एबीवीपी के वीडियो और फोटो पर आधारित थे जेएनयू हिंसा से जुड़े पुलिस के अधिकतर सबूत: रिपोर्ट

New Delhi: DCP (Crime) Joy Tirkey releases photographs of suspects in JNU violence as Delhi Police PRO MS Randhawa (R) looks on, during a press conference in New Delhi, Friday, Jan. 10, 2020. (PTI Photo)(PTI1_10_2020_000130B)

दो छात्रों के एबीवीपी से जुड़े होने के बावजूद जिक्र नहीं

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने जेएनयू कैंपस में हुई हिंसा मामले में शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की जानकारी दी कि इस हिंसा में शामिल नौ आरोपी छात्रों की पहचान कर ली है. इनमें जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष, एक काउंसिलर समेत सभी जेएनयू के छात्र हैं. आरोपियों में आईशी घोष समेत सात वामपंथी संगठन से और दो एबीवीपी से जुड़े हैं. पुलिस ने सबूत के तौर पर इनके पोस्टर भी जारी किए.

हालांकि, दिल्ली पुलिस ने छात्रों और शिक्षकों पर हुए नकाबपोश लोगों के हमले को लेकर किसी समूह का नाम नहीं लिया, जिसमें 36 लोग घायल हो गए थे. पुलिस ने यह भी दावा किया कि पांच जनवरी की हिंसा ऑनलइन पंजीकरण प्रक्रिया से जुड़ी थी और जेएनयू में एक जनवरी से ही तनाव था. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, नौ में से सात छात्रों को हिंसा से जुड़ा हुआ बताने के दौरान दिल्ली पुलिस पिछले पांच दिनों से एबीवीपी द्वारा फैलाए जा रहे वीडियो और फोटो पर निर्भर दिखी.

एबीवीपी ने इंडियन एक्सप्रेस से यह बात स्वीकार की है कि हिंसा के बाद उन्होंने जिन फुटेज को ऑनलाइन और वॉट्सएप के माध्यम से फैलाया था, उन्हें दिल्ली पुलिस को भी दिया था. प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए एसआईटी के प्रमुख, पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) जॉय टिर्की ने कहा कि नौ में सात छात्र लेफ्ट संगठनों एसएफआई, एआईएसएफ, आईसा और डीएसएफ से जुड़े हुए हैं. हालांकि, इस दौरान दो अन्य छात्रों के एबीवीपी से जुड़े होने के बावजूद उन्होंने एबीवीपी का जिक्र नहीं किया.

हिंसा में जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष के शामिल होने की ओर इशारा करते हुए टिर्की ने कथित तौर पर रविवार की हिंसा से जुड़े हुए कई वीडियो में से एक का स्क्रीनशॉट दिखाया. इसी वीडियो को एबीवीपी ने 6 जनवरी को सुबह 11.35 बजे ट्वीट किया था. पुलिस द्वारा शेयर किए गए वीडियो ग्रैब के आगे लिखा था, पेरियार हॉस्टल बर्बरता के वीडियो में लाल बैग के साथ घोष दिखाई दे रही हैं, वह अपने नकाबपोश हिंसक कॉमरेड गिरोह का नेतृत्व कर रही हैं.

पुलिस ने एक वीडियो का स्क्रीन ग्रैब भी साझा किया जिसमें कथित तौर आईसा के डोलन सामंत को दिखागया है. ठीक यही वीडियो एबीवीपी द्वारा 6 जनवरी को शाम 6.27 बजे ट्वीट किया गया था. कथित तौर पर आईसा से जुड़े जेएनयू के एक पूर्व छात्र चुनचुन कुमार को दिखाने वाली दो तस्वीरें भी पुलिस ने जारी की जिसमें लिखा था, ‘आईसा कार्यकर्ता (पेरियार हॉस्टल के बाहर हाथ में छड़ी लेकर पत्थर फेंकते हुए). ठीक यही तस्वीर एबीवीपी के संगठनात्मक सचिव आशीष चौहान ने 7 जनवरी को 11.54 बजे ट्वीट की थी.’

जेएनयू में एबीवीपी सचिव मनीष जांगीड़ ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘जब पथराव और हिंसा हो रही थी, हमारे कुछ कार्यकर्ता और अन्य छात्रावास के कर्मचारी छत पर चले गए थे और उन्होंने इस फुटेज को फिल्माया था. हमने अपनी शिकायत के साथ सभी फुटेज पुलिस को सौंपे थे.’ पुलिस ने अभी तक एक भी गिरफ्तारी नहीं की है. प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता एमएस रंधावा इस बात पर कायम थे कि जेएनयू में रविवार को हुई हिंसा की जांच क्राइम ब्रांच द्वारा की जा रही है.

उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ दिनों में, विशेष रूप से जांच के बारे में हर जगह गलत सूचना फैलाई जा रही है. हम घटनाओं की श्रृंखला के बारे में जानकारी देना चाहते हैं और जांच के बारे में मीडिया को अपडेट करना चाहते हैं. इसके अलावा, मैं बताना चाहता हूं कि इन मामलों में एक प्रतिष्ठित संस्थान और उसके छात्र शामिल हैं. इन छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए, हम जो जानकारी साझा कर रहे हैं वह संवेदनशील है और हम आशा करते हैं कि आप जानकारी को उचित परिप्रेक्ष्य में रखेंगे.’

इस दौरान पुलिस द्वारा किए गए वीडियो और उसके साथ लिखे गए कैप्शन में भी कुछ गलतियां देखी गईं. एबीवीपी के शिवपूजन मंडल की तस्वीर विकास पटेल की जगह इस्तेमाल की गई और बाद में इस तस्वीर को सही किया गया और पुलिस द्वारा एक नया दस्तावेज जारी किया गया. जेएनयू छात्रसंघ ने इस पर कहा कि यह एसआईटी की लापरवाही दिखाता है.

इसके साथ ही दिल्ली पुलिस ने स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) को एक नहीं कई बार स्टूडेंट फ्रंट ऑफ इंडिया कहा. पुलिस ने सुचेता तालुकदार की भी पहचान गलत तरीके से एसएफआई कार्यकर्ता  के रूप में की गई. जबकि वह ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आईसा) से जेएनयूएसयू काउंसिलर हैं. पुलिस ने कहा कि पटेल ‘एमएस’ कोरियन कोर्स कर रहे हैं जबकि जेएनयू में ‘एमएस’ से शुरू होने वाला कोई कोर्स नहीं है. टिर्की और रंधावा ने मीडिया को कोई सवाल नहीं पूछने दिया.

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