मामले में भी संलिप्त था दविंदर
दविंदर सिंह उस समय सुर्खियों में आया था जब संसद हमले के आरोपी अफ़ज़ल गुरु ने 2004 में अपने वकील सुशील कुमार को लिखे पत्र में बताया था कि ‘उस समय हुमहमा में जम्मू कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन्स ग्रुप में तैनात ‘डीएसपी दविंदर सिंह ने उसे मोहम्मद (एक पाकिस्तानी नागरिक, संसद पर हमले को अंजाम देने वाले लोगों में से एक) को दिल्ली ले जाने, उसके लिए फ्लैट किराये पर लेने और गाड़ी खरीदने को कहा था।’
लेकिन तबकी भाजपा सरकार ने इस मामले को दबा दिया था।
यह उल्लेखनीय है कि दविंदर सिंह की हैसियत भाजपा सरकारों के दौरान काफी मजबूत रही है। यहाँ तक कि यह कुख्यात अधिकारी मोदी सरकार की कृपा से देश के राष्ट्रपति से पुरष्कृत भी हो चुका है।
यही है भाजपा-संघ की देशभक्ति
आतंकियों को संरक्षण देने वाले पुलिस अधिकारी को ज़मानत मिलती है, दिल्ली दंगों को अंजाम देने वाले कपिल मिश्र जैसे छुट्टा सांड बन घूमते हैं, लेकिन संविधान विरोधी सीएए की मुखालफ़त करने वालों, जनवाद की आवाज़ उठाने वालों को जेल में ठूंस दिया जाता है। जज लोया जैसों की हत्या हो जाती है।
यही है भाजपा-संघ की देशभक्ति की सच्चाई!