FDI से पूर्व कोल इंडिया में तेजी से घट रही हैं नौकरियां

एक साल में 552 कोयला श्रमिक बर्खास्त; 2216 कर्मियों की हुई मौत

धनबाद। एक तरफ सरकारी कोयला खदानों को विदेशी कंपनियों के हवाले करने के लिए मोदी सरकार ने 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दे दी है। दूसरी ओर कोल खदानों में मज़दूरों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। मौत, रिटायरमेंट, बर्खास्तगी आदि से भारी पैमाने पर होने वाली रिक्तियों पर स्थाई भर्ती बंद है। हालत ये हैं कि मौजूदा करीब तीन लाख मज़दूरों में से अगले तीन सालों में करीब 64 हजार कोल इंडिया कामगारों की सेवानिवृत्त होने तक स्थिति और भयावह हो जाएगी।

कोल इंडिया ने जो रिपोर्ट तैयार की है उसमें साफ है कि 63428 कर्मी अगले तीन साल में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। कोल इंडिया की कुल श्रम शक्ति अभी 285479 है। इसमें 25 साल उम्र के 6463 कर्मी है। 61649 कर्मियों की संख्या 51 से 55 साल के बीच है। बीसीसीएल में अगले तीन साल में 8809 तो ईसीएल में 10540 कर्मी सेवानिवृत्त होंगे।

एक साल में 2216 कर्मियों की मौत : 

कोल इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 2018-19 के दौरान पूरे कोल इंडिया में 2216 कर्मियों की मौत हुई है। इसमें बीसीसीएल के 565, ईसीएल के 358, सीसीएल रांची के 362 तो सीएमपीडीआइएल के 18 कर्मी हैं। यह रिपोर्ट कोयला मंत्रलय को भेजी गई है।

बीसीसीएल व ईसीएल के 552 कर्मी बर्खास्त : 

कोल इंडिया ने महज पिछले वित्तीय वर्ष में 552 कर्मियों को विभिन्न आरोपों में मनमाने तरीके से बर्खास्त किया है। इनमें बीसीसीएल के 38, ईसीएल के 156, सीसीएल के 33, डब्ल्यूसीएल के 160, एसईसीएल के 123 एमसीएल के 33, सीएमपीडीआइएल के पांच कर्मी शामिल हैं।

संकट में कोल इंडिया

  • 63428 कोयला कर्मचारी हो जाएंगे तीन साल के अंदर सेवानिवृत्त
  • एक मिलियन टन उत्पादन के लिए अब मिशन-2026 का लिया लक्ष्य
  • 552 कर्मचारियों को मनमाने तरीके से कोल इंडिया ने किया बर्खास्त
  • 412 को ईसीएल ने जमीन के बदले दी है नौकरी
  • पूरे कोल इंडिया में साल 2018-19 में 2216 कर्मियों की हुई मौत
  • 565 बीसीसीएल व 358 इसीएल के कर्मचारी की हो चुकी मौत

दैनिक जागरण से साभार, सम्पादित

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