पंजाब के मलेरकोटला में उमड़ा जन-सैलाब

सीएए, एनपीआर व एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में एक लाख से ऊपर लोगों ने की शिरकत, 24 फ़रवरी से विरोध सप्ताह के ज़रिए संघर्ष जारी रखने का ऐलान

मलेरकोटला/चंडीगढ़, 16 फरवरी। पंजाब के किसानों, खेत मज़दूरों, औद्योगिक व बिजली मज़दूरों तथा नौजवानों, विद्यार्थियों के 14 संघर्षरत संगठनों के आह्वान पर 16 फरवरी को सी.ए.ए, एन.आर.सी व एन.पी.आर के ख़िलाफ़ मलेरकोटला की दाना मंडी में हुई राज्य-स्तरीय विशाल रैली के दौरान हज़ारों औरतों समेत विभिन्न धर्मों व जातियों के मेहनतकश लोगों का जन-सैलाब उमड़ आया।

‘भाई-भाई को लड़ने नहीं देना, सन् सैतालीस बनने नहीं देना’, ‘फ़ासीवाद मुर्दाबाद’ आदि के आसमान में गूँजते नारों को बुलंद करते हुए विशाल जनसमुदाय ने मोदी सरकार से फ़ासीवादी काले क़ानूनों को वापिस लेने की माँग बुलंद की।

इस दौरान दिल्ली के शाहीन बाग, जामीया मिलिया इस्लामीया यूनिवर्सिटी व कारवां-ए-मोहब्बत के विभिन्न प्रतिनिधि-मंडलों द्वारा भागीदारी की गई। सामूहिक इकट्ठ द्वारा एकजुट होकर ऐलान किया गया कि आर.एस.एस व भाजपा के केन्द्रीय सरकार द्वारा देश में सांप्रदायिक फूट डालने व अँध-राष्ट्रवाद भड़काकर लोगों को धर्म के नाम पर लड़ाने, जनवादी अधिकारों के हनन व आवाम की लूट को ओर तेज़ करने के जनद्रोही मंसूबों को वो सफ़ल नहीं होने देंगे।

इस अवसर पर मोदी सरकार की ओर से देश में फैलाए जा रहे सांप्रदायिक ज़हर को मात देने के लिए अभियान जारी रखने का संकल्प लेते हुए 24 से 29 फरवरी तक पंजाब भर में विरोध सप्ताह मनाने का ऐलान किया गया। वक्ताओं ने पंजाब की कांग्रेस सरकार को भी सख़्त चेतावनी देते हुए कहा कि यदि पंजाब सरकार द्वारा किसी से एन.पी.आर को लागू करने की कोशिश की गई तो वह पंजाब के लोगों के तीखे रोष का सामना करने के लिए तैयार रहे। उन्होने समय-समय पर सांप्रदायिक साज़िशों में शामिल रही तथा मौजूदा सांप्रदायिक फासीवादी हमले के पक्ष में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप में साथ दे रही शासक वर्गीय पार्टियों को भी जन-आक्रोश का सामना करने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी।

इस जुटान को भाकयू (एकता उगराहाँ) के प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहाँ, बीकेयू (एकता डकौंदा) के प्रधान बूटा सिंह बुर्ज गिल, टेक्सटाइल हौज़री कामगार यूनियन के प्रधान राजविंदर सिंह, किसान संघर्ष कमेटी पंजाब के कनवीनर कंवलजीत सिंह पन्नू, पंजाब खेत मज़दूर यूनियन के लछमन सिंह सेवेवाला, पी.एस.यू. (शहीद रंधावा) के होशियार सिंह, पीएसयू (ललकार) के नेता गुरप्रीत, इंकलाबी मज़दूर केन्द्र के सुरेन्द्र सिंह, मोल्डर एण्ड स्टील वर्कर यूनियन के हरजिंदर सिंह, किसान नेता हरविंदर बिन्दू, नौजवान भारत सभा (ललकार) की नेता नमिता, नौजवान भारत सभा के अश्विनी घुद्दा, इंकलाबी नौजवान विद्यार्थी मंच, टी.एस.यू के प्रमोद, से हरशा सिंह ने संबोधित किया।

इसके अलावा प्रसिद्ध बुद्दिजीवी हर्श मंदर, जामिया यूनिवर्सिटी से विद्यार्थी नेता सैफ उल इसलाम, शाहीन बाग से बड़े जत्थे का साथ पहुँचे तैमूर, प्रो. जगमोहन सिंह, डॉ. परमिंदर देशभगत यादगर कमेटी जालंधर, रजिंदर भदौड़ तर्कशील सोसाइटी पंजाब, अमोलक सिंह पलस मंच, अबदुल शकूर व शगुफता यावेर जमात-ए-इसलामी पंजाब, कुलवंत सिंह संधू जमहूरी किसान सभा, गुरनाम दाऊद देहाती मज़दूर सभा ने भी संबोधित किया। साथ ही अन्य विभिन्न संगठनों ने भी समर्थन किया। मलेरकोटला के सभी स्थानीय संगठनों ने भी सहयोग करते हुए इस जुटान के लिए लंगर का प्रबंध किया।

वक्ताओं ने कहा कि सी.ए.ए, ए,एन.आर.सी व एन.पी.आर की साम्प्रदायिक फासीवादी त्रिशूल के ज़रिए मोदी सरकार देश में सांप्रदायिक फूट डालने का कुकर्म कर रही है। इसका निशाना मुसलमानों मसेत अल्प-संख्यक, सभी मेहनतकश लोग, दलित, पिछड़ी श्रेणीयाँ, पीड़ित राष्ट्रीयताओं, जनपक्षधर बुद्धीजीवियों, धर्म निरपेक्ष व वैज्ञानिक सोच के धारणी व अधिकारों के लिए जूझते समूह संघर्षरत लोग हैं। उन्होंने दोष लगाया कि आर.एस.एस व भाजपा सरकार ने देशभक्ति के अर्थों के अनर्थ कर दिए हैं। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की जन व देश विरोधी नीतियों की आलोचना करने, आज़ादी के नारे लगाने व जय श्री राम ना बोलने को देश-द्रोही ऐलान कर जेलों में फेंकने व कट्टर हिन्दूत्वी भीड़ों से कत्लेआम कराया जा रहा है।

वक्ताओं ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार देशभक्ति के नाम पर जल, जंगल, ज़मीन व अन्य प्राकृतिक साधन कॉरपोरेट घरानों को लूटाने के ज़रिए लोगों से द्रोह कर रही है। लोगों ने कहा कि सच्चे देश भक्त तो मुसलमानों समेत धर्मों के वे मेहनतकश लोग हैं जो देश के उत्पादन में हिस्सा पा रहे हैं, देश के धर्म निरपक्ष अस्तित्व को कायम रखने, निजीकरण, उदारीकरण, विश्वीकरण, गरीबी, बेरोजगारी, कर्जमारी, खुदकुशियों के लिए जिम्मेवार नीतियों के खिलाफ, अडानियों-अंबानियों व कॉरपोरेट घरानों को लूटाए जा रहे यहाँ के साधनों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

वाक्ताओ ने ज़ोर देकर कहा कि देश की जनता को ख़तरा मुस्लमानों से नहीं बल्कि देश को बेचने की राह पर निकली मोदी सरकार व इसकी नीतियों से है। कहा कि मोदी सरकार देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने चाहती है पर इसका मतलब हिन्दू धार्मिक लोगों का विकास नहीं, बल्कि ऐसा पिछाखड़ी शासन स्थापित करना है यहाँ लोगों के बुनियादी जनवादी व क़ानूनी अधिकारों का पूरी तरह से हनन किया जा सके। लोगों ने कहा कि देश के शासकों द्वारा जब देश में सांप्रदायिक दंगे भड़काए गए हैं तो उसका सबसे ज़्यादा संताप औरतों व गरीब मेहनतकश लोगों को भुगतना पड़ा है। मौजूदा वक़्त में भाजपा सरकार द्वारा कट्टर हिन्दूत्वी जनून भड़का कर मुस्लमानों के ख़िलाफ़ दंगे भड़काने की साज़िश के ख़िलाफ़ जिस तरह से औरतें-नौजवान विद्यार्थी, बुद्धीजीवी, किसान व मज़दूर जाति-धर्मों से ऊपर उठकर मैदान में डटे हैं उन्होने एक बार सरकारी हमले को करारी ट्क्कर दी है।

वक्ताओं ने ज़ोर देकर कहा कि मोदी के सांप्रदायिक फ़ासीवादी क़दमों को देश की जनता कभी सफ़ल नहीं होने देगी व पंजाब के लोग इस संघर्ष में डटकर मैदान में उतर चुके हैं।

इस अवसर पर माँग की गई कि सी.ए.ए रद्द किया जाए, एन.पी.आर व एन.आर.सी के क़दम वापिस लिए जाएँ, इनका विरोध कर रहे लोगों पर दर्ज़ किए गए केस रद्द किए जाएँ व गिरफ़्तार लोग तथा बुद्धीजीवी रिहा किए जाएँ, जे.एन.यू व जामीया यूनिवर्सिटी व देश भर में लोगों पर दमन करने वाले अधिकारियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाए, जे.एन.यू. में नकाब पहनकर आए गुण्डों और मुस्लमानों के खिलाफ ‘गोली मारो’ जैसे बयानों के साथ साम्प्रदायिक जनून भड़काने के दोषी योगी अदित्यनाथ, अनुराग ठाकुर जैसे बड़े नेताओं, शाहीन बाग व जामिया में गोली चलाने वाले संघी गुण्डों, स्त्रियों के गुप्त अंगों पर लात मारने वालों और गार्गी कॉलेज में स्त्रियों पर जिनसी हमला करने वालों को सख्त सजाएँ दी जाएँ, देश भर में नज़रबंदी कैंप ख़त्म करके उनमें नज़रबंद किए गए लोग रिहा किए जाएँ, दिल्ली में थोपे गए एन.एस.ए समेत सारे काले क़ानून रद्द किए जाएँ।

प्रदर्शन में कशमीरी लोगों के आत्म-निर्णय के अधिकार को कुचलने, उनके उपर थोपी तानाशाह पांबदियाँ, धारा 370 ए व 35 ए खत्म करने, हज़ारों कश्मीरियो को नाजायज जेल में बंद करने, दमन करने के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पास किया गया। इसके अलावा कल (15 फरवरी) संगरूर के लौंगोवाल कस्बे में स्कूल वैन के दर्दनाक हादसे के दौरान चार मासूम बच्चों की हुई मौतें के लिए स्थानीय व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराते हुए शोक प्रस्ताव पारित किया गया।

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