BSNL के 80 हजार कर्मचारियों ने लिया वीआरएस

सैलरी नहीं मिलने से परेशान हैं कर्मचारी
बीएसएनएल की हालता इतनी खसता हो गई है की अब वो अपने कर्मचारियों के वेतन देने की स्थिति में भी नहीं रह गया है। यहीं वजह है कि कंपनी के 80 हजार से ज्यादा कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी कि वीआरएस ले रहे हैं। कर्मचारियों के इस फैसले से कंपनी और मैनेजमेंट खुश है क्योंकि कर्मचारियों के ऐसा करने से कंपनी के काफी पैसे बचेंगे।
बीएसएनएल लगातार घाटे की स्थिति से जूझ रहा है और ये घटा बढ़ते- बढ़ते अब 14 हजार करोड़ तक पहुंच गया है।B SNL के घाटे में आने की शुरुआत साल 2016 हुई जब मोबाइल फोन मार्किट में जियों की एंट्री हुई ऐसे में बीएसएनएल के आलावा एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया जैसी कई कंपनियों की हलात खस्ता हो गई। निजी कंपनियों ने तो बैंकों से लोन लेकर खुद को मार्किट में बनाए रखने के लिए सरे संभव प्रयास किए पर बीएसएनएल एक सरकारी कंपनी थी।
इसलिए उसका घाटा लगातार बढ़ता गया। BSNL चाहती थी कि उसे भी बैंक से लोन मिल जाए, लेकिन सरकार ने ऐसा करने से मना कर दिया। बैंकों से पैसे लेकर वोडाफोन और एयरटेल 4जी मार्केट में आ गए और जियो को कंपटिशन देने लगे, लेकिन BSNL के पास कर्मचारियों को वेतन देने तक के पैसे नहीं थे इस वजह से वो 4जी मार्केट में आने की सोच भी नहीं सकता था और इस तरह BSNL लगातार पिछड़ता चला गया।
फरवरी, 2019 वो पहला महीना था, जब बीएसएनएल के कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिली। इसके बाद कर्मचारियों ने हड़ताल की, धरना-प्रदर्शन किए, सरकार को चिट्ठी लिखी, लेकिन फिर भी कोई नतीजा नहीं निकला। बाद में कंपनी ने किसी तरह से सैलरी देने के लिए पैसों का इंतज़ाम किया। मई तक सैलरी मिली, लेकिन जून में फिर वही हाल हो गया। कंपनी के पास पैसे ही नहीं बचे कि वो अपने कर्मचारियों को तनख्वाह दे सके।
आपको बता दें कि BSNL कंपनी महीने में जितना पैसा कमाती है, उसका 55 फीसदी हिस्सा कर्मचारियों के वेतन पर खर्च होता है। हर साल इस बजट में 8 फीसदी की बढ़ोतरी हो जाती है। कंपनी की आमदनी कम है और खर्च ज्यादा लेकिन ये सरकार की नीतियों के चलते हुआ क्योंकि जब देश में 4जी शुरू हुआ तो बीएसएनएल को इससे बाहर रखा गया।
हालत ये हो गई कि देश में पहली बार थ्रीजी शुरू करने वाली बीएसएनएल मार्केट से बाहर हो गई, परिचालन ख़र्च बढ़ गया और आमदनी कम हो गई। लिहाजा वेतन न मिलने से परेशान कर्मचारियों ने समय से पहले ही वीआरएस लेने का फैसला कर लिया है और अभी संभावना है कि वीआरएस लेने की संख्या में अभी बढ़ोतरी होगी। कंपनी 31 जनवरी 2020 तक कर्मचारियों को वीआरएस दे देगी और इससे कंपनी को हर साल करीब 600 करोड़ा रुपये की बचत होगी।
( वर्कर्स यूनिटी से साभार )