CAA-NRC: लखनऊ के घंटाघर पर भी महिलाओं का रात-दिन का धरना शुरू

रात में बिजली काट दी गई, लेकिन मोमबत्ती और मोबाइल टॉर्च की रोशनी में रात भर धरना चलता रहा

शुक्रवार को धरना शुरू हुआ तो रात में बिजली काट दी गई, लेकिन मोमबत्ती और मोबाइल टॉर्च की रोशनी में रात भर धरना चलता रहा। महिलाओं ने आरोप लगाया है कि सर्दी की रात में आग जलाने के लिए जो कोयला मंगाया गया था पुलिस द्वारा उस पर भी पानी डाल दिया गया।

प्रशासन के ज़बर्दस्त दबाव के बावजूद शुक्रवार की दोपहर लखनऊ के घंटाघर पर नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के विरोध में शुरू हुआ महिलाओं का धरना अभी भी जारी है। धरने पर मौजूद प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है की धरना शाहीनबाग़ (दिल्ली) की तरह उस समय तक जारी रहेगा जब तक केंद्र सरकार सीएए को वापस नहीं ले लेती है।

राजधानी लखनऊ के पुराने इलाक़े हुसैनाबाद में स्थित घंटाघर पर शुक्रवार की दोपहर क़रीब दो बजे 25-30 महिलाओं ने सीएए के विरोध में प्रदर्शन शुरू कर दिया।अचानक शुरू हुए प्रदर्शन को रुकवाने के लिए स्थानीय प्रशासन ने महिलाओं पर दबाव बनाने की कोशिश शुरू कर दी।

लेकिन देखते ही देखते देर तक प्रदर्शन स्थल पर बड़ी संख्या में महिलाएँ जमा होने लगी।जिसको देख प्रशासन द्वारा इलाक़े की विद्युत आपूर्ति बंद करा दी गई।लेकिन महिलाओं धरना स्थल से वापस नहीं गई है। अंधेरे में मोमबत्ती और मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में रात भर धरना चलता रहा।

महिलाओं ने आरोप लगाया है कि सर्दी की रात में आग जलाने के लिए जो कोयला मंगाया गया था पुलिस द्वारा उस पर भी पानी डाल दिया गया है। महिलाओं ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि शुक्रवार की रात घंटा घर के पास ही खड़ी उनकी गाड़ियों का भी पुलिस द्वारा चालान किया गया है जबकि इलाक़ा नो पार्किंग ज़ोन में नहीं आता है।

शनिवार की सुबह घंटाघर को पुलिस ने चारों तरफ़ से घेर लिया और लेकिन सीएए के विरोध में प्रदर्शन करने आने वाली महिलाओं का सिलसिला नहीं रुका। धरना स्थल पर पहुँची महिलाओं द्वारा सीएए के विरोध में नारे लगाए जा रहे हैं। महिलाओं के हाथों में प्लेकार्ड और जिन पर महात्मा गांधी की तस्वीर बनी है और सीएए वापस लो जैसे नारे लिखे हैं। धरने पर बैठी महिलाओं की ज़ुबां पर देशभक्ति के गीत थे- सारे जहाँ से अच्छा और हम होंगे क़ामयाब।

प्रदर्शन में शामिल तसनीम का कहना है कि दिल्ली के विश्वविद्यालयों में छात्राओं के साथ पुलिस ने जिस तरह की बर्बरता की है वह निंदनीय है। उनके अनुसार भारतीय जनता पार्टी का “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” का नारा सिर्फ़ एक जुमला है। तसनीम कहती हैं चुनाव से पहले जो हम से वोट माँगने आए थे, वह नेता अब हमसे नागरिकता का प्रमाण माँग रहे हैं। उनके अनुसार सीएए क़ानून हिन्दुस्तान में रहने वाले लोगों के बीच विभाजन करने की नीयत से लाया गया है।

प्रदर्शनकारियों के बीच मौजूद सोमैया राना कहती हैं कि दिल्ली की महिलाओं की तरह लखनऊ की महिलाओं ने भी अपनी ज़िम्मेदारी को समझा और सीएए जैसे विभाजनकारी क़ानून के खिलाफ़ इस प्रदर्शन शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के शाहीनबाग़, इलाहाबाद के रौशन पार्क और कानपुर के मोहम्मद अली पार्क की तरह अब लखनऊ के घंटाघर पर भी महिलाएं धरना दे रही है। लेकिन तीन तलाक़ पर क़ानून बनाकर मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में बात करने वाली सरकार का कोई नुमाइंदा उनसे मिलने नहीं आया है।

सोमैया राना के अनुसार उन्होंने प्रशासन से प्रदर्शन के लिए अनुमति माँगी थी लेकिन प्रशासन द्वारा अनुमति नहीं दी गई। लेकिन महिलाओं को अपना लोकतांत्रिक अधिकार मालूम है और वह शांतिपूर्ण ढंग से सीएए के विरोध में प्रदर्शन शुरू कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की हमेशा से नीति विभाजनकारी रही है और सीएए लाकर सरकार नगरिकता को भी धर्म से जोड़ना चाहती है, जो संविधान के विरुद्ध है।

धरने पर बैठी साजिदा सबा कहती हैं कि योगी आदित्यनाथ सरकार को जितना दमन करना था 19 और 20 दिसंबर 2019 को कर लिया। हमको दबाव बना कर प्रदर्शन करने से रोका नहीं जा सकता है और न हम सीएए के विरोध में प्रदर्शन करने से पीछे हटेगे। साजिदा सबा एक गृहणी हैं और उनका कहना है कि वे धरने पर भी अपनी ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए आयी हैं। संविधान ने जो उन्हें नागरिकता दी है उससे किसी क़ानून से ख़त्म नहीं किया जा सकता है।

प्रदर्शनकरियों को संबोधित करते हुए मधु गर्ग ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ “बदला लेना चाहते हैं और हम बदलाव लाना चाहते हैं”। उन्होंने कहा कि अगर सरकार सीएए वापस नहीं लेगी तो हम सारे देश को शाहीनबाग़ बना देंगे।मधु गर्ग ने कहा कि सत्ता में बैठी पार्टी को चुनाव में मालूम हो जाएगा कि उनकी विभाजनकरी नीतियों से जनता में कितनी नाराज़गी है।

समाजिक कार्यकर्ता नाहिद अक़ील का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सीएए के विरोध करने वाले प्रदर्शनकरियों को पुलिस ने जेल भेज दिया है। लेकिन हज़ारों पुलिसवालों जिन्होंने प्रदर्शनकारियों से बर्बरता की और कई शहरो में तोड़-फोड़ की उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। जबकि ऐसा करने वाले पुलिसकर्मियों की फ़ोटो सीसीटीवी में देखी जा सकती है। नाहिद अक़ील कहती हैं कि असम में एनआरसी के नाम पर सरकारी ख़ज़ाने को ख़ाली किया और अब सारे देश में एनआरसी के नाम पर 3941करोड़ रुपये बर्बाद करने की तैयारी है।

इतिहास की शिक्षक फ़ौज़िया कहती हैं कि केंद्र सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि एनआरसी नहीं होगा जबकि गृहमंत्री अमित शाह कहते हैं सारे देश में एनआरसी आएगा। उन्होंने कहा तीन तलाक़ पर मुस्लिम महिलाओं कि बात करने वाली पार्टी की सरकार महिलाओं के धरने में बिजली सप्लाई बंद करवा देती है। फ़ौज़िया ने कहा की तीन तलाक़ का मुद्दा भी अल्पसंख्यक समाज का अंदरूनी मसला है, इसमें सरकार का हस्तक्षेप करना भी ग़लत था। इससे साबित होता है कि तीन तलाक़ पर क़ानून बनाना सिर्फ़ पाखंड था।

दिव्यांग तरन्नुम नसीम अब्बासी कहती हैं कि वह धरने में इसलिए आई हैं क्योंकि सीएए लाकर मोदी सरकार देश की एकता को तोड़ना चाहती है। बता दें कि पुलिस द्वारा धरना स्थल पर पुरुषों को जाने से रोका जा रहा है। कल शाम से अब तक कई बार उनको खदेड़ा जा चुका है। पुलिस ने घंटाघर के पास दो लोगों को हिरासत में भी लिया है। जब हिरासत में लिए गए लोगों के बारे में अपर पुलिस उप आयुक्त विकास चंद त्रिपाठी से पूछा तो उन्होंने कहा “प्रेस को हर जानकारी देने के लिए हम बाध्य नहीं है”। जितनी जानकारी दी जा सकती है वह बाद में बता दी जाएगी

न्यूजक्लिक से साभार

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