तेलंगाना परिवहन कर्मचारियों का दमन बंद करो!

मासा का संघर्षरत TSRTC कर्मचारियों के साथ एकजुटता का आह्वान

19 अक्टूबर की राज्यव्यापी हड़ताल को सफल बनाओ!

मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) द्वारा जारी विज्ञप्ति के माध्यम से तेलंगाना राज्य परिवहन निगम ( TSRTC ) कर्मचरियो द्वारा निजीकरण के ख़िलाफ़ चलाई जा रही हड़ताल के पक्ष में अपनी एकजुटता प्रदर्शित करते हुए निजीकरण और दमन के खिलाफ अपनी आवाज़ संघर्षरत साथियो के साथ बुलंद की गई है! मासा ने तेलंगाना सरकार द्वारा 48 हजार परिवहन कर्मचारियों की बर्खास्तगी और गिरफ्तारियो की तानाशाहीपूर्ण क़दम की भी मुखालफ़त की है।

मासा ने तेलंगाना सरकार से TSRTC के निजीकरण को रोकने और सभी मज़दूरों को बिना शर्त कार्यबहाली की माँग उठाई है। मासा ने जेएसी, टीएसआरटीसी द्रारा आगामी 19 अक्टूबर को होनें वाली हड़ताल में साथ देने का फैसला किया है।

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मासा यह अपील करता है की, केंद्र वा राज्य सरकार द्वारा मज़दूर विरोधी कदम की मुखालफ़त करते हुए उसका एकजुट विरोध करना चाहिए।

मासा द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार सर्वजनिक क्षेत्र के प्रमुख उद्योगों परिवहन, रेल, एयरलाइंस, दूरसंचार, पेट्रोलियम, अध्यादेश, खनन आदि का निजीकरण और निगमीकरण कर रही है जैसे। ऐसे में सरकार कर्मचारियों के लिए भयावह कदम उठा रही है जिसका हमें मिलकर विरोध करना चाहिए।

तेलंगाना परिवहन निगम कर्मचारियों की माँगें जायज

तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम के कर्मचारी 4 अक्टूबर 2019 की आधी रात से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। वे सरकार के निजीकरण के कदम के खिलाफ लड़ रहे हैं, कर्मचारियों ने निगम के साथ विलय सहित 26 मांगों की अपनी एक सूची प्रस्तुत की है। विभिन्न ट्रेड यूनियनों ने श्रमिक संयुक्त कार्रवाई समितियों (JAC) के तहत एक मोर्चा गठित कर हड़ताल पर जाने से पहले एक नोटिस भी दिया था, लेकिन सरकार ने इस नोटिस के प्रति कोई कार्रवाई नहीं की।

आंदोलित कर्मचारियों का कहना है की TSRTC को उबारने के लिए भाड़े के आधार पर निजी बसों को चलाने की तुलना में नई बसें खरीदें, घाटे की स्थिति को भरते हुए, श्रमिकों पर लगाए गए काम के बोझ को कम करने के लिए सभी रिक्तियों को भरे। साथ ही 2017 से पीआरसी को लागू करें जो की इतने वर्षों से रुका है।

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तेलंगाना सरकार की नीतियाँ दमनकारी

दरअसल कर्मचारियों के प्रति सरकार के दमनात्मक रवैये ने ही कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने को मजबूर किया, जब सरकार ने इनकी मांगों की अनदेखी की तो कर्मचारियों को हड़ताल का सहारा लेना पड़ा। लेकिन सरकार ने हर प्रयास कर हड़ताल को खत्म करना चाहा और कर्मचारियों का दमन किया।

हड़ताल के पहले दिन ही तेलंगाना पुलिस ने कई श्रमिकों और ट्रेड़ यूनियन नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया।
इस मामले को लेकर अब तक तेलंगान के मुख्यमंत्री ने न ही कोई पहल की और न ही यूनियन नेताओं के साथ इस बारे में कोई बातचीत की।

इसके विपरीत सरकार द्रारा कर्मचारियों की इस हड़ताल को अनुचित अपराध घोषित कर किया गया है, 48,000 से अधिक कर्मचारियों को बर्खास्त करने की घोषणा की गई और हड़ताल कर बस सेवाओं में बाधा करने वालो को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। नए कर्मचारियों को केवल इस शर्त पर रखा जाएगा जो बिना यूनियन के शामिल होने की शर्त पर काम करेंगे।

बावजूद इसके हड़ताल व्यापक रूप से प्रभावी रही और मासा ने भी श्रमिकों के इस साहस की सरहाना की है।

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मोदी सरकार की मज़दूर विरोधी नीतियो की रह पर तेलंगाना सरकार

ज्ञात हो कि यह सब तेलंगाना में उस समय में हो रहा है जब केंद्र की मोदी सरकार बड़े पैमाने पर अंदोलन कर रही है। विभिन्न प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण और निगमीकरण कर रही है।

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भरतीय रेलवे का निजीकरण के अभियान की शुरूआत के साथ ही रेलवेकर्मियों ने बड़े पैमाने पर संघर्ष करना शुरू कर दिया। जिसके बाद निगमीकरण की गति में कुछ हद तक रोक लगी है।

वहीं सार्वजनिक दूरसंचार सेवाएं, पेट्रोलियम, बैंकिंग, बिजली, एयरलाइंस, खनन क्षेत्रों आदि इन सभी सार्वजनिक उपक्रमों को निजीकरण और निगमीकरण का सामना करना पड़ रहा है। निजीकरण और निगमीकरण के साथ बीएसएनएल के कर्मचारी इस विनाश के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।

मोदी सरकार के इन सभी फैसलों के बाद बड़े पैमाने पर छंटनी और बंदी का सामना करना पड़ रहा है साथ ही कई नौकरियां समाप्त हो गई हैं।

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स्थिति यह है कि अर्थव्यावस्था पर गहरा संकट है वो भी ऐसी अर्थव्यावस्था में जहां अधिकतर लोग विशेष रूप से कामकाजी है। सरकार के इन फैसलो के भोझ तले जनता दबती जा रही है जबकि बड़े कॉरपोरेट जनता के पैसों को लूट रहे है, व सरकार द्रारा टेक्स में मिली छूट का मजा ले रहे हैं।

ऐसे में मोदी सरकार की नीतिया मज़दूर एवं मेहनतकश विरोधी है और सिर्फ पूँजीपतियों के हित में बात करती है।

TSRTC strike के लिए इमेज परिणाम

निजीकरण व छंटनी के ख़िलाफ़ एकजुट हो!

ऐसे में मासा का मानना है कि इन मज़दूर विरोधी हमलों और पूँजीपरस्त नीतियों के खिलाफ सभी संगठनो और मज़दूरों को इसका भरपूर विरोध और TSTRC के संघर्षरत साथियो के कदम से कदम मिलके एक जुझारू संघर्ष करने की जरूरत है।

मासा सरकार और कॉरपोरेट के लूट और सांठगांठ का पुरजोर विरोध करता है। और देश भर में मज़दूर मेहनतकश जनता के पक्ष में व सरकार एवं कॉर्पोरेट नीतियों के लूट के खिलाफ जारी लड़ाई में अपनी आवाज़ बुलंद करता है। मासा ने 19 अक्टूबर की तेलंगाना राज्यव्यापी हड़ताल को समर्थन देते हुए उसे सफल बनाने का आह्वान किया है।

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