तेलंगाना – कर्मचारियों के लिए सख्त, विधायकों की सैलरी बढ़ा कर 2.5 लाख रूपये कर दी

डेढ़ माह से ज्यादा समय से आंदोलनरत हैं तेलंगाना के रोडवेज कर्मचारी 

तेलंगाना में तेलंगाना स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन के 48 हजार से ज्यादा कर्मचारी करीब डेढ़ माह से आंदोलन पर हैं। उनकी मांग नियमितीकरण करने और सम्मानजनक वेतन की है, जबकि सरकार आंदोलन के खिलाफ है। मुख्यमंत्री ने सभी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। लेकिन यह मुख्यमंत्री अपने विधायकों की सैलरी बढ़ाने में पीछे नहीं है। सीएम ने विधायकों की सैलरी 80 हजार से बढ़ा कर 2.5 लाख रूपये कर दिया है।

इंडियन फ़ेडरेशन ऑफ़ ट्रेड यूनियन्स (इफ़्टू) के ऑल इंडिया प्रेसिडेंट एस वेंकटेश्वरा राव ने बताया कि कर्मचारी के. चंद्रशेखर राव की सरकार से नई बसें ख़रीदने की मांग कर रहे हैं। उनके अनुसार, सरकार ने कर्ज में दबे टीएसआरटीसी को ख़त्म करने के लिए निजी बसें संचालित करने का फैसला किया है।

कर्मचारियों की मांग है कि उन पर काम का भार कम करने के लिए खाली पदों को भरा जाए और साल 2017 से लंबित पीआरसी को लागू किया जाए। अलग-अलग ट्रेड यूनियनों को मिलाकर बनाई गई ज्वाइंट एक्शन कमेटी (जेएसी) ने हड़ताल का नोटिस दिया था। लेकिन सरकार ने कर्मचारियों और उनकी हड़ताल की नोटिस को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया।

सरकार ने इन सारे मामलों को देखने के लिए एक कमेटी का गठन किया था लेकिन बिना नतीजा इसको भंग भी कर दिया। जेएसी का कहना है कि सरकार ने कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने के लिए मज़बूर किया है। हालांकि केसीआर सरकार ने इस हड़ताल को तोड़ने के लिए जान लगा दी लेकिन हड़ताल नहीं टूटी।

सरकार ने दमन का सहारा लिया और कई कर्मचारी नेताओं को जेल में बंद कर दिया है। हड़ताल के पहले दिन कई नेताओं, कर्मचारी और जिन अन्य ट्रेड यूनियनों ने समर्थन दिया था उनके नेताओं को गिरफ़्तार किया गया। अभी तक केसीआर ने कर्मचारी यूनियन से बातचीत की कोई पहल नहीं की है। पिछले पांच साल से राज्य में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की सरकार है जिसने अभी तक खाली पदों को नहीं भरा।

लेकिन उसने एक झटके में 48,660 कर्मचारियों को निकाल दिया। वेंकटेश्वरा राव का कहना है कि कर्मचारी आरटीसी और अपने परिवारों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं और उनके संघर्ष को इफ़्टू का समर्थन है।  इफ़्टू की सेंट्रल एक्जीक्युटिव कमेटी ने भी हड़ताल करने वाले कर्मचारियों को अपना समर्थन व्यक्त किया है।  मासा ने कहा है कि मुख्यमंत्री ने जिस तरह एक आदेश में 48,660 कर्मचारियों को बाहर निकाल दिया है, वो संविधान विरोधी है।

बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री जानबूझ कर इस तथ्य को छिपा रहे हैं कि इस तरह के मामलों को सुलझाने के लिए औद्योगिक विवाद अधिनियम मौजूद है। बयान में कहा गया है कि जब तेलंगाना राज्य बनाने का आंदोलन हुआ था तो केसीआर ने वादा किया था कि वो कर्मचारियों के हित में काम करेंगे। चुनावों के दौरान भी उन्होंने ये वादा दुहराया था। लेकिन उन्होंने अपने वादे से उलट आरटीसी पर 5,000 करोड़ का टैक्स लगा दिया, जिससे वो और कर्ज़ में दब गया।

इसके अलावा सरकार ने अभी तक आरटीसी को 2,000 करोड़ रुपये का एरियर भी नहीं दिया है, ये भी कर्ज के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है। इफ़्टू ने जारी बयान में कहा है कि केसीआर ने अपने कार्यकाल में विधायकों की सैलरी को 80 हज़ार से ढाई लाख रुपये कर दिया लेकिन आरटीसी वर्करों के साथ तानाशाही रवैया अपना रहे हैं। मासा और इफ़्टू ने बर्खास्त कर्मचारियों को तुरंत बहाल करने और उनकी मांगों के संदर्भ में हड़ताल को ख़त्म करने के लिए क़दम उठाने की मांग की है। सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों से नाराज खम्मम में काम करने वाले एक वर्कर ने खुद को आग लगा ली। वो 70 प्रतिशत जल गया है। कई ट्रेड यूनियन नेता और प्रोग्रेसिव ऑर्गनाइजेशन फॉर वुमन की संयोजक वी संध्या समेत कई आरटीसी वर्कर्स जेल में हैं।

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