मुनाफे में चल रही है भारत की दूसरी बड़ी सरकारी तेल कंपनी भारत पैट्रोलियम का निजीकरण

निजीकरण के खिलाफ जान देने की कसमें खाने वाले नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने भारत में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में से एक बीपीसीएल को निजी हाथों में सौंप दिया है। राज्य के स्वामित्व वाली ईंधन रिटेलर का पूरी तरह से निजीकरण करने से पहले, सरकार ने चुपचाप 2016 में उस कानून को निरस्त कर दिया था जिसके अन्तर्गत कंपनी का राष्ट्रीयकरण किया गया था और इसे निजी और विदेशी फर्मों को बेचने से पहले संसद की अनुमति लेने की आवश्यकता थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में बीपीसीएल और एचपीसीएल के निजीकरण पर रोक भी लगाई थी। घरेलू ईंधन खुदरा बिक्री में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के बहाने मल्टीनेशनल कंपनियों को राह देते हुए मोदी सरकार बीपीसीएल में अपनी 53.3 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी रणनीतिक भागीदार को बेचने की तैयारी में है।
बीपीसीएल के निजीकरण से घरेलू खुदरा ईंधन बाज़ार में अभी तक हावी सरकारी कंपनियों को नुकसान होगा जो सरकार के 1.05 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य के एक तिहाई हिस्से को पूरा करने में मदद करेगा।
बीपीसीएल का बाजार पूंजीकरण लगभग 1.11 लाख करोड़ रुपये है और 60,000 करोड़ रुपये से अधिक सरकारी हिस्से की बिक्री हो सकती है।
सऊदी अरब के सऊदी अरामको और फ्रांस की बड़ी ईंधन कम्पनी टोटल एसए, बीपीसीएल में बड़ी हिस्सेदारी की तैयारी में है और भारत जो दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता ईंधन खुदरा बाजार है, में प्रवेश करने की कोशिश में हैं। बीपीसीएल में हिस्सेदारी के बाद उनका 34 मिलियन टन क्षमता वाले रिफाइनरी और भारत के ईंधन विपणन के लगभग 25 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा हो जाएगा। सऊदी अरब की तेल कंपनी सऊदी अरामको ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड में हिस्सेदारी की घोषणा की है।
बीपीसीएल की परिसंपत्तियां
BPCL की कुल शोधन क्षमता लगभग 35 मिलियन टन (MT) सालाना है। इसकी चार रिफाइनरी हैं, जिनमें से 12 एमटी मुंबई रिफाइनरी और 15.5 एमटी कोच्चि रिफाइनरी का स्वामित्व पूरी तरह से कंपनी के पास हैं। 7.8MT की भारत ओमान रिफाइनरी में इसकी 74 फीसदी हिस्सेदारी है। ओमान ऑयल कंपनी शेष 26 प्रतिशत की हिस्सेदार है। 3 एमटी नुमालीगढ़ रिफाइनरी में, बीपीसीएल की 61.65 प्रतिशत हिस्सेदारी है जिसमें असम सरकार और ऑयल इंडिया अन्य हितधारक हैं।
BPCL पहले बर्मा शेल था, जिसे 1976 में संसद के एक अधिनियम द्वारा राष्ट्रीयकृत किया गया था। 1920 के दशक में स्थापित बर्मा शेल, रॉयल डच शेल और बर्मा ऑयल कंपनी और एशियाई पेट्रोलियम (भारत) के बीच एक गठबंधन था। दरअसल मोदी सरकार ने पांच सार्वजनिक उपक्रमों, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (BPCL), शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SCI), कॉनकोर, नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (NEEPCO) और THDC में बड़ी हिस्सेदारी को बेचने का फैसला कर लिया। केंद्र सरकार का कहना है कि राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए निजी करण के अलावा उसके पास कोई और रास्ता नहीं है। मोदी सरकार का 2014 में मेक इन इंडिया का नारा एक जुमला था और मोदी देश विदेश घूम कर भारत के सरकारी उपक्रमों के लिए खरीदार ढूंढते फिरते हैं।
बीपीसीएल के पास 15,078 पेट्रोल पंप है जो खुदरा बाजार का एक चौथाई हिस्सा है और 6,004 एलपीजी वितरक हैं। बीपीसीएल एम्पलाइज यूनियन (पूर्वी क्षेत्र) के महासचिव दीपक भट्टाचार्य ने कहा कि कंपनी ने राष्ट्र के लिए संपत्ति निर्मित की है। उन्होंने कहा, “हमने हर साल सरकार को भारी लाभांश दिया है और बीपीसीएल किसी भी वैश्विक कंपनी के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार एक बार के लाभ के लिए कंपनी को बेचने की कोशिश कर रही है। फिलहाल बीपीसीएल में 12157 कर्मचारी कार्यरत है। बीपीसीएल के विभिन्न स्थानों पर सक्रिय करीब 17 ट्रेड यूनियनों ने इसका विरोध करते हुए 15 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के आगामी सत्र से दो दिनों की हड़ताल सहित देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई है।
समाचार एजेंसी भाषा सहित विभिन्न इंटरनेट स्रोतों से साभार
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