लॉकडाउन के दौरान डाइकिन मज़दूरों का गुज़ारा भत्ता बंद
निलंबित डाइकिन के श्रमिकों के समक्ष जीवन यापन की समस्या
नीमराना (राजस्थान)। लॉक डाउन के दौरान नीमराना जापानी जोन स्थित डाइकिन एयर कंडीशनिंग इंडिया प्रा लि ने अपने 56 निलंबित मज़दूरों का गुज़ारा भत्ता रोक दिया है। इस कंपनी द्वारा एक तरफ तो नीमराणा के आस-पास के गांव में इन दिनों राशन वितरित किया जा रहा है और अपने ही फैक्ट्री में काम करने वाले मज़दूरों को उनका हक नहीं दिया जा रहा है, जोकि सरासर मज़दूरों के साथ अन्याय है।
कम्पनी के इस शत्रुतापूर्ण रवैए और अनुचित श्रम अभ्यास के कारण निलंबित श्रमिकों के समक्ष जीवन यापन की समस्या आ गई है। कई लोगों के पास आमदनी का कोई अन्य स्रोत ना होने की वजह से 2 महीने से पारिवारिक स्थिति काफी खराब हो गई है।
दरअसल एक साल पहले 8 जनवरी को यूनियन गठन और कम्पनी गेट पर झण्डा लगाने को लेकर उत्पन्न हुए विवाद के बाद डाइकिन प्रबंधन ने 56 श्रमिकों को निलम्बित कर दिया था। सभी निलम्बित श्रमिकों की निर्धारित तरीके से घरेलू जाँच चल रही थी। जाँच के दौरान कम्पनी द्वारा अचानक प्रतिदिन हाजिरी लगाने की शर्त रख दी गई अन्यथा निलंबन भत्ता रोक देने की बात कही गई, जबकि पहले इस तरह की कोई बात नहीं थी।
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इस प्रकार मज़दूरों के फ़रवरी और मार्च माह के भत्ते का भुगतान प्रबन्धन द्वारा नहीं किया गया। जबकि श्रमिकों ने प्रबंधन को यूनियन के माध्यम से लॉकडॉउन समाप्त होने और स्थिति के सामान्य होने तक घरेलू जाँच को स्थगित रखने पत्र प्रेषित कर दिया था। इसके बावजूद लॉकडॉउन के दौरान मज़दूरों के निलंबन भत्ते का भुगतान नहीं किया गया।
यह सरासर बदले की भावना से किया जा रहा है। डाइकिन कम्पनी प्रबंधन से संपर्क करने पर प्रबंधन का जवाब था कि “यूनियन की जिद छोड़ दो, नहीं तो कुछ नहीं मिलेगा और जो लेना है जाओ कोर्ट से लड़ कर ले लो”।
श्रम विभाग ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करने से फ़िलहाल इंकार दिया। श्रम विभाग मामले को टालने में लगा हुआ है। इस मामले की शिकायत एडीएम अलवर और एसडीएम नीमराना से भी की गई, मगर दोनों चुप्पी साधे बैठे रहे और कोई भी मदद करने से इंकार कर दिया।
ज्ञात हो कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा सभी फैक्ट्री मालिकों और प्रबंधकों से अनुरोध किया गया था कि इस लॉक डॉउन अवधि के दौरान किसी भी श्रमिक के वेतन भत्ते में से कटौती ना की जाए। मगर ज़मीनी हालत इसके बिल्कुल उलट है।
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