होंडा 3F प्लांट बैंगलोर में यूनियन की फ़ाइल लगाने की तैयारी।

होंडा के मानेसर स्थित प्लांट में चल रहे आन्दोलन के बीच होंडा के बैंगलोर प्लांट के मज़दूरों ने यूनियन पंजीकरण के लिए श्रम विभाग में फ़ाइल लगाने की तैयारी कर दी है। इस सम्बन्ध में 17 नवंबर को एक आम सभा भी हुई। हौंडा 3F के साथियों का समर्थन में मानेसर से 1F प्लांट के अध्यक्ष सुरेश गौड़ भी पहुंचे।

हौंडा प्रबंधन यूनियन की फाइल लगाने से इन मजदूरों से नाराज है। मज़दूरों ने ये आरोप लगाया कि आम सभा में भाग लेने के लिए बस से जा रहे उनके कुछ साथियों पर प्रबंधन के बाउंसरों ने हमला किया और उन्हें आम सभा में भाग लेने से रोकने की कोशिश की।

होंडा प्रबंधन के दमन के खिलाफ मानेसर, टपूकड़ा और बेंगलुरु स्थित तीनों प्लांट की यूनियनें अब एक साथ संघर्ष करने को हो गई है। बेंगलुरु होंडा प्लांट के साथियों ने मानेसर होंडा के आंदोलनरत साथियों के समर्थन की घोषणा की और कभी भी यूनियन के आह्वान पर कोई भी कदम उठाने के लिए सहमति जताई।

होंडा के मानेसर स्थित प्लांट में करीब 2000 ठेका मजदूर और 1800 परमानेंट मजदूर पिछले 2 नवंबर से अवैध छंटनी और वेतन समझौते को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। 1500 ठेका मजदूर प्लांट के अंदर और 500 ठेका मजदूर तथा 18 स्थाई मजदूर गेट के बाहर दिन रात लगातार धरने पर बैठे हैं। प्रबंधन ने आर्थिक मंदी और उत्पादन कम होने के बहाने करीब 500 ठेका मजदूरों को काम से निकाल दिया है और परमानेंट मजदूरों का पिछले 1 साल से वेज सेटेलमेंट लंबित है। निकाले गए ठेका मजदूर पिछले 8 से 10 सालों से प्लांट में काम कर रहे थे।

फिलहाल होंडा मजदूरों का आंदोलन बिना किसी ट्रेड यूनियन की दखल और सहायता के चल रहा है। मानेसर औद्योगिक क्षेत्र की अन्य यूनियनें किसी भी वक्त होंडा मजदूरों के समर्थन में औद्योगिक इलाके में उत्पादन बंद करने को तैयार हैं।

हालांकि परमानेंट और ठेका मजदूरों की सामूहिक लड़ाई में अक्सर परमानेंट मजदूरों का हित सधता है और ठेका मजदूरों को नुकसान उठाना पड़ता है। अगर होंडा के मानेसर प्लांट का ही उदाहरण लें तो वहां परमानेंट मजदूरों का वेतन करीब 70 से 80 हज़ार के बीच है, वहीं पिछले 10 साल से प्लांट में काम कर रहे ठेका मजदूर का औसत वेतन ₹14,500 है। पिछले कुछ समय से होंडा प्लांट में ठेका मजदूरों को ट्रेनिंग पर लेकर स्थायीकरण की प्रक्रिया भी रोक दी गई है।

इस बीच होंडा मानेसर प्रबंधन ने 16 ठेका मजदूरों के खिलाफ स्टे लेने के लिए कोर्ट में आवेदन कर दिया है।
फिलहाल इस आंदोलन की जीत हौंडा के मानेसर, बेंगलुरु, टपूकड़ा और गुजरात स्थित प्लांट के मजदूरों के संगठित प्रयास और संघर्ष तथा पूरे औद्योगिक क्षेत्र के ठेका मजदूरों और यूनियनों की कार्रवाई पर निर्भर करता है। होंडा मजदूरों का संघर्ष इस औद्योगिक इलाके के लिए आंदोलन की जमीन तैयार कर सकता है।

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