पहली प्राईवेट तेजस एक्सप्रेसट्रेन चलाने पर रेल कर्मचारियों ने मनाया काला दिवस

सरकार की योजना, रेवले के छोटे छोटे हिस्से करके पूंजीपतियों को बेचा जाए

देश की पहली कॉरपोरेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरी झंडी दिखाकर लखनऊ जंक्शन से रवाना किया पर रेलवे के गार्डों  ने इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाया।

लखनऊ में देश की पहली कॉरपोरेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस के हरी झंडी दिखाए जाने पर रेलवे के गार्डों  ने इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाया।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तेजस एक्सप्रेस झंडी दिखाकर लखनऊ जंक्शन से रवाना किया।

तेजस एक्सप्रेस निजी कंपनी के जरिए संचालित होने वाली पहली ट्रेन है जिसमें भारतीय रेलने का कोई भी कर्मचारी काम नहीं करेगा।

तेजस में काम करने वाले सभी कर्मचारी पूरी तरह से कॉरपोरेट के हवाले से काम कर रहे हैं यही कारण है कि आज ऑल इंडिया गार्ड काउंसिल के सभी कर्मचारी इस दिन को काला दिवस के रूप में मना रहे हैं।

तेजस एक्सप्रेस लखनऊ से नई दिल्ली के बीच चलने वाली ट्रेन है जिसे संचालन इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन के द्वारा चलाया जा रहा है।

रेलवे को निजी हाथों में सौपनें का फैसला ले चुकी मोदी सरकार जल्द एक और प्राइवेट ट्रेन शुरू करेगी जो की अहमदाबाद से मुंबई तक चलेगी।

कभी मोदी सरकार ने भरी सभा में ये कसम खाई थी कि वो मर जाएंगे लेकिन रेलवे को बिकने नहीं देंगे।

लेकिन मोदी सरकार जैसी ही वापस सत्ता में आई रेलवे को छोटे-छोटे हिस्सों में बेचना शुरू कर दिया।

मोदी सरकार ने सभी सरकारी उपक्रमों को निजी हाथों में देने के लिए 100 दिन का एक्शन प्लान बनाया जिसके तहत रेलवे बोर्ड की सभी प्रोडक्शन यूनिटों को एक कंपनी बनाकर उसके अधिन करने का प्रस्तव भी सामने रखा।

ऐसे में आर्थिक मामलों के जानकार गिरिश मालवीय का कहना है कि दिल्ली और लखनऊ के बीच चलने वाली तेजस एक्सप्रेस वो पहली प्राइवेट ट्रेन है जो हजारों बेरोजगारो की छाती पर से दौड़ेगी।

वहीं रेलवे के 7 कारखानों को तो मोदी सरकार ने पहले ही निगम बनाने की घोषणा कर दी थी और अब धीरे-धीरे पूरी रेलवे कॉपरेट के हाथों में जाती नज़र आ रही है।

निगमीकरण के बाद ग्रुप सी और डी का कोई भी कर्मचारी भारतीय रेलवे का हिस्सा नहीं होगा।

ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मचारी निगम के कर्मचारी हो जाएंगे जिनपर रेल सेवा अधिनियम लागू नहीं होगा और कांट्रैक्ट पर कर्मचारी रखे जाएंगे।

मोदी सरकार इस वायदे के साथ सत्ता में आई थी कि वो रेलवे को कभी भी निजी हाथों में नहीं जाने देगी पर सत्ता में आने के बाद सरकार ने एक-एक कर रेलवे को कॉरपोरेट कंपनियों के हवाले करना शुरू कर दिया।

यहा समझने वाली बात ये है कि निजीकरण से सभी उत्पादन इकाईयां निजी लाभ के आधार पर ही काम करेंगी।

कोई भी प्राइवेट ऑपरेटर घाटे वाले ट्रेक पर गाड़ियां नही दोड़ाएगा वो उसी ट्रेक पर ऑपरेट करेगा जो जेब भरे पर्यटकों के रूट हो यानी निजी पूंजीपति सिर्फ रेलवे के मुनाफ़ेदार रास्तों में ही रुचि रखेंगे।

लगातार हो रहे रेलवे के इस निजीकरण का असर सीधे तौर पर उसमें काम करने वाले मजदूरों के साथ-साथ आम जनता पर भी पड़ेगा।

( वर्कर्स यूनिटी से साभार एवं संपादित )

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