सीएए-एनपीआर-एनआरसी विरोधी कार्यकर्ताओं का दमन बंद करो!

देशभर में पिंजरा तोड़ की देवांगना, नताशा सहित आन्दोलनकारियों की गिरफ़्तारी का विरोध जारी

कोरोना/लॉकडाउन की विकट स्थितियों के बीच केंद्र सरकार द्वारा एक-एक करके सीएए विरोधी आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया जा रहा है। इसके उलट दिल्ली दंगों में मुख्य भूमिका निभाने वाले कपिल मिश्रा, रागिनी तिवारी सहित बीजेपी के नेताओं को अभय दान दिया जा रहा है। इस बढ़ते प्रतिशोधपूर्ण दमन के विरोध में देश के विभिन्न हिस्सों से आवाज़े उठ रही हैं

नताशा-देवांगना पर फर्जी आरोप

23 मई को दिल्ली पुलिस द्वारा पिंजरा तोड़ संगठन की दो वरिष्ठ कार्यकर्तायों देवांगना कालिता और नताशा नरवाल को फर्जी तरीके से हत्या, दंगा भड़काने सहित कई संगीन धारायें लगाकर गिरफ्तार किया।

उल्लेखनीय है कि पिंजरा तोड़ छात्राओं का एक जुझारू संगठन है और देवांगना व नताशा उसकी संस्थापक सदस्य हैं। पिछले दिनों संविधान विरोधी नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए),एनपीआर-एनआरसी के ख़िलाफ़ चले देशव्यापी आन्दोलन में पिंजरा तोड़ की भी सक्रिय भूमिका रही है।

इस मामले में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने माना था कि ये कार्यकर्ता शांतिपूर्ण तरीके से चल रहे सीएए विरोधी आंदोलन में शामिल थीं और इनका दिल्ली दंगों से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन दिल्ली पुलिस ने ज़मानत के बाद साजिशन दुबारा हत्या, दंगा भड़काने आदि आरोप लगाकर इन्हें गिरफ्तार कर लिया।

फर्जी मुक़दमों व गिरफ्तारियों का बढ़ता सिलसिला

इन दो गिरफ्तारियों से पूर्व लॉकडाउन के दौरान गुलफ़िशा, ख़ालिद सैफी, इशरत जहां, सफूरा ज़रगर और मीरान हैदर, उमर खालिद सहित सैकड़ों आन्दोलनकारियों को कोरोना/लॉकडाउन के दौरान गिरफ़्तार किया गया है। इनमे से कई लोगों पर दिल्ली दंगों से जुड़े होने के कथित आरोप में यूएपीए लगाया गया है।

ये सभी संविधान विरोधी नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए), एनआरसी, एनपीआर के विरोध में चले शाहीनबाग जैसें आन्दोलन के समर्थक हैं।

दंगाई सत्ता संरक्षण में बेख़ौफ़

दिल्ली उच्च न्यायालय के जज न्यायमूर्ति मुरलीधर ने कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर जैसे लोगों को नफरत और हिंसा भड़काने का आरोपी मानते हुए तत्काल गिरफ्तारी का आदेश दिया था लेकिन जज महोदय का रातो-रात ट्रांसफर हो गया और ये अपराधी आज भी खुलेआम घूम रहे हैं।

इस दमन के ख़िलाफ़ उठ रही हैं आवाजें

मोदी सरकार ने अपने विरोधी स्वरों को दबाने के लिए कोरोना/लॉकडाउन का फायदा उठाया है। इसके बावजूद अन्यायपूर्ण इन गिरफ्तारियों के ख़िलाफ़ देश के विभिन्न हिस्सों से आवाजें बुलंद हो रही हैं।

विभिन्न जनवादी व छात्र संगठनों ने कहा कि मोदी सरकार हर स्तर पर उतर कर जनता की आवाज को दबाना चाहती है और इसके लिए लॉकडाउन को एक मौके के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। लॉकडाउन में जब पूरा देश कोरोना से बचाव के रास्ते तलाश रहा है, लाखों मजदूर सरकार की बेरुखी के चलते हजारों किलोमीटर पैदल चल रहे हैं। ऐसे समय में कोरोना का इलाज करने और मज़दूरों को घर पहुंचाने की बजाय सरकार जनता की आवाज को चुप कराने की कोशिश कर रही है।

सभी संगठनों ने कहा कि ऐसे में प्रत्येक न्याय पसंद इंसान का ये कर्तव्य बनता है की वह सरकार के तानाशाही रवेये के खिलाफ आवाज उठाए और मांग करे कि कपिल मिश्रा जैसे मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार करते हुए सरकार निर्दोष गिरफ्तार किए गए आंदोलनकारियों को तत्काल रिहा करे।

नताशा के पिता का बयान

गिरफ्तार नताशा नरवाल के पिता सीनियर साइंटिस्ट महावीर नरवाल ने न्यूज़18 से खास बातचीत में बेटी को निर्दोष बताया। उन्होंने दिल्ली पुलिस पर ज्यादती करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि महिलाओं के हक़ के लिए लड़ने वाले संगठन “पिंजरा तोड़” को पुलिस ने उग्रवादी संगठन बना दिया। पुलिस नाइंसाफ़ी करा रही है, मुझे मेरी बेटी पर गर्व है।

जन संघर्ष मंच हरियाणा ने किया प्रदर्शन, राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

कुरुक्षेत्र। पिंजरा तोड़ संगठन की कार्यकर्ताओं सहित अन्य आन्दोलनकारियों की गिरफ़्तारी के विरोध में 29 मई को स्थानीय लघु सचिवालय में जन संघर्ष मंच हरियाणा के कार्यकर्ताओ ने शारीरिक दूरी और लॉकडाउन का ध्यान रखते हुए विरोध प्रदर्शन किया और सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं की तुरंत रिहाई की मांग को लेकर डीसी कुरुक्षेत्र के मार्फत देश के राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भेजा।

मंच ने माँग किया कि देवांगना कलिता, नताशा नरवाल, सफूरा सहित तमाम राजनीतिक कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा किया जाए; सीएए-एनआरसी-एनपीआर विरोधी आंदोलनकारियों का दमन बंद हो; दिल्ली हिंसा की निष्पक्ष न्यायिक जांच करवाकर असल गुनाहगार- शासक पार्टी के कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा जैसे लोगों की तुरंत गिरफ्तारी होजन विरोधी सीएए,एनपीआर,एनआरसी रद्द हो; यूएपीए जैसे काले कानून रद्द किये जाए।

गिरफ्तारी के खिलाफ आईएमके का प्रदर्शन

फरीदाबाद। पिजड़ा तोड़ कार्यकर्ताओं की दिल्ली पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी के खिलाफ इंकलाबी मजदूर केंद्र व पछास ने 28 मई को फरीदाबाद में विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि मोदी सरकार जनवादी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर अपने विरोधियों की आवाज को कुचल देना चाहती है। सरकार आरएसएस के हिन्दू फासीवादी एजेंडा को आगे बढ़ाते हुए लोकतांत्रिक अधिकारों को खत्म कर देश में तानाशाही कायम करना चाहती है। एकाधिकारी कम्पनियों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार काम कर रही है।

प्रदर्शनकारियों ने माँग किया कि, देवांगना, नताशा एव सफूरा सहित सभी जनवादी व राजनीतिक कार्यकर्ताओं को तत्काल बिना शर्त रिहा किया जाए; दिल्ली में साम्प्रदायिक हिंसा के मुख्य गुनहगारों भाजपा नेताओं कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा, रागनी तिवारी को गिरफ्तारकर जेल भेजा जाए।

हरिद्वार। 28 मई को इंकलाबी मजदूर केंद्र, भेल मजदूर ट्रेड यूनियन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र के कार्यकर्ताओं द्वारा केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज किया गया। लॉकडाउन के बहाने देश की फासीवाद सरकार लगातार  देश की जनता की आवाज बनने वाले छात्र-मज़दूर एक्टिविस्टो को सरकारी दमन का शिकार बनाया जा रहा है। जिसका हम सभी संगठन पुरजोर विरोध करते हैं।

इस दौरान संगठनों ने माँग की कि सीएए,एनपीआर,एनआरसी के विरोध में आंदोलनकारी नताशा, सफूरा व देवांगना पर लगाए फर्जी मुकदमे वापस लेकर तुरंत जेल से रिहा किया जाए।

परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास)

पूरे देश में सीएए विरोधी आंदोलनकारियों की गिरफ्तारी के विरोध में चले आंदोलन के साथ पछास ने भी भागीदारी की। संगठन ने पुलिस द्वारा की जा रही इन गिरफ्तारियों को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि खासतौर से उन लोगों को निशाना बनाया जा रहा है जो सीएए, एनपीआर, एनआरसी विरोधी आंदोलन में नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहे थे।

पछास ने जारी बयान में कहा कि प्रत्येक न्याय पसंद इंसान का ये कर्तव्य बनता है की वह सरकार के तानाशाही रवैये के खिलाफ आवाज उठाए और मांग करे कि कपिल मिश्रा जैसे मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार करते हुए सरकार निर्दोष आंदोलनकारियों को तत्काल रिहा करे।

प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन ने की रिहाई की माँग

प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (पीडीएसएफ) पिंजरा तोड़ कार्यकर्ताओं, देवांगना और नताशा सहित सभी राजनीतिक कैदियों की गिरफ्तारी और असंतोष के स्वरों को कुचलने की निंदा करते हुए सबकी रिहाई करने की माँग की!

पीडीएसएफ ने सोशल मिडिया पर भी सक्रियता के साथ दमन के ख़िलाफ़ प्रतिरोध की आवाज़ बुलंद की।

छात्र नेताओं ने किया प्रतिरोध

विभिन्न छात्र नेताओं ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि ‘सरकार देश के विश्वविद्यालयों और विद्यार्थियों पर लगातार हमले कर रही है और उन्हें फंसाने के लिए राजनीति से प्रेरित फ़र्जी मुक़दमें बनाये जा रहे हैं।’

25 मई को मोबाइल ऐप ‘ज़ूम’ के माध्यम से ऑनलाइन हुई एक संयुक्त प्रेस वार्ता में जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्षा आइशी घोष, जामिया यूनिवर्सिटी की छात्रा आयशा रेन्ना एन, आइसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एन साई बालाजी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष सलमान इम्तियाज़, सीपीआई नेता कन्हैया कुमार और गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी समेत कुछ अन्य लोग शामिल हुए।

प्रेस वार्ता में नेताओं ने कहा कि जब दुनिया कोरोना वायरस महामारी से लड़ रही है, तब भी मोदी सरकार अपनी ही यूनिवर्सिटियों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों पर हमले कर रही है।

जनवादी संगठनों ने राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, इंक़लाबी मज़दूर केंद्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, मज़दूर एकता समिति, घरेलू कामगार महिला संगठन ने पिंजरा तोड़ की साथियों की दिल्ली पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते हुए उनपर लगे फर्जी मुकदमे खत्म करने एवम उनकी तुरंत रिहाई की माँग की।

26 मई को राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में निर्दोष आन्दोलनकारियों की रिहाई और दिल्ली उच्च न्यायलय द्वारा निर्देशित सत्ता संरक्षित दंगाइयों की गिरफ़्तारी की माँग की गई है।

विरोध में शाहबाद डेरी (दिल्ली) में प्रदर्शन

गिरफ़्तारी के विरोध में परिवर्तनकामी छात्र संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र और इंकलाबी मजदूर केन्द्र के कार्यकर्ताओ ने शाहबाद डेरी में विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान शारीरिक दूरी और लॉकडाउन का ध्यान रखते हुए सभा आयोजित की गई और सभा के अंत में सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग करते हुए एक ज्ञापन मेल द्वारा राष्ट्रपति महोदय को भेजा गया।

संगठनों ने माँग की कि सरकार गिरफ्तार आंदोलनकारियों को तत्काल रिहा करे, दिल्ली दंगो के मास्टर माइंड कपिल मिश्रा समेत दंगा फैलाने वाले भाजपा नेताओं को गिरफ्तार करो, सीएए, एनआरसी, एनपीआर वापस लो, जनता की आवाज को दबाना बंद करो!

नौजवान भारत सभा पंजाब ने की निंदा

लुधियाना। नौजवान भारत सभा, पंजाब ने जारी बयान में कहा कि कोरोना लॉकडाउन के बीच फासीवादी मोदी सरकार परदे के पीछे से अपने सभी जन-विरोधी एजेंडों को लागू कर रही है। इसके तहत, सरकार नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन में शामिल कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार कर रही है।

नौजवान भारत सभा ने सरकार के इस कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए सभी जन संगठनों, युवाओं, कलाकारों, बुद्धिजीवियों से केंद्र सरकार के इस सांप्रदायिक फासीवादी एजेंडे के खिलाफ लड़ने का आह्वान किया।

जेएनयू शिक्षक संघ ने बताया अन्यायपूर्ण

दिल्ली। जेएनयू शिक्षक संघ ने ज़ारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि जो लोग असल में दोषी हैं। जिन्हें टीवी चैनलों के कैमरों ने लगातार भड़काऊ भाषण देते और हिंसा के लिए उकसाते दिखाया, उनके ख़िलाफ़ कोई एक्शन नहीं लिया गया बल्कि लोकतांत्रिक तरीके से किसी ग़ैर-संवैधानिक बात के लिए प्रदर्शन कर रहे लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है।

पुलिस द्वारा जामिया के छात्रों को भी इसी क्रम में गिरफ्तार करके जामिया को टारगेट किया जा रहा था। एक ख़ास समुदाय के लोगों को निशाना बनाने वाली पुलिस उन लोगों को बचा रही है, जिनकी वजह से न जाने कितने नागरिकों की जान गयी।

ये वही दिल्ली पुलिस है जो कई दिनों तक दंगों को रोकने में कामयाब नहीं रही। यहां तक कि कई जगहों पर इन दंगों में मूकदर्शक के तौर पर दिखाई दी। दिल्ली पुलिस द्वारा ये कार्रवाई वर्तमान सत्ता के विरुद्ध उठने वाली आवाज़ों को दबाने के लिए की जा रही है।

महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों की मदद के बजाय एक के बाद एक गिरफ्तारियां सत्ता की प्राथमिकताओं को दर्शाती हैं कि किस तरह से सत्ता का क्षरण हो गया है। विरोध करने के लोकतांत्रिक अधिकारों, विचारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का जिस तरह से अपराधीकरण किया जा रहा है, उससे कोई भी सुरक्षित नहीं है।

जे.एन.यू. शिक्षक संघ ने गलत आरोपों में गिरफ़्तार किए गए सभी छात्रों को तुरंत रिहा करने और इनके विरुद्ध दर्ज किये गए झूठे मुकदमों को भी हटाने की माँग की।

तार जोड़ना और फिर गिरफ्तार कर लेना

क्रन्तिकारी लोक अधिकार संगठन (क्रालोस) ने माँग की कि दिल्ली हिंसा के नाम पर आन्दोलनकारियों को गिरफ्तार करना बंद करो! गिरफ्तार किए गए बेगुनाहों को रिहा करो!

क्रालोस द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि हिन्दू फासीवादी सरकार का गोदी मीडिया तथा इनकी पुलिस अपने विरोधियों को निपटाने में किसी विरोधियों के किसी घटना से ’तार’ यानी ’लिंक’ होने को बिल्कुल ’रहस्य’ या ’साजिश’ की तरह प्रस्तुत करते हैं। और फिर गिरफ्तार कर लेते हैं।

गुजरात दंगों को रचने वाले लोगों ने दिल्ली का दंगा रचा। जो हत्यारे हैं साजिशकर्त्ता हैं वहीं सत्ता में बैठकर आंदोलनकारियों, अधिकारों के लिए आवाज उठाने, आम जनता के पक्ष में संघर्ष करने वालों को गिरफ्तार कर रही है।

बेशर्म, डरपोक, घृणित तथा पतित व फासीवादी सरकार कोरोना महामारी से निपटने के लिए लगाए गये लॉकडाउन का इस्तेमाल विरोधियों से निपटने में कर रही है।

जन संघर्ष मंच हरियाणा ने की निष्पक्ष जाँच की माँग

जन संघर्ष मंच हरियाणा ने 25 मई को दिल्ली पुलिस और मोदी सरकार के तानाशाही पूर्ण कदमों का प्रतिवाद करते हुए माँग की कि तमाम राजनीतिक कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा किया जाए, सीएए-एनपीआर-एनआरसी विरोधी आंदोलनकारियों का दमन बंद किया जाए और निष्पक्ष न्यायिक जांच करवाकर दिल्ली हिंसा के असल जिम्मेदार शासक पार्टी के कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा जैसे लोगों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।

ऱेला ने रिहाई और एकजुट मुहिम का आह्वान किया

भिलाई। लोकतांत्रिक सांस्कृतिक पहल रेला ने कहा किवर्तमान कोरोना वायरस के पहले से ही किसी विशेष धर्म की संस्कृति को स्थापित करने, भारत के भाईचारा संस्कृति को खत्म करने जैसे वायरस फल फूल रहे हैं, जो भी इसका विरोध कर रहे है उनको देशद्रोही का तमगा लगाकर जेल में डाला जा रहा है।

’कलबुर्गी, पनसारे, दाभोलकर, गौरी लंकेश जैसे सांस्कृतिक कर्मी को मारा गया, सुधा भरद्वाज, गौतम नवलखा, सोमा सेन जैसे अधिवक्ता, प्रोफेसर, सामाजिक कार्यकर्ता, मॉनवधिकार कार्यकर्ताओ को जेल में डाला गया, कितने प्रगतिशील छात्रों के ऊपर केश दर्ज किया गया। वही शाहीनबाग के आंदोलन को समर्थन करने वालों को चुन चुन कर गिरफ्तार किया जा रहा है। जेल में बन्द सफुरा, नताशा, देवांगना वही लोग है जो किसी विशेष धर्म की संस्कृति को थोपने का विरोध कर रहे थे। साम्प्रदायिकता का जहर घोलने वाली कोई भी राजसत्ता कभी भी भारतीय संस्कृति की हितैसी नही हो सकती।

रेला ने गिरफ्तार किए गए प्रगतिशील साथियो की रिहाई की माँग की और देश दुनिया के सभी संस्कृतिकर्मियों का आह्वान किया कि मानव विरोधी संस्कृति के खिलाफ मुहिम छेड़े और जन संस्कृति को स्थापित करने के लिए आगे बढ़े।

जनवादी महिला समिति का प्रदर्शन

रोहतक। गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ रोहतक में अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति के नेतृत्व में महिलाओं ने प्रदर्शन किया। अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में महिलाओं के साथ ढेर सारी छात्राओं ने हिस्सा लिया। लोगों ने अपने हाथों में प्लेकार्ड ले रखे थे। और उन सभी पर कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी की निंदा समेत उनकी रिहाई की माँग के नारे लिखे हुए थे। 

नेताओं ने कहा कि मौजूदा सरकार एक तरफ तो ‘बेटी-पढ़ाओ, बेटी-बचाओ’ के नारे लगा रही है दूसरी तरफ तानाशाही रवैया अपनाते हुए उन्हें जेल में बंद कर रही है। एक तरफ तो महामारी के चलते भीड़ कम करने के लिए कैदियों को रिहा किया जा रहा है, दूसरी तरफ नौजवान आंदोलनकारियों को जेलों में ठूंसा जा रहा है। संगठन ने कहा कि अगर युवा लड़के लड़कियों को रिहा नहीं किया जाता तो आंदोलन छेड़ा जाएगा।

प्रदर्शनकारियों में जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगमति सांगवान, राज्य महासचिव सविता, जिला सचिव वीना मलिक, जिला अध्यक्ष राजकुमारी दहिया, कार्यकारी अध्यक्ष अनीता सांपला, अंजू, अंजलि, सरसीज सिवाच, मुनमुन हजारिका, गायत्री, राखी, उर्मिल, जयस्वी तथा डीवाईएफआई के राज्य सह सचिव संदीप सिंह शामिल थे।

छात्र एकता मंच ने की भूख हड़ताल

सोनीपत। तमाम राजनैतिक कैदियों की रिहाई को लेकर छात्र एकता मंच (हरियाणा) के मनिषा आजाद, अंकित और सचिन ने एक दिवसीय भूख हड़ताल किया।

छात्र एकता मंच (हरियाणा) व अखिल भारत शिक्षा अधिकार मंच (AIFRTE) ने माँग की कि नताशा नरवाल, देवांगना, गुलिफ्सा, मनजीत नोटियाल, कमल, सर्जिल इमाम, डॉ० काफिल, सफूरा, चिंगीज खान, मशरत जाहिरा समेत सामाजिक कार्यकर्ताओं पर दर्ज किए गए झूठे मुक़दमें वापस लो! अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटना बन्द करो! UAPA जैसे काले कानूनों को रद्द करो !

सांस्कृतिक-सामाजिक संगठनों का संयुक्त आह्वान

जन संस्कृति मंच, जनवादी लेखक संघ, प्रगतिशील लेखक संघ, दलित लेखक संघ, न्यू सोशलिस्ट इनिशिएटिव, प्रतिरोध का सिनेमा और संगवारी द्वारा जारी साझा बयान में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण और पक्षपात-प्रदर्शन की हर कोशिश की निंदा करते हुए यूएपीए के तहत गिरफ्तार किए गए सभी बुद्धिजीवियों, मानवाधिकार-कर्मियों, लेखकों, पत्रकारों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को रिहा करने और दर्ज एफआइआर वापस लेने; साम्प्रदायिक बयानों आदि वाली फ़ेक खबरों पर सख्ती से रोक लगाने; तालाबंदी के कारण भूख, अभाव और दीगर कठिनाइयों का सामना कर रहे मजदूर साथियों को फौरी राहत और स्थायी समाधान हेतु वास्तविक कदम उठाने आदि की माँग की।

रिहाई मंच ने की रिहाई की माँग

लखनऊ। रिहाई मंच ने मोदी सरकार की दमनकारी नीतियों की तीखी आलोचना करते हुए सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर लगाए गए फर्जी मुक़दमें वापस लेते हुए उन्हें रिहा करने और संघ-भाजपा से जुड़े असली दंगाइयों को गिरफ्तार करने की माँग की।

जया निगम का बयान

आज़ादी के बाद पहली बार, देश का सबसे शांतिपूर्ण आंदोलन लगभग सारे राज्यों में हुआ। देश के बहुमत द्वारा, देशद्रोही माने जाने वाले मुसलमान और उसमे भी औरतों ने इसकी लीडरशिप संभाली।

इस देश की सबसे होनहार, सबसे पढ़ी लिखी, सबसे ईमानदार, और सबसे लड़ाकू पीढ़ी जेलों में भरी जा रही है, आपको केवल अपने लिए अगर ज़िन्दगी नहीं जीनी तो इनके लिए लिखें, बोलें, इन्हे जानें, और इन सारे एक्टिविस्टों को जेल से रिहा किए जाने का सरकार पर दबाव डालें।

देर सबेर सरकार के साथ लोकतांत्रिक लड़ाई के लिए सबको आगे आना ही होगा।

ट्विटर पर हुई माँग बुलंद

छात्र संगठनों के संयुक्त आह्वान पर 27 मई को शाम 5 से 8:00 बजे तक ट्विटर माध्यम से छात्रों की गिरफ़्तारी रोकने और गिरफ्तार सीएए विरोधी समस्त कार्यकर्ताओं और सभी राजनीतिक कैदियों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की माँग बुलंद हुई।

यह साझा अहवान आइसा, बीएससीईएम, कलेक्टिव, दिशा, डीएसयू, केवाईएस, पछास, पीडीएसयू व एसएफआई ने किया था, जिसमे देश व विदेश से बड़े पैमाने पर लोगों ने अपना विरोध दर्ज कराया।

पिंजरा तोड़ का बयान

पिंजरा तोड़ द्वारा जारी बयान में कहा गया कि पिछले कई महीनों में हमने सीएए, एनआरसी, एनपीआर और सत्तारूढ़ शासन की अन्य जनविरोधी नीतियों का विरोध करने वाले छात्रों और कार्यकर्ताओं पर लगातार राज्य की कटुता देखी है। जामिया और जेएनयू के छात्रों और अन्य लोगों को, जिन्होंने लोकतांत्रिक संघर्ष में भाग लिया था, दिल्ली के दंगों को अंजाम देने के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया है। यह सीएए विरोधी आंदोलन का एक सूनियोजित ध्वस्तीकरण है।

मुसलमानों, दलितों, आदिवासियों, श्रमिकों, महिलाओं और इस देश के सभी हाशिए पर रहने वाले समुदायों को कुचलने की साजिश है। यह हिंदुत्व राज्य और इसके दमनकारी राज्य तंत्र के खिलाफ एकजुटता और प्रतिरोध के साथ एकजुट होना समय की जरूरत है।

#ReleaseAllPoliticalPrisoners

#StopArrestingStudents

#StopStiflingVoiceofDissent

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