एलजीबी यूनियन के महामंत्री की गैरकानूनी गेटबंदी

श्रमिकों की ग़ैरकानूनी वेतन कटौती की शिकायत पर प्रबंधन ने प्रतिशोध में की कार्यवाई

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। एलजीबी वर्कर्स यूनियन पर प्रबन्धन की दमनात्मक कार्यवाहियां लगातार जारी हैं। ताजा घटना में श्रमिकों की अप्रैल माह के वेतन से ग़ैरक़ानूनी वेतन कटौती व मज़दूरों पर दो मशीनें चलाने का दबाव बनाने की शिकायत करने पर प्रबंधन ने यूनियन महामंत्री पूरन चंद पण्डे का गेट बंद कर दिया।

दरअसल, एलजी बालाकृष्णन एंड ब्रॉस लिमिटेड, सिडकुल, पंतनगर के प्रबंधन ने कोरोना के बहाने मज़दूरों के अप्रैल माह के वेतन से 10 फीसदी व कुछ भत्तों में कटौती कर दी थी। इसके साथ ही वह मज़दूरों पर एक साथ दो मशीनें चलने का दबाव बनाने लगा। यूनियन की ओर से पूरन पण्डे ने श्रम विभाग में शिकायत की। इससे बौखलाए प्रबंधन ने 20 मई को बगैर किसी सूचना उनकी गेट बंदी कर दी।

सहायक श्रमायुक्त को भेजे पत्र में पूरन पण्डे ने लिखा है कि माह अप्रैल के वेतन में प्रबंधन द्वारा श्रमिकों की गैरकानूनी कटौती की गई और श्रमिकों से दो मशीन चलाने का दबाव बनाए जाने लगा, जिसकी शिकायत मैंने माननीय महोदय के पास की।

इसी कारण से प्रबंधन मुझसे नाराज हो गया और प्रबंधन का कहना है कि जो भी कंपनी की शिकायत करेगा उसको कंपनी से निकाल दिया जाएगा। यूनियन का जिम्मेदार पदाधिकारी होने के कारण श्रमिक समस्या की शिकायत करना हमारा फर्ज है। ऐसे में मेरा गेट बंद करना अनुचित है।

ज्ञात हो कि एलजीबी में 2012 में यूनियन बनाने के बाद से ही प्रबंधन द्वारा मज़दूरों का दमन बढ़ता रहा है। उसने यूनियन के तत्कालीन महामंत्री व वर्तमान अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह को बर्ख़ास्त कर दिया था।

2015 में श्रम न्यायलय से जितने के बाद किसी तरह से उनकी कार्यबहाली हुई, लेकिन आज तक उनको पूरा वेतन नहीं दे रहा है, जबकि प्रबंधन 2 बार हाईकोर्ट व एक बार सुप्रीम कोर्ट से हराने के बाद पुनः सुप्रीम कोर्ट जा चुका है।

प्रबंधन यूनियन पर लगातार दबाव बनाता रहा। यूनियन तोड़ने के लिए उसने मुख्य प्लांट से रुद्रपुर में एक नया प्लांट खोलकर कुछ मज़दूरों का स्थानांतरण कर दिया था, लेकिन यूनियन बरकरार रही।

यूनियन द्वारा 30 जनवरी 2017 को दिया गया माँग पत्र तीन साल तक प्रबंधन विवादित रखा। उस दौरान महामंत्री पूरन सहित करीब डेढ़ दर्जन मज़दूरों पर कथित आरोप पत्रों व जाँच के बहाने दबाव बनाता रहा। उस दौरान यूनियन अध्यक्ष की गैरकानूनी बर्खास्तगी का मुक़दमा सुप्रीम कोर्ट से भी हार जाने के बाद से प्रबंधन ने बौखलाहट में दो यूनियन पदाधिकारियों ललित बोरा व गोविन्द सिंह की गैरकानूनी गेटबंदी कर दी थी।

काफी संघर्षों के बाद इस साल की शुरुआत में समझौता हुआ, लेकिन कोरोना के बहाने अब यह नया हमला हुआ है, इससे मज़दूरों में भारी रोष व्याप्त है।

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