भारत-पाकिस्तान में गल्ले भरे पड़े हैं लेकिन फिर भी भुखमरी?

पिछले साल चुनाव के वक़्त पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ के घोषणापत्र में वादा किया गया था कि नए पाकिस्तान में ग़रीबों के लिए 50 लाख सस्ते घरों का, बेघरों के लिए शेल्टर होम्स का और बेरोज़गारों के लिए एक करोड़ नौकरियों का इंतज़ाम किया जाएगा.

इस तरह पाकिस्तान अगले पाँच वर्षों में वेलफ़ेयर स्टेट बन जाएगा. पिछले सवा साल में लाहौर में तीन और इस्लामाबाद में एक सरकारी पनाहगाह बन चुकी है, इनमें 700 बेघर रात बिता सकते हैं. इस रफ़्तार से अगले 300 वर्षों में दो करोड़ बेघरों को किसी न किसी पनाहगाह में जगह मिल ही जाएगी.

रही बात 50 लाख सस्ते घरों की तो प्रधानमंत्री इमरान ख़ान पिछले पाँच महीनों में पाँच ‘नया पाकिस्तान हाउसिंग स्कीमों’ का फ़ीता काट चुके हैं. इसमें एक घर साढे़ सात लाख रुपए का बनेगा. अगर किसी के पास साढे़ सात लाख रुपए भी नहीं हैं तो ऐसा ग़रीब ग़रीबी के नाम पर धब्बा है.

अब आइए एक करोड़ नौकरियों के वादे पर. पिछले हफ़्ते ही साइंस और टेक्नोलॉजी के मंत्री फ़व्वाग चौधरी ने खुलकर कह दिया कि हमने नौकरियां देने का कोई वादा नहीं किया था, हमने तो बस यह कहा था कि सरकार प्राइवेट सेक्टर के लिए ऐसा माहौल पैदा करेगी कि एक करोड़ नौकरियां पैदा हो जाएं.

पाकिस्तान में इस वक़्त लगभग 40 प्रतिशत आबादी को कम ख़ुराक या भुखमरी का सामना करना पड़ रहा है. निचले वर्गों की लगभग 60 प्रतिशत आमदनी सिर्फ़ खानपान पर ही लग जाती है. मगर प्रधानमंत्री कहते हैं कि घबराना नहीं है. पिछले हफ़्ते ही उन्होंने इस्लामाबाद में एक एनजीओ सीलानी ट्रस्ट के साथ मिलकर भूखों के लिए मुफ़्त खाने का भंडार खोला. जिसमें रोज़ाना 600 लोग भोजन कर सकते हैं. सरकार ऐसे कम से कम 600 भंडार खोलेगी क्योंकि रोज़गार नहीं है.

इस हिसाब से पाकिस्तान के 22 करोड़ में से भूख की तलवार तले जीवन बिताने वाली आठ करोड़ आबादी को कितने वर्ष में भरपेट खाने की सुविधा मिल जाएगी, अल्लाह जाने. यह अलग बात है कि इस वक़्त गोदाम, गल्ले और चीनी से भरे पड़े हैं. और उनमें नई पैदावार रखने की जगह नहीं.

छह रोज़ पहले जो ग्लोबल हंगर इंडेक्स सामने आया उसमें शामिल 117 देशों में पाकिस्तान का नंबर अब 94 है. मगर हमारे लिए दुख यह नहीं कि बांग्लादेश 88वें नंबर पर है बल्कि ख़ुशी की बात यह है कि भारत हमसे भी नीचे यानी 102 नंबर पर है.

यही भारत अच्छे दिन आने से पहले 2010 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 95वें नंबर पर था. आज फ़ूड कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया कह रही है कि हमारे गोदामों में अब और अनाज रखने की जगह नहीं बची. मगर यूपी के बहुत से स्कूलों में बच्चे दोपहर के खाने में नमक रोटी या हल्दी का पानी और चावल खा रहे हैं. पर आप यही समझिए कि ऐसी ख़बरें देशद्रोही पत्रकार फैलाते रहते हैं.

मुझे न भारत सरकार से कोई दिक़्क़त है और न ही पाकिस्तान की सरकार से. मैं तो बस उस आदमी की बुद्धि पकड़ना चाहता हूं जिसने इमरान ख़ान को यह नारा सिखाया कि ‘घबराना नहीं है.’ और जिसने हाउडी मोदी वाली तक़रीर में लिखा…

मित्रों सब अच्छा है…बधा मजा मा छे…शोब खूब भालो…Everything is fine…तालियां..

वुसअतुल्लाह ख़ान, वरिष्ठ पत्रकार, पाकिस्तान से बीबीसी हिंदी के लिए ( साभार बीबीसी न्यूज )

1 thought on “भारत-पाकिस्तान में गल्ले भरे पड़े हैं लेकिन फिर भी भुखमरी?

Comments are closed.

%d bloggers like this: