असमः नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को मंज़ूरी के बाद सामूहिक भूख हड़ताल

भारतीय राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को मंज़ूरी दिए जाने के बाद गुवाहाटी में सैकड़ों लोगों ने सामूहिक भूख हड़ताल शुरू कर दी है.

धुंध के बावजूद शहर के चांदमारी मैदान में सुबह छह बजे से ही लोगों का आना शुरू हो गया था. सुबह सात बजते ही लोग यहां बाकायदा भूख हड़ताल पर बैठ गए थे.

इस भूख हड़ताल का आह्वान ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) ने किया है लेकिन इसमें कई अन्य संगठनों के लोग भी शामिल हैं.

भूख हड़ताल का नेतृत्व आसू प्रमुख समुज्जल भट्टाचार्य कर रहे हैं.

उन्होंने पत्रकारों से कहा, “राष्ट्रपति संविधान के कस्टोडियन (रक्षक) होते हैं. हमें उम्मीद थी कि वो संवैधानिक प्रावधानों का ख़्याल रखते हुए इस विधेयक को मंज़ूरी नहीं देंगे लेकिन उन्होंने रात में ही कैब को मंज़ूरी दी. इसका हमें दुख है.”

भट्टाचार्य ने कहा, “हम कैब को नहीं मानते हैं और कभी नहीं मानेंगे, भले ही इसे राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिल गई हो. कोई भी सरकार हम पर अपना क़ानून जबरन नहीं थोप सकती है. असम के लोग इसके ख़िलाफ़ हैं और हमारा नारा है: कैब आमी ना मानू, ना मानू ना मानू. हमें कैब किसी क़ीमत पर मंज़ूर नहीं है. हम इसका प्रजातांत्रिक तरीक़े से विरोध करते रहेंगे.”

भाजपा विधायक के घर में आगज़नी:

इस बीच डिब्रूगढ़ जिले में चाबुआ के बीजेपी विधायक के घर में प्रदर्शनकारियों ने बुधवार शाम आग लगा दी.

लोगों ने राज्य सरकार के मंत्री रंजीत दत्ता के सोनितपुर स्थित घर और सूटा की बीजेपी विधायक पद्मा हज़ारिका और बिहुपूरिया के विधायक देबानंद हज़ारिका के घरों में भी तोड़फोड़ की.

डिब्रूगढ़ और गोलाघाट जिले में कई जगहों पर आरएसएस और बीजेपी के दफ़्तरों पर हमले किए गए हैं.”

अखिल गोगोई गिरफ़्तार:

असम के चर्चित एक्टिविस्ट और कृषक मुक्ति संग्राम समिति के नेता अखिल गोगोई को भी पुलिस ने बुधवार जोरहाट में गिरफ़्तार कर लिया.

पुलिस के प्रवक्ता ने इसकी पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि अखिल गोगोई को निरोधक कार्रवाई के तहत गिरफ़्तार किया गया.

अपनी गिरफ़्तारी से पहले वे जोरहाट के डीसी दफ्तर के बाहर हुए प्रदर्शन में शामिल थे.

भारत के कई हिस्सों में ख़ासकर पूर्वोत्तर राज्यों में नागरिकता संशोधन क़ानून का ज़ोरदार विरोध हो रहा है. इससे पहले गुवाहाटी में कैब का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों और पुलिस की झड़प में दो लोगों की मौत हो गई थी.

गुरुवार को शहर में कर्फ़्यू के बावजूद हज़ारों लोग जगह-जगह सड़कों पर निकल पड़े थे.

राज्य के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने बीबीसी संवाददाता को बताया कि सरकार ने प्रदर्शनकारियों के सामने बातचीत के लिए संदेश भेजा है. मुख्यमंत्री ने लोगों से शांति की अपील की है.

बीबीसी को दिए एक ख़ास इंटरव्यू में सोनोवाल ने कहा, “प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने कहा है कि हमारी सरकार असम के लोगों की पहचान की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है.

हमारे बीच कोई भ्रम नहीं होना चाहिए. लेकिन, हमें कुछ समय दें ताकि हम साथ मिलकर इस मामले का शांतिपूर्ण हल निकाल सकें.”

साभार : बीबीसी हिंदी से रवि प्रकाश की रिपोर्ट

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