कर्नाटक : एमपीएस कंपनी के मज़दूरों ने जीती बड़ी लड़ाई

एमपीएस लिमिटेड कंपनी के कर्मचारियों और कर्नाटक राज्य आईटी/आईटीईएस कर्मचारी यूनियन ने जीती बड़ी लड़ाई
बंगलुरु। एमपीएस लिमिटेड कंपनी के आईटी/आईटीइस कर्मचारी यूनियन ने कंपनी प्रबंधन के सामने मांग रखी थी। लम्बे संघर्ष के बाद बैंगलोर के कर्मिका भवन में उप श्रम आयुक्त की उपस्थिति में एक समझौते पर हस्ताक्षर कर कंपनी द्रारा सारी मांगे मान ली गई है।
मज़दूरों ने उठाई थीं माँगें
प्रबंधन ने बेंगलुरु से देहरादून भेजे जाने वाले 207 मज़दूरों को स्थानांतरित करने का फैसले को वापस ले, अप्रैल 2018 से सभी कर्मचारियों को बकाया के साथ लंबित मूल्यांकन दिया जाए। वेतन पर्ची और बोनस गणना में अनियमितताओं को ठीक किया जाए। साथ ही KITU, MPS यूनिट के अध्यक्ष कॉमरेड श्रीधरा एमएल सहित सभी चार टर्मिनेटेड कर्मचारियों को वापस ले लिया जाए।
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मज़दूरों के संघर्ष का लम्बा दौर
मज़दूरों को एक लंबे संघर्ष के बाद कंपनी ने उनकी इन मांगों को माना है। MPS Ltd, बैंगलोर, के मज़दूर फरवरी 2018 से कंपनी के 207 मजदूरों को देहरादून भेजे जाने के कंपनी के फैसले के खिलाफ थे। लेकिन कंपनी मज़दूरों पर लगातार स्थानांतरण को स्वीकार करने के लिए दवाब बना रही थी और न मानने पर नौकरी से निकालने की धमकी दी जा रही थी।
इसके बाद भी जब मज़दूरों ने कंपनी के फैसले को नहीं माना तो कंपनी ने उन्हें एक माह का मूल वेतन स्वीकार कर जबरदस्ती इस्तीफा देने के लिए कहा।
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मज़दूरों को धमकाया भी गया
कंपनी में 20-25 साल से काम करने वाले मज़दूरों द्रारा प्रंबधन से सवाल करने पर उनको डराया-धमकाया गया। प्रंबधन के ऐसे रवैये के कारण कर्मचारी लगातार मानसिक रूप से परेशानी का सामना कर रहे थे। जिसके बाद KITU ने कंपनी प्रबंधन के इस असंगत रवैये के खिलाफ एक औद्योगिक विवाद उठाया।
18 फरवरी को KITU ने कर्मचारियों मज़दूरों कि एक तत्काल बैठक बुलाई, जो एमपीएस यूनिट की पहली जनरल बॉडी थी और बैठक ने यूनिट कमेटी का चुनाव किया।
जब विवाद अधिक बढ़ गया तो कंपनी ने अपने फैसले पर रोक लगा दी। इसके बाद जब यह मामला श्रम विभाग में गया तो औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 33 का उल्लंघन करते हुए प्रबंधन ने 18 सितंबर 2018 को MPS यूनिट के सचिव कॉमरेड होननेश गौड़ा सहित 10 KITU सदस्यों को अवैध रूप से निकाल दिया।
जिसके बाद सैकड़ों मज़दूर कंपनी के बाहर एकत्रित हुए और प्रबंधन के अमानवीय कार्रवाई के खिलाफ नारे लगाते हुए कैंडल मार्च निकाला। इस प्रकार संघर्ष को आगे बढाया।
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मज़दूरों की सभी मांगों पर सहमति बनी
उप श्रम आयुक्त के निर्देशानुसार प्रबंधन और संघ के बीच द्विपक्षीय चर्चा सितंबर 2018 से शुरू हुई। कई द्विपक्षीय चर्चाओं और सुलह बैठकों के बाद प्रबंधन आखिरकार कर्नाटक राज्य आईटी /आईटीईएस कर्मचारी संघ द्वारा आगे रखी गई सभी मांगों पर सहमत हो गया।
मज़दूरों के लगातार सघंर्ष के बाद कंपनी प्रबंधन को सेवा और वेतन की निरंतरता के साथ सभी निकाले गए कर्मचारियों को वापस रखने के लिए मजबूर होना पड़ा।
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आपनी इस जीत के बाद KITU ने MPS Ltd के कर्मचारियों को बधाई दी जो प्रबंधन द्वारा अमानवीय और गैरकानूनी कार्रवाई के खिलाफ संघ की MPS इकाई के साथ खड़े थे।
वर्कर्स यूनिटी से साभार
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