बंद होगा होंडा कार का ग्रेटर नोएडा प्लांट

ठेका-कैजुअल मज़दूरों की हो चुकी है छंटनी, काम हो रहा है शिफ्ट
नोएडा। भारतीय बाजार में मंदी के बहाने जापानी कार निर्माता कंपनी होंडा कार इण्डिया लिमिटेड ग्रेटर नोएडा स्थित अपने प्लांट को बंद करने की तयारी में है। उसने प्लांट में उत्पादन गिरा दिया है और इस प्लांट के काम को धीरे-धीरे टापूकड़ा (राजस्थान) शिफ्ट करती रही। दो महीने पहले कम्पनी कैजुअल व ठेका मज़दूरों की छंटनी भी कर चुकी है। अब स्थाई श्रमिकों के सिर पर भी छंटनी की तलवार लटक गई है।
दरअसल कंपनियों का एक धंधा बन गया है- एक राज्य से सब्सिडी व टैक्स आदि रियायतों का लाभ उठाकर मज़दूरों के पेट पर लात मारकर दूसरे राज्य में पलायन कर जाओ। सन 2008-09 में होंडा पॉवर प्रोडक्ट रुद्रपुर (उत्तराखंड) से कम्पनी ऐसे ही ग्रेटर नोएडा पलायन कर चुकी है।
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होंडा की पहली कार यूनिट है होंडा सील
उल्लेखनीय है कि होंडा कार इंडिया के पास भारत में दो कार उत्पादन इकाइयाँ हैं, जिसमें से एक नोएडा में है और दूसरा राजस्थान के टापूकड़ा में मौजूद है। ईटी ऑटो में प्रकाशित खबर के अनुसार कंपनी अपने उत्पादन को आने वाले समय में ग्रेटर नोएडा से हटाकर टापूकड़ा में शिफ्ट कर देगी। रिपोर्ट के अनुसार होंडा विस्तार के तौर पर कुछ साल पहले गुजरात में खरीदी जमीन को भी बेच देगी।
ग्रेटर नोएडा स्थित होंडा कार प्लांट भारत में कंपनी की पहली यूनिट है। यह श्रीराम ग्रुप के सीयल के संयूक्त उपक्रम के रूप में शुरू हुई थी। मौजूदा समय में ग्रेटर नोएडा प्लांट में उत्पादन की सालाना क्षमता 1.2 लाख यूनिट्स है। हालांकि, मंदी के चलते उत्पादन अब 2,500 यूनिट्स प्रति महीना हो गया है, जो कि सालाना 30,000 यूनिट्स बैठती है।
मंदी तो बहाना है
होंडा कार्स का कहना है कि मौजूदा स्थिति में ऑटो सेक्टर मंदी से गुजर रहा है। चालू वित्त वर्ष में ऑटो की बिक्री में तेजी से गिरावट आई है। कम्पनी के अनुसार उसकी पिछले चार वर्षों में बिक्री लगभग आधी हो गई है। होंडा कार की बिक्री चालू वित्त वर्ष में 1 लाख यूनिट्स से भी कम रही है। इससे पूर्व होंडा कार ने घाटे के बहाने होंडा पॉवर प्रोडक्ट्स व अन्य सहायक इकाईयों से अनुदान भी ले चुकी है।
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होंडा पॉवर प्रोडक्ट प्लांट भी हो चुका है शिफ्ट
कम्पनी का तर्क है कि दो प्लांटों में उत्पादन से तालमेल में दिक्कतों व लगत में कमी के लिए एक जगह उत्पादन को केन्द्रित किया जा रहा है। होंडा ने जब रुद्रपुर से पॉवर प्रोडक्ट प्लांट को शिफ्ट किया था, तब भी यही तर्क दिया था। उस वक़्त पीडीसी उत्पादन का बहाना लिया था कि इससे कार व जनरेटर दोनों को आपूर्ति में सहूलियत होगी। वर्तमान में भी पीडीसी इकाई कार प्लांट के बगल में स्थित होंडा पॉवर प्रोडक्ट्स प्लांट में है। तो क्या कम्पनी होंडा पॉवर प्रोडक्ट्स प्लांट को भी शिफ्ट करेगी?
बहरहाल, ऐसे सभी हालात में संकटों का सारा बोझ मज़दूरों के ऊपर ही पड़ना है। कजुअल-ठेका मज़दूर पहले ही निकाले जा चुके हैं। स्थाई मज़दूर उहापोह की स्थिति में हैं। और मुनाफाखोर कंपनियों का मज़दूरों को निचोड़कर फेंक देने का धंधा जारी है।