स्वाति सरिता की कविता : कर दो उन सभी का एनकाउंटर

कर दो उन सभी का एनकाउंटर / स्वाति सरिता

कर दो उन सभी का एनकाउंटर
जो बंद है भारतीय जेलों में,

हजारों बलात्कार के आरोपी
और उन सब का भी
जो है आपके भाई, बाप, ताऊ, चाचा, सगे संबंधी
उन सभी का जिन्होंने अपनी हवस भरी निगाह लड़कियों पर डाली
और उन सब का भी जो है
‘भविष्य के बलात्कारी’ छोटे बच्चे
उनका भी जो
महिलाओं के यौन अंगो पर गालियां बनाते हैं
दिन रात उनका उपयोग करते हैं
अपना मर्दवादी अहंकार, गुस्सा, द्वेष उजागर करने को

इस तरह देश के 70 फ़ीसदी से ज्यादा पुरुषों का एनकाउंटर कर दिया जाए,
सिर्फ अपने मन की संतुष्टि के लिए,
अपने अंदर उबलते गुस्से को दबाने के लिए
बिल्कुल उसी तरह जिस तरह एक प्रेशर कुकर की सीटी उठा दी जाती है,
कुकर फटने के डर से

अंत में उन सभी औरतों को साबित कर देना
चरित्रहीन ,कुलटा, घरतोडू
जिनका भी हुआ बलात्कार
और आवाज उठाने वाली औरतों को बताना
इन सब का जिम्मेदार
जो प्रदर्शन करती है,
“पितृसत्ता” के खिलाफ,
व बराबरी के हक के लिए।



कवयित्री : स्वाति नौडियाल


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