बेटे की लाश कंधे पर लादे मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए अस्पताल में भटकता रहा पिता

सोशल मीडिया पर पूछ रहे है लोग कहाँ है ? मोदी जी के न्यू इंडिया

लखीमपुर खीरी। गरीब आदमी के लिए न समुचित इलाज है, न पुलिस, न नियम और न कानून। गरीब होना जैसे इस दुनिया का सबसे बड़ा जुर्म है। इंसानियत तो गरीब के लिए बनी ही नहीं है, अगर ऐसा न होता तो आए दिन गरीबी इस तरह शर्मसार नहीं होती और मानवता इस तरह जार—जार न रो रही होती।


इंसानियत को झकझोर देने वाला ऐसा ही मामला सामने आया है उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जनपद के जिला अस्पताल में। बुधवार 2 अक्टूबर में देश गांधी जयंती और देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्मदिवस मना रहा था। सरकारी स्तर पर गांधी जी की 150वीं जयंती के बड़े-बड़े आयोजन हो रहे थे, वहीं एक बाप अपने जिगर के टुकड़े की लाश कंधे पर उठाये अस्पताल के चक्कर काट रहा था, वो भी इसलिए कि वह बच्चे का मृत्यु प्रमाणपत्र ले पाये, क्योंकि बिना मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किये अस्पताल बेटे का शव घर नहीं ले जाने दे रहा था और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने में जिला अस्पताल प्रशासन ने अमानवीयता की सारी हदें पार कर दीं।

मीडिया में आई जानकारी के मुताबिक 4 साल के बेटे की लाश कंधे पर लेकर एक पिता जिला अस्पताल में भटकता रहा, मगर अस्पताल प्रशासन का दिल तब भी नहीं पसीजा। काफी समय बाद उसके बच्चे का मृत्यु प्रमाणपत्र जिला अस्पताल लखीमपुर खीरी द्वारा जारी किया गया।

जानकारी के मुताबिक लखीमपुर खीरी के थाना क्षेत्र नीमगांव के रमुआपुर गांव के रहने वाले दिनेशचंद के 4 साल के बेटेदिव्यांशु को जिला अस्पताल में बुखार के बाद भर्ती कराया गया था। वहीं बुधवार 2 अक्टूबर को उसकी मौत हो गई। बच्चे की मौत के बाद पहले से ही सदमे में पहुंचे पिता को ज्यादा सदमा तब लगा जब जिला अस्पताल में उसे बच्चे की लाश कंधे पर लादे उसका मृत्युप्रमाण पत्र बनवाने के लिए भटकना पड़ा।
बच्चे की मौत के बाद उसकी लाश घर ले जाने से पहले अस्पताल प्रशासन ने दिनेशचंद को कहा कि उसे मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाना होगा। अस्पताल प्रशासन द्वारा निर्मम तरीके से यह फरमान तो जारी कर दिया, मगर यह भी नहीं सोचा कि एक बाप अपने बेटे के शव को कंधे पर लादे घंटों उसके लिए कितना परेशान रहा। इस दौरान अस्पताल में आये लोगों के सामने दिनेशचंद बेटे की अर्थी कंधे पर लिये मदद के हाथ फैलाता रहा कि कोई तो मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने में उसकी मदद कर दे, मगर अस्पताल कर्मियों का दिल नहीं पसीजा।

इस अमानवीय और दुखद घटना पर लखीमपुर खीरी के सपा नेता क्रांति कुमार सिंह कहते हैं, ‘राज्य सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ को नागरिकों की चिंता कम आत्मप्रचार और जनविरोधी मुद्दों की ज्यादा है। यह घटना बताती है कि प्रदेश में स्वास्थ्य की न्यूततम सुविधाएं तक नहीं हैं और अस्पताल प्रशासन के लिए गरीब मरीज कोई मायने नहीं रखते।’
अस्पताल में उस समय मौजूद प्रत्यक्षदर्शी कहते हैं, आंखों में आंसू और कंधे पर बेटे का शव लादे दिनेश को देखकर इंसानियत जार-जार रो रही थी। अस्पताल का फरमान बजाता दिनेश बेटे का शव कंधे पर लिये कभी अस्पताल के इस काउंटर पर जाता तो कभी उस काउंटर पर। चक्कर लगाते-लगाते जब वह पस्त हो गया तो उसके बहुत देर बाद जिला अस्पताल में उसके बेटे का मृत्य प्रमाणपत्र जारी हो पाया। इतनी मुश्किलों के बाद मृत्यु प्रमाणपत्र बनने के बाद वह अपने बेटे की लाश घर ले जा पाया।
अस्पताल में मानवता को शर्मसार करने वाले इस जघन्य कांड पर जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरके वर्मा का कहना है कि मरीज की मौत के बाद उसका प्रमाणपत्र जारी हो जाता है। इस तरह की कोई परेशानी सामने नही आती।
(जनज्वार से साभार )

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