मोदी सरकार और तीन कंपनियों को जा रही है बेचने

सरकार का कंपनी से समाप्त हो जाएगा नियंत्रण

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया शुरू कर दी है. सरकार की ओर से तीन सार्वजनिक उपक्रमों- कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकॉर), नीपको तथा टीएचडीसी इंडिया में नियंत्रक हिस्सेदारी की बिक्री के संबंध में सलाहकारों को अनुबंधित करने के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं.

इससे पहले इसी महीने केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कॉनकॉर में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. अभी सरकार की कंपनी में 54.80 प्रतिशत हिस्सेदारी है. हिस्सेदारी बिक्री के बाद सरकार का कंपनी से प्रबंधकीय नियंत्रण समाप्त हो जाएगा.

इसके अलावा मंत्रिमंडल ने बिजली कंपनियों- टीएचडीसी इंडिया और नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (नीपको) में हिस्सेदारी बेचने के लिए भी एनटीपीसी (नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन) को मंजूरी दे दी है.

रणनीतिक विनिवेश के तहत खरीददार के पास प्रबंधन नियंत्रण भी रहता है.टीएचडीसी केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच 75-25 अनुपात का संयुक्त उद्यम है. केंद्र सरकार की नीपको में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

कॉनकॉर का नाम लिए बिना एक अलग नोटिस में कहा गया है कि सरकार रेल मंत्रालय के तहत एक सरकारी कंपनी में अपनी कुल चुकता इक्विटी हिस्सेदारी के आंशिक विनिवेश पर विचार कर रही है.

इसके साथ प्रबंधन नियंत्रण भी स्थानांतरित किया जाएगा. विनिवेश के लिए जरूरी अनुभव रखने वाली प्रतिष्ठित इकाइयों से चार नवंबर तक प्रस्ताव मांगे गए हैं. ये इकाइयां विनिवेश प्रक्रिया में लेनदेन/कानूनी सलाहकार/संपत्ति मूल्यांकक की भूमिका निभाएंगी और सरकार को इसमें मदद करेंगी.

निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) की वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के अनुसार, सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. आंकड़ों के अनुसार, अब तक सरकार विनिवेश से 12,357.49 करोड़ रुपये जुटा पाई है.

31 मार्च, 2020 को ख़त्म होने वाले वित्त वर्ष के लिए सरकार के लक्षित जीडीपी के 3.3 प्रतिशत के वित्तीय घाटे को पूरा करने के लिए विनिवेश की कार्यवाही महत्वपूर्ण होगी.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अधिकारियों का कहना है कि इस रणनीतिक बिक्री में द्विस्तरीय नीलामी प्रक्रिया होगी, जिसकी शुरुआत एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) से होगी. इसके बाद अंतिम आर्थिक बोली लगाई जाएगी. बोली लगने से पहले संभावित बोलीदाताओं के साथ होने वाली बैठकें और संभावित निवेशकों को आकर्षित करने के लिए होने वाले रोडशो हिस्सेदारी की बिक्री की प्रक्रिया के हर पहलू को लेकर स्पष्टता देंगे.

साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि बिक्री के लिए उपलब्ध सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के बारे में बोलीदाताओं को जानकारी देने के लिए डेटा सेंटर बनाए जाएंगे. अधिकारियों ने बताया कि हिस्सेदारी की बिक्री की इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 4-5 महीने का अनुमानित समय दिया गया है.

इसके अलावा केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) में सरकार के पूरे 53.29 प्रतिशत और भारतीय शिपिंग कॉरपोरेशन के 63.75 प्रतिशत हिस्से को बेचने के लिए भी हामी भरी है.

सरकार ने बीपीसीएल के राष्ट्रीकरण संबंधी कानून को 2016 में रद्द कर दिया था. ऐसे में बीपीसीएल को निजी या विदेशी कंपनियों को बेचने के लिए सरकार को संसद की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी.

सरकार घरेलू ईंधन खुदरा कारोबार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाना चाहती है, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ाई जा सके. इसी के मद्देनजर सरकार बीपीसीएल में अपनी समूची 53.3 प्रतिशत हिस्सेदारी रणनीतिक भागीदार को बेचने की तैयारी कर रही है.सार्वजनिक क्षेत्र के इन पांचों उपक्रमों के विनिवेश से सरकारी खजाने में अनुमानत: 60,000 करोड़ रुपये आएंगे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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