एलजीबी यूनियन अध्यक्ष की लगातार जीत
एलजीबी प्रबन्धन की याचिका उच्च न्यायालय से फिर ख़रिज, प्रबन्धन द्वारा क़ानूनी पेचीदगियों में उलझाने का खेल जारी. . .
रुद्रपुर। अपनी हठधर्मिता पर अड़े एलजी बालाकृष्णनन पंतनगर के प्रबन्धन की रिट याचिका एक बार फिर उच्च न्यायालय से ख़रिज हो गयी। दरअसल एलजीबी वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह की श्रम न्यायालय से कार्यबहाली के आदेश के बाद एलजीबी प्रबन्धन उच्च न्यायालय नैनीताल से हारा तो उच्चतम न्यायालय में एसएलपी दाखिल की थी, जो ख़ारिज हो गयी थी। दोबारा नई कहानी के साथ वह उच्च न्यायालय नैनीताल गया, जहाँ से उसे फिर पराजय मिली। इधर उप श्रमायुक्त ने इस मामले में प्रबन्धन को कारण बताओं नोटिस जारी की है। जबकि बौखलाये प्रबन्धन ने दो और यूनियन नेताओं की गैरक़ानूनी गेटबन्दी कर दी है।
दरअसल, सन 2012 में एलजीबी प्रबन्धन ने एलजीबी वर्कर्स यूनियन के तत्कालीन महामंत्री व वर्तमान अध्यक्ष विरेंद्र सिंह को यूनियन बनाने पर ग़ैरक़ानूनी रूप से बर्खास्त कर दिया था। मज़दूरों ने एकता के साथ कंपनी के भीतर और श्रम न्यायालय में संघर्ष जारी रखा। सन 2015 में श्रम न्यायालय, काशीपुर ने इसे अनुचित श्रम अभ्यास बताते हुए बख़ार्स्तगी को गलत ठहराया था।
इस जीत के बावजूद काफी संघर्ष के पश्चात 2015 में उनकी कार्यबहाली हुई थी, लेकिन उसने उच्च न्यायालय में इस आदेश को चुनौती दे दी थी। लेकिन उच्च न्यायालय ने श्रम न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा। प्रबन्धन ने उच्च न्यायालय के आदेश के खि़लाफ उच्चतम न्यायालय में एसएलपी दाखि़ल की जो वहाँ भी ख़ारिज हो गई थी।
प्रबन्धन ने नए तथ्य गढ़ते हुए एकबार फिर उच्च न्यायालय, नैनीताल में रिट दायर की, जहाँ अधिवक्ता योगेश पचौलिया की पैरवी से वह 28 नवम्बर को ख़ारिज हो गई। प्रबन्धन अब फिर से उच्चतम न्यायालय जाने की तैयारी कर सकता है, जाकि मामला उलझा रहे।
इसबीच वीरेन्द्र को आदेश के बावजूद स्थाई श्रमिक का पत्र देने की जगह ट्रेनी श्रमिक के रूप में रखने और स्थाई श्रमिकों के समान वेतन व सुविधाएं ना देने और लगातार उत्पीड़ित करने के लिए उप श्रमायुक्त ऊधम सिंह ने कारण बताओ नोटिस जारी कर दी है।
लेकिन प्रबन्धन लगातार मज़दूरों का उत्पीड़न बढ़ाता रहा है। बौखलए प्रबन्धन ने कम्पनी के अन्य मज़दूरों का दमन भी तेज कर दिया। प्रबन्धन ने यूनियन के कोषाध्यक्ष ललित बोरा व संगठन मंत्री गोविंद सिंह की 11 नवंबर से गैरकानूनी गेटबंदी कर दी है।
उल्लेखनीय है कि एलजीबी वर्कर्स यूनियन के माँग पत्र पर जनवरी 2017 से औद्योगिक विवाद चल रहा है, जोकि श्रम न्यायालय में लंबित है। अन्य कई मुद्दे भी विवादित हैं, जिनमें वीरेंद्र सिंह को स्थाईकरण का पत्र देने सहित वेतन व सुविधाओं को देने का भी मामला है।
प्रबंधन यूनियन के कई पदाधिकारियों सहित दर्जनों श्रमिकों को झूठे आरोपों में कथित घरेलू जाँच के बहाने उत्पीड़ित करता रहा। प्रबंधन पन्तनगर प्लांट के साथ जिले के रुद्रपुर प्लांट में कार्यरत श्रमिकों, जिनमें यूनियन के पदाधिकारी भी शामिल हैं, को भी तरह-तरह से परेशान कर रहा है। इस प्लांट के मज़दूरों को यूनियन से अलग होने का भी वह दबाव बनाता रहा है।
इन सारी स्थितियों के बावजूद मज़दूर एकजुट हैं और संघर्ष जारी है।
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