आईटीसी प्रबंधन का हरिद्वार में पुतला दहन

श्रमिक उत्पीड़न बंद ना होने पर आईटीसी यूनियनों का संघर्ष तेज करने का आह्वान

हरिद्वार (उत्तराखंड)। आईटीसी लिमिटेड सिडकुल हरिद्वार की तीन प्लांट की तीन ट्रेड यूनियनों- आईटीसी मज़दूर यूनियन, फूड श्रमिक यूनियन, तथा कर्मचारी कल्याण यूनियन ने 22 अक्टूबर को सैकड़ों श्रमिकों के साथ सामूहिक रूप से हिंदुस्तान लीवर चौक, सिडकुल पर आईटीसी प्रबंधन का पुतला फूंका तथा प्रबंधन के खिलाफ जबरदस्त नारेबाजी की।

यू ट्यूब पर इसे भी देखें- माइक्रोमैक्स मज़दूर आन्दोलन के 300 दिन

ज्ञात हो कि पिछले 18 अक्टूबर को आईटीसी लिमिटेड हरिद्वार के तीनों प्लांटों के मजदूरों ने हरिद्वार के शिवालिक नगर स्थित पीठ बाज़ार में सभा की और प्रबंधन की तानाशाही के ख़िलाफ़ आक्रोश प्रकट किया। साथ ही प्रबंधन की तानाशाही के विरोधस्वरूप 22 अक्टूबर को कम्पनी प्रबंधन के पुतला दहन का कार्यक्रम तय किया था।

इसे भी देखें- आईटीसी तीनों प्लांटों के मजदूरों ने की सभा

इस अवसर पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए आईटीसी मज़दूर यूनियन के अध्यक्ष अश्वनी कुमार ने कहा कि श्रमिकों का जो लोंग टर्म सेटेलमेंट 2018 से लंबित था, उसके 2019 में होने के पश्चात प्रबंधन द्वारा कथित कास्ट सेविंग के नाम पर श्रमिकों के कार्य स्थल (लोकेशन) को समाप्त कर एक ही श्रमिक से कई तरीके के कार्य कराए जाने लगे हैं।

इसे भी देखें- कार्यबहाली के लिए हरिद्वार में प्रदर्शन

उन्होंने कहा कि कंपनी में नीम ट्रेनी से बिना अनुमति के स्थाई श्रमिकों की स्थान पर लगाया जा रहा है तथा गैरकानूनी रूप से उत्पादन कार्य कराए जा रहे हैं। जब श्रमिकों ने इसके खिलाफ आवाज उठाने का प्रयास किया तो उनको डराने धमकाने नौकरी से निकालने की धमकियां दी जाने लगी। ऐसे में समस्त मज़दूर अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कटिबद्ध हैं और सड़कों पर उतर गए हैं।

इसे भी पढ़ें- अन्याय के खिलाफ संघर्षरत है सत्यम ऑटो के मज़दूर

मज़दूर नेताओं ने आईटीसी प्रबंधन को आगाह किया कि वे श्रमिकों के अधिकारों का हनन न करें तथा कंपनी में सौहार्दपूर्ण माहौल बनाएं।

सभा में श्रमिक नेता गोविंद उन्चोली, रविंद्र चौधरी एवं बृजेश कुमार ने भी अपनी जोरदार बातें रखी और अपनी एकजुटता प्रदर्शित करते हुए प्रबंधन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।पुतला दहन कार्यक्रम में तरुण कुमार, उमेश कुमार, किशोर बिष्ट, रमेश बिष्ट, राजकुमार राणा, सतीश वालिया, सुरेंद्र भंडारी, इक़लाख, राजीव सिंघल, रवीश कुमार, धर्मेंद्र कंडारी, ललित कुमार, संदीप पाल, प्रताप बिष्ट, प्रदीप उनियाल, सहित सैकड़ों श्रमिकों ने भाग लिया।

इसे भी पढ़ें- मजदूरों ने लगाया श्रम विभाग पर मिलीभगत का आरोप

सभा के अंत में यूनियनों ने मज़दूरों के साथ निर्णय लिया कि यदि प्रबंधन अपनी हठधर्मिता से बाज नहीं आता है, तो उन्हें अपने संघर्ष को व्यापक रूप देने और सिडकुल के हजारों श्रमिकों के साथ सड़क पर उतरने और सिडकुल से लेकर मुख्य मुख्यमंत्री कार्यालय तक संघर्ष को तेज करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

आओ देश के मज़दूर इतिहास को जानें– 9 – संघर्षों से रंगा इतिहास का स्वर्णिम पन्ना

भूली-बिसरी ख़बरे

%d bloggers like this: