साल 2016 में 11,379 किसानों ने आत्महत्या की

महाराष्ट्र लगातार पहले स्थान पर

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने करीब तीन साल की देरी के बाद अंतत: किसान आत्महत्या के आंकड़े जारी कर दिए हैं. बीते शुक्रवार को केंद्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने रिपोर्ट जारी कर इस बात की पुष्टि की कि साल 2016 में कुल 11,379 किसानों ने आत्महत्या की थी.

इसका मतलब ये हुआ कि हर महीने 948 या हर दिन 31 किसानों ने आत्महत्या की. एनसीआरबी केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन एक संस्था है. पिछले साल जुलाई 2018 में केंद्र सरकार ने लोकसभा को बताया था कि 2016 में भारत में 11,370 किसानों ने आत्महत्या की थी. लेकिन सरकार ने कहा था कि ये प्रोविजिनल यानी की अनंतिम आंकड़ा है और एनसीआरबी को अंतिम रिपोर्ट जारी करना बाकी था.

एनसीआरबी ने भारत में आकस्मिक मौतों और आत्महत्याओं की अंतिम रिपोर्ट अब जारी कर दी है. इससे पहले 2015 में ये रिपोर्ट जारी की गई थी. सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल 2016 में किसान आत्महत्या की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है. साल 2014 में 12,360 और 2015 में 12,602 किसानों ने आत्महत्या की थी, जबिक 2016 में कुल 11,379 किसानों ने आत्महत्या की.

पहले की रिपोर्टों में आत्महत्या के कारणों की जानकारी और किस वजह से कितने किसानों ने आत्महत्या की, ये सारी जानकारी दी जाती थी. हालांकि इस नई रिपोर्ट में एनसीआरबी ने किसान आत्महत्या के कारणों की जानकारी नहीं दी गई है. भारत में आत्महत्या करने वाले किसानों में से अधिकांश पुरुष हैं, जबकि इसमें महिला किसानों की संख्या सिर्फ 8.6 फीसदी ही दिखाई गई है. इस विसंगति की एक प्रमुख वजह ये हो सकती है कि खेत पर काम करने वाली बड़ी संख्या में महिलाओं को किसान का दर्जा नहीं दिया जाता है.

किसान आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र लगातार पहले स्थान पर बना हुआ है. साल 2016 में इस राज्य में सर्वाधिक 3,661 किसानों ने आत्महत्या की. इससे पहले 2014 में यहां 4,004 और 2015 में 4,291 किसानों ने आत्महत्या की थी. एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार ने एक आरटीआई आवेदन के जवाब में बताया है कि साल 2013 से लेकर 2018 के बीच 15,356 किसानों ने राज्य में आत्महत्या की.

इस मामले में दूसरे स्थान पर कर्नाटक है जहां 2016 में 2,079 किसानों ने आत्महत्या की. इससे पहले 2015 में राज्य में 1,569 किसानों ने आत्महत्या की थी. वहीं एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक तेलंगाना में किसान आत्महत्या के मामले करीब आधा हो गए हैं. साल 2014 और 2015 में यहां 1,347 और 1,400 किसानों ने आत्महत्या की थी लेकिन एनसीआरबी के मुताबिक 2016 में यहां कुल किसान आत्महत्या के कुल 645 मामले दर्ज किए गए.

पश्चिम बंगाल लगातार किसान आत्महत्या के आंकड़े मुहैया कराने से मना कर रहा है. 2015 और 2016 दोनों साल राज्य सरकार ने दावा किया कि उनके यहां एक भी किसानों ने आत्महत्या नहीं की. साल 2014 में राज्य में 230 किसानों ने आत्महत्या की थी. इसी तरह बिहार सरकार ने भी दावा किया है कि उनके यहां साल 2016 में एक भी किसान ने आत्महत्या नहीं की. हालांकि कई सारी रिपोर्ट सामने आई हैं जिससे ये पता चलता है कि बिहार और पश्चिम बंगाल में किसानों ने आत्महत्या की है.एनसीआरबी साल 1995 से किसान आत्महत्या के आंकड़ों का प्रकाशन कर रहा है और तब से लेकर 2016 तक में कुल 3,33,407 किसानों ने आत्महत्या की है.

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