हाई कोर्ट ने पंतनगर विश्वविद्यालय को भेजा नोटिस

ठेका मज़दूरों की सुविधाओं के लिए नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड व केंद्र सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन को फिर किया तलब

पंतनगर (उत्तराखंड)। ठेका मजदूर कल्याण समिति पंतनगर की याचिका पर विगत 21 अक्टूबर को नैनीताल हाईकोर्ट के न्यायधीश सुधांशु धूलिया की एकल पीठ ने पंतनगर विश्वविद्यालय में श्रम कानूनों के उलंघन, चिकित्सा, ईएसआई जैसी मूलभूत सुविधाएं न दिए जाने को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार, ईएसआई विभाग, तथा पंतनगर विश्व विद्यालय प्रशासन को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में दिनांक 19/11/2019 को हाईकोर्ट में हाजिर होकर जबाव दाखिल करने को निर्देशित किया है।

ठेका मज़दूरों को ईएसआई जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं

मालूम हो कि पंतनगर विश्वविद्यालय में पिछले 15-20 वर्षों से लगातार कार्यरत करीब 25 सौ ठेका मजदूरों को नियमानुसार देय अवकाश, ग्रेच्यूटी, बीमा, बोनस, चिकित्सा सुविधा, ईएसआई जैसी मूलभूत सुविधाएं लागू नहीं किया जा रहा है। ठेका मजदूर कल्याण समिति के नेतृत्व में ठेका मजदूरों के लम्बे संघर्ष के बाद ईएसआई विभाग देहरादून द्वारा पंतनगर का कई बार सर्वे किया गया। सर्वे उपरांत 30 मई 2016 को भारत सरकार द्वारा शासनादेश जारी कर पंतनगर विश्वविद्यालय में कार्यरत ठेका मजदूरों को 01 जून 2016 से ई .एस .आई. सुविधा लागू करने के लिए निर्देशित किया गया है।

धरना देते पंतनगर विश्वविद्यालय के ठेका मज़दूर

शासन के आदेश की भी अनदेखी

11 जनवरी 2017 को ईएसआई विभाग ने लिखित निर्देश दिया कि “पंतनगर विश्वविद्यालय में ईएसआई सुविधा लागू किया जाना अनिवार्य है”। इतना ही नहीं 16 अगस्त 2019 को उत्तराखंड शासन के अनुसचिव ने पत्र लिखकर विश्व विद्यालय प्रशासन को ईएसआई सुविधा लागू करने के लिए निर्देशित किया। इसके बावजूद पंतनगर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा ठेका मजदूरों को ईएसआई सुविधा लागू नहीं किया जा रहा है। बेरहम शासन-प्रशासन द्वारा टाल-मटोल किया जा रहा है।

शासन-प्रशासन द्वारा ठेका मजदूरों की अनदेखी, उपेक्षा के चलते तमाम मजदूरों व उनके आश्रितों की हादसों गंम्भीर बीमारियों से मौते हो चुकीं है। इन्हें आज तक न इलाज के लिए आर्थिक मदद दी गई और न ही इनके आश्रितों को मुआवजा,स्थाई नौकरी दी गई। कई आश्रित मजबूर होकर मुआवजे के लिए वर्षों से अदालतों के चक्कर काट रहे है। निर्दोष मजदूरों की शासन प्रशासन द्वारा कृत्रिम हत्याएं की जा रही है।

मज़दूरों की याचिका पर पहले भी भी तलब कर चुका है हाई कोर्ट

श्रम कानूनों के उलंघन और शासनादेश के अनुसार ठेका मजदूरों को ईएसआई सुविधा दिए जाने को लेकर इंकलाबी मजदूर केंद्र के दिशा-निर्देशन में ठेका मज़दूर कल्याण समिति पंतनगर द्वारा लम्बे समय से लगातार सड़क पर संघर्ष किया जा रहा है। कानूनी संघर्ष में माह दिसंबर 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट में मुकदमा दर्ज किया गया है। तब से हाईकोर्ट शासन प्रशासन को कई बार कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर चुका है। पर हठधर्मी शासन-प्रशासन द्वारा ठेका मजदूरों को अभी तक ईएसआई सुविधा का लाभ नहीं दिया गया है।

प्रशासन की हठधर्मिता से हाईकोर्ट में फिर अपील

ठेका मजदूर कल्याण समिति पंतनगर के सचिव अभिलाख सिंह द्वारा 25 सितंबर 2019 को नैनीताल हाईकोर्ट को पुनः अनुस्मारक पत्र लिखकर अतिशीघ्र ईएसआई सुविधा लागू करने, मामले के जल्द निपटारे की अपील की गई थी।

इसी को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट के न्यायधीश सुधांशु धूलिया की एकल पीठ द्वारा शासन प्रशासन को नोटिस जारी किया गया है और 19 नवम्बर 2019 को हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करने को तलब किया गया है।

याचिकाकर्ता के वरिष्ठ अधिवक्ता एम.सी. पंत एवं डी.एस. मेहता ने कहा कि शासन और विश्व विद्यालय प्रशासन द्वारा तय समय पर जवाब दाखिल करने और पंतनगर के ठेका मजदूरों को ईएसआई सुविधा लागू नहीं किया जाता है तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पंतनगर विश्वविद्यालय में कार्यरत ठेका मजदूरों को अतिशीघ्र श्रम नियमानुसार देय सुविधाएं और ई एस आई सुविधा लागू किया जाएगा।

हक़ मिलने तक मज़दूरों का संघर्ष रहेगा जारी

बहरहाल देखना यह है कि शासन प्रशासन द्वारा ठेका मजदूरों को कब तक ईएसआई सुविधा लागू किया जाता है। श्रम नियमानुसार देय सुविधाएं, ईएसआई जैसी मूलभूत सुविधाएं हासिल करने और नियमितकरण जैसी मांगों के लिए ठेका मजदूरों को वर्गीय विचारधारा के आधार पर अपने संगठन में संगठित होकर उग्र संघर्ष को आगे बढ़ाने की जरूरत है।

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