52 दिनों की हड़ताल के समापन, व 31 मज़दूरों की मौत के बाद संघर्ष ले रहा है नया मोड़ 

तेलंगाना सरकार ने TSRTC के 48,563 मज़दूरों से वापस काम पर आने का आह्वान किया

आंदोलन की अगुवाई कर रही ज्वाइंट एक्शन कमेटी (JAC) ने सोमवार को ही सभी मज़दूरों को अगले दिन से काम पर वापस लौटने को कहा था, और सरकार द्वारा लगाए गए अस्थाई कर्मचारियों से काम पर न आने का निवेदन किया था। JAC के संयोजकों ने घोषणा की थी की हड़ताल खत्म होने के बावजूद मज़दूरों के विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिए संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने प्रबंधन द्वारा मज़दूरों को वापस ना लेने पर पहले से अधिक ज़ोर के साथ हड़ताल को फ़िर शुरू करने की चेतावनी भी दी थी। साथ ही उन्होंने मृत मज़दूरों के परिवारों के लिए सहायता व सार्वजनिक परिवहन को बचाए रखने के प्रति अपने दृढनिश्चय को भी दोहराया था। 

पिछले दो महीनों से संघर्षरत तेलंगाना राज्य रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के मज़दूर आज वापस अपने अपने पदों पर लौट रहे हैं। हड़ताल को गैर कानूनी करार कर के 48,563 परिवहन मज़दूरों को काम से बर्खास्त घोषित करने के बाद कल, 28 नवंबर को तेलंगाना सरकार ने मज़दूरों से बिना शर्त काम पर लौटने का आह्वान किया है। सरकार की यह घोषणा सोमवार 25 नवंबर को यूनियन द्वारा हड़ताल समापन की घोषणा के तीन दिन बाद आई है। 

25 नवंबर की JAC की घोषणा के बाद भी मज़दूरों की बर्ख़ास्तगी पर TSRTC प्रबंधन का शुरुआती रुख पहले की तरह ही कठोर था। मंगलवार को कर्मचारियों को काम पर लौटने से रोकने के लिए हर बस अड्डे पर बड़ी तादाद में पुलिस कर्मी तैनात किए गए थे। किंतु संघर्ष में मज़दूरों को अडिग देख कर, सरकार व प्रबंधन को अपने कदम पीछे लेने पड़े।

अक्टूबर 5 को शुरू हुई हड़ताल ने करीब दो महीने तक पूरे तेलंगाना राज्य का चक्का जाम कर रखा था। हड़ताल को राज्य व देश के अन्य यूनियनों व मज़दूर संगठनों का पुरजोर समर्थन मिला। इसमें से सबसे महत्वपूर्ण था अक्टूबर 19 को 50 हज़ार टैक्सी ड्राइवरों की हड़ताल जिसमें निजी कंपनी ओला व उबर के ड्राइवर भी शामिल थे। आंदोलन के दौरान 4 कर्मचारियों ने आत्महत्या की, व 27 कर्मचारियों की दिल के दौरे व अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मौत हुई। राज्य की सभी विपक्षी पार्टियों द्वारा भी हड़ताल को समर्थन मिला।

व्यापक संघर्ष और समर्थन के बावजूद, सरकारी सेवाओं के निजीकरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का बेमिसाल परिचय देते हुए के. सी. आर सरकार व प्रबंधन इस पूरे दौर में मात्र एक बार मज़दूरों से बात करने आए। कल की घोषणा में भी सरकार ने मज़दूरों की एकता तोड़ने की कोशिश करते हुए यूनियनों और मज़दूर संगठनों को ही समस्या का मूल जड़ बताया और कहा कि मज़दूरों को इनके द्वारा भड़काया जा रहा है। हालांकि अब तक भी सरकार ने मज़दूरों की एक भी मांग स्वीकार नहीं की है, प्रबंधन और प्रशासन द्वारा कल लिया गया यह कदम सरकार की विवशता को ही बयान करता है। 

About Post Author