महंगाई के खिलाफ सरकार का पुतलादहन

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र एवं प्रगतिशील भोजन माता संगठन ने महँगाई पर रोक लगाने की माँग की

पंतनगर, 6 अक्टूबर। प्रगतिशील महिला एकता केंद्र एवं प्रगतिशील भोजन माता संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से मंहगाई के खिलाफ छोटी मार्केट पंतनगर चौराहे पर नुक्कड़ सभा की गई और सरकार का पुतला दहन किया गया।

नुक्कड़ सभा में वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान में हर उपभोग की वस्तुओं पर मंहगाई चरम पर पहुंच गई है। प्याज, टमाटर 80 रूपए किलो पहुंच गए हैं। तो लहसुन 200 रूपये किलोऔर दालों के दाम 90से 120रूपये किलो तक पहुंच गए हैं।

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वक्ताओं ने कहा कि सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के कारण किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलता, वह अपनी उपज को बनियो को औने-पौने दामों में बेचने और कंगाली की हालत में जीने को को मजबूर हो रहे हैं। इधर सरकार द्वारा मजदूरों के लिए बनें श्रम कानूनों को संस्थाओं द्वारा लागू नहीं किया जा रहा है। ऊपर से पूंजीपति वर्ग के मुनाफे के मद्देनजर सरकार द्वारा मजदूरों के राहतकारी श्रम कानूनों को संशोधन के नाम पर खत्म करने की कोशिश की जा रही है।

संस्था सरकारी हो या प्राइवेट हर जगह ठेका प्रथा के जरिए कम मजदूरी में काम कराकर मजदूरों का निर्मम शोषण किया जा रहा है।

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आशा कार्यकर्ता, गेस्ट टीचर, भोजन माता के रूप में कार्यरत कर्मचारियों को सरकार द्वारा घोषित अति अल्प न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जा रहा है। मात्र दो-तीन हजार रुपए मासिक देकर सरकार द्वारा बेतहाशा शोषण उत्पीड़न किया जा रहा है। जिसमें इन मजदूरों को महंगाई के कारण रोटी चलाना मुश्किल हो गया है।

इतना ही नहीं किसानों से उनकी उपज सस्ते में खरीदकर धन्ना सेठ बेधड़क जमाखोरी, और सट्टेबाजी कर वस्तुओं की महंगाई और बढ़ा रहे हैं। पर सरकार इन्हें सह दे रही है, रोक नहीं लगा रही है। बेतहाशा महंगाई से मजदूर मेहनतकश जनता को घर में परिवार का ख़र्च चलाना मुश्किल हो गया है।

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संगठनों ने सरकार से मांग की है कि-

1– उपभोग की वस्तुओं पर बढ़ रही भयंकर मंहगाई पर तुरंत रोक लगाई जाए।
2– जमाखोरी पर रोक लगाई जाए और सट्टेबाजों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
3– सरकार द्वारा सस्ते दामों पर सब्जियां और उपभोग की वस्तुओं को उपलब्ध कराए।

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कार्यक्रम में मीना, पूजा, लक्ष्मी पंत, पुष्पा, सोना, पुष्पा सिंह, सोनवती, और इंकलाबी मजदूर केंद्र पंतनगर के रमेश कुमार और विकास आदि शामिल रहे।

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