चिले में चल रहा जन विद्रोह

काम के घंटे कम करने के बिल के बाद अब अपनी तनख्वाह भी कम करने को तैयार हो रहे हैं चिले के विधायक, पर जनता ने क़दमों को माना अपर्याप्त
बढ़ती महंगाई के खिलाफ छात्रों की पहल में उभरा आंदोलन, आज देश के शासकों पर भारी दबाव का ज़रिया बन गया है। देश के प्रमुख परिवहन प्रणालियों में से एक, मेट्रो के किराया में वृद्धि जन आक्रोश की शुरुआती चिंगारी बनी। प्रारंभिक दौर में छोटे छोटे विरोध प्रदर्शनों की कड़ी के बाद, अक्टूबर महीने से राजधानी संटियागो और अन्य महत्वपूर्ण शहरों के कई हिस्सों में बड़े विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए जिसमें से 25 अक्टूबर को 10 करोड़ लोगों ने संटियागो का चक्का जाम कर के नया इतिहास लिखा। आंदोलन के मांगों की धारावाहिकता छात्रों द्वारा मेट्रो किराए देने से इंकार करने से शुरू हो कर, महंगाई, भ्रष्टाचार, तानाशाही पिनोचे सरकार द्वारा बनाए गए संविधान का बहिष्कार तक बढ़ती गई है।

प्रदर्शन में उठ रहे विभिन्न मुद्दों के साथ साथ यह आंदोलन मूलतः जनता द्वारा शोषण व असमानतापूर्ण शोषण प्रणाली के ख़िलाफ़ असंतोष एक संकेत है। इस संकेत को पढ़ते हुए सरकार ने अब तक जनता का गुस्सा कम करने के लिए विभिन्न घोषणाएं की हैं। मेट्रो भाड़े में वृद्धि वापस ली जा चुकी है, साथ ही काम के घंटे कम करने, विधायकों की तनख्वाह में कटौती, कई विधायकों को कुर्सियों से हटाने व संविधान को बदलने तक का प्रस्ताव सरकार द्वारा रखा जा चुका है। प्रदर्शनों में अब तक 2000 से ज़्यादा घायल और 7000 से ज़्यादा लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। किंतु जन सैलाब थमने की जगह और उग्र होता नज़र आ रहा है।