मजदूर यूनियनों का राष्ट्रव्यापी आंदोलन आज

करीब 25 करोड़ श्रमिक दिखाएंगे अपनी ताकत

नयी दिल्ली. केंद्र सरकार की जन-विरोधी नीतियों के खिलाफ बुधवार को मजदूर यूनियनों का राष्ट्रव्यापी आंदोलन है. आंदोलन में करीब 25 करोड़ लोगों के भाग लेने का अनुमान व्यक्त किया गया है.

राष्ट्रव्यापी इस आंदोलन को इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी सहित विभिन्न संघों और महासंघों का समर्थन प्राप्त है. मजदूर यूनियनों ने पिछले साल सितंबर में ही आठ जनवरी 2020 को आंदोलन का फैसला कर दिया था. आंदोलन के आह्वान को देखते हुये सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंकों ने बुधवार को बैंकिंग सेवाओं पर असर पड़ने के बारे में पहले ही शेयर बाजारों को सूचित कर दिया है. बैंक कर्मचारियों के सगठनों एआईबीईए, एआईबीओए, बीईएफआई, आईएनबीईएफ, आइ्रएनबीओसी और बैंक कर्मचारी सेना महासंघ ने आंदोलन का समर्थन करने और इसमें भाग लेने की इच्छा जाहिर की है.


इससे सरकारी क्षेत्र के बैंकों में जमा राशि स्वीकार अथवा निकासी करने, चेक क्लियरेंस और दूसरी सेवायें प्रभावित हो सकती हैं. हालांकि, निजी क्षेत्र के बैंकों पर आंदोलन का असर नहीं पड़ने की संभावना है. बैंकिग सेवाओं के अलावा विभिन्न राज्यों में परिवहन सेवाओं पर भी आंदोलन का असर पड़ सकता है. पश्चिम बंगाल में वामदलों से संबंद्ध मजदूर यूनियनों ने केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ बंद का आह्वान किया है. हालांकि, राज्य सरकार ने कहा है कि वह किसी बंद का समर्थन नहीं करेगी.


दस केन्द्रीय मजदूर यूनियनों ने संयुक्त बयान जारी कर कहा है, ‘श्रम मंत्रालय ने कर्मचारियों की किसी भी मांग के बारे में कोई भी आश्वासन नहीं दिया है. मंत्रालय ने दो जनवरी 2020 को यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी. सरकार की नीतियों और कार्रवाई से लगता है कि उसका रवैया मजदूरों के प्रति उपेक्षा का है.’ इस बीच, केन्द्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से कहा है कि वह अपने कर्मचारियों को आंदोलन से दूर रहने को कहें. उपक्रमों से कहा गया है कि वह कामकाज को सामान्य बनाये रखने के लिये आकस्मिक योजना भी तैयार रखें. उधर, केरल में मजदूर संगठनों ने राज्य के पर्यटन क्षेत्र को आम हड़ताल से अलग रखा है. केरल ट्रैवल मार्ट सोसायटी ने मजदूर संगठनों और राजनीतिक दलों के इस फैसले को ‘अनुकरणीय’ बताया है.


केन्द्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को भी आंदोलन से दूर रहने को कहा है. कार्मिक विभाग द्वारा जारी एक कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है, ‘कोई भी कर्मचारी यदि किसी भी तरह से हड़ताल में शामिल पाया जाता है तो उसे परिणाम भुगतने को तैयार रहना चाहिये. उसके वेतन में कटौती करने से लेकर उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है.


(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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