सरकार ने किया जिओ के लिए गेम सेट

A visitors walks past a 5G sign during Mobile World Congress in Barcelona, Spain, February 28, 2017. REUTERS/Eric Gaillard

5जी के लिए रास्ता किया जा रहा है साफ

यह तय किया जा रहा है कि इस साल के आखिरी में 5G की बोली के लिए टेलीकॉम कंपनियों को निमंत्रित किया जाए तो देश मे 5G की बोली सिर्फ रिलायंस जिओ ही लगा पाए ओर वो भी उसे कम दाम में मिल जाए बाकी बड़ी टेलीकॉम कंपनियां इस बोली से दूर ही रहे क्यो कि उनके ऊपर देनदारी का इतना बोझ डाल दिया जाए कि वह उसे चुका ही नही पाए.

कल वोडाफोन के CEO निक रीड ने भारत से अपने कारोबार को समेटने के संकेत दे दिए हैं रीड ने कहा हैं ‘सख्त नियमन, अत्यधिक करों और स्पेक्ट्रम शुल्क पर अदालत के फैसले से दूरसंचार कंपनी की वित्तीय स्थिति पर भारी बोझ पड़ा है।’

जब उनसे यह पूछा गया कि क्या सरकार की तरफ से राहत नहीं मिली तो रीड ने कहा, ‘सच कहूं तो हालत बेहद नाजुक है।’ वोडाफोन की भारतीय इकाई के परिचालन का घाटा अप्रैल-सितंबर में बढ़कर 67.2 करोड़ यूरो हो गया जो पिछले साल की समान अवधि में 13.3 करोड़ यूरो था। वोडाफोन ने घाटे वाले आईडिया के साथ संयुक्त उपक्रम में अपनी हिस्सेदारी को अब बट्टे खाते में डाल दिया है

दरअसल दूरसंचार क्षेत्र में अफरातफरी का माहौल है। सर्वोच्च न्यायालय ने जब से दूरसंचार विभाग की AGR की परिभाषा पर सहमति जताई है और टेलिकॉम कंपनियों को तीन महीने के भीतर 1.33 लाख करोड़ रुपये का बकाया ब्याज सहित चुकाने को कहा है तब से नए किस्म का संकट आ खड़ा हुआ है। ओर बड़ी कंपनियों के हाथ पाँव फूल गए हैं

दूरसंचार विभाग के दावे के मुताबिक भारती एयरटेल समूह पर 62,187.73 करोड़ रुपये, वोडाफोन आइडिया (Vodafone-Idea) पर 54,183.9 करोड़ रुपये और बीएसएनएल तथा एमटीएनएल (BSNL and MTNL) पर 10,675.18 करोड़ रुपये बकाया है.

2007 में हचीसन एस्सार से 11 अरब डॉलर में 67 फीसदी हिस्सेदारी खरीदकर वोडाफोन उस समय देश में सबसे बड़ा एफडीआई देने वाली कंपनी थी। आज उसकी हालत बेहद खराब है कभी 110 रुपये में बिकने वाला शेयर आज 4 रुपये से भी नीचे पुहंच गया है यह हालत तब है जब वोडाफोन आइडिया के पास 30 करोड़ ग्राहक हैं और 30 फीसदी दूरसंचार बाजार पर उसी का कब्जा है।

लेकिन ऐसा नही है कि सिर्फ वोडाफोन ही बुरी स्थिति में है एयरटेल के हाल भी अच्छे नही है फिच रेटिंग्स ने भारती एयरटेल लिमिटेड को रेटिंग वॉच निगेटिव (आरडब्ल्यूएन) पर ‘बीबीबी-‘ दीर्घावधि विदेशी मुद्रा जारी कर्ता डिफॉल्ट रेटिंग (आईडीआर) दी है। इसका अर्थ यह है कि एयरटेल को नया कर्ज मिलना अब काफी मुश्किल है

ओर ऐसी परिस्थितियों में मोदी सरकार 5G की बोली के लिये टेलीकॉम कंपनियों को निमंत्रित कर रही है दूरसंचार विभाग (DoT) चालू वित्त वर्ष में प्रस्तावित स्पेक्ट्रम नीलामी में बेस प्राइस कम रखने पर विचार कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक यह विचार इसलिए हो रहा है ताकि टेलीकॉम कंपनियां नीलामी में हिस्सा ले सकें और उन्हें किफायती दाम में स्पेक्ट्रम मिल सके। सूत्रों का कहना है कि विभाग स्पेक्ट्रम के दाम में 35 फीसद तक की कटौती के बारे में सोच रहा है।

यानी साफ है कि देनदारी के बोझ से दबी हुई कंपनियां 5G के स्पेक्ट्रम की इस बोली में हिस्सा लेने से स्वयं ही इनकार करने वाली है और बेहद कम दाम में जिओ को यह 5G स्पेक्ट्रम मिलने वाला है……… यह है असली गेम ( गिरीश मालवीय के फेसबुक पोस्ट से )

About Post Author

भूली-बिसरी ख़बरे