राष्ट्रनिर्माण में व्यस्त हमारी महिला नेता रेप के मामलों पर क्यों नहीं बोलती हैं ?

फोटो में – एक कार्यक्रम में सांसद मुथुवेल करुणानिधि कनिमोझी, स्मृति ईरानी, सुप्रिया सुले, अनुप्रिया पटेल और हरसिमरत कौर बादल |

भाजपा संघ की विचारधारा से प्रेरित है, जो शुरू से ही महिला विरोधी आदिम सामंती विचारों को मानती है

देश के गृहमंत्री अमित शाह के मुताबिक भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है. चाल, चरित्र और चेहरा की बात करने वाली भाजपा अपने सदस्यों को राष्ट्रनिर्माण का वचन देती है. इनका वादा है कि इनसे जुड़ते ही आप राष्ट्रनिर्माण की दिशा में एक कदम आगे बढ़ा देते हैं. जाहिर सी बात है कि देश की आधी आबादी यानी लगभग 50 करोड़ महिलाओं के लिए भी यहां रास्ता खुला ही है. महिलाएं भी राष्ट्रनिर्माण में अपनी हिस्सेदारी जता सकती हैं.

गौरतलब है कि पिछले दिनों अमित शाह ने एक कार्यक्रम में बिल्कुल प्राचीन इतिहास के नायकों की तरह कहा था कि औरतों की ‘इज्जत’ के लिए युद्ध भी करना पड़े तो करेंगे. सुनने में ऐसा ही भान हुआ कि राजा पोरस या चंद्रगुप्त, विक्रमादित्य ने अपनी जनता से ये वादा किया है.

पर ये नहीं पता चला कि ये युद्ध किस तरह का होगा. क्योंकि भाजपा और औरतों में रेप को लेकर एक अलग युद्ध चल रहा है. पिछले दो सालों में देश में तीन हाई-प्रोफाइल रेप के मामले हुए हैं, जिन्होंने इस अपराध के इर्द-गिर्द बने इको सिस्टम की वजह से बाकी रेप के अपराधों को ढंक दिया. इन तीनों ही मामलों में भाजपा का नाम बार-बार उछला है और इस कदर उछला है कि आप गृहमंत्री के बयान की विवेचना करना चाहेंगे.

चिन्मयानंद केस

पहला मामला अभी चल रहे चिन्मयानंद केस का है. भाजपा नेता और पूर्व गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद पर उनके अधीन एक लॉ कॉलेज की छात्रा ने यौन शोषण और रेप का आरोप लगाया. अपने समर्थन में उसने 43 वीडियो जारी किए. लेकिन चिन्मयानंद की तरफ से एक वीडियो आया जिसमें कथित रूप से लड़की 5 करोड़ की रंगदारी मांग रही थी. लड़की ने उस वीडियो में होने से इंकार किया है. लेकिन पुलिस ने रंगदारी के आरोप में उस लड़की को गिरफ्तार कर लिया है. जबकि चिन्मयानंद एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल जा रहे हैं क्योंकि अचानक उन्हें कई बीमारियां हो गई हैं.

अगर चिन्मयानंद को सोशल मीडिया पर मिल रहे समर्थन को देखें तो कहा जा रहा है कि लड़की को अगर रेप का चार्ज लगाना था तो 43 वीडियो बनाने की क्या जरूरत थी, एक से ही हो जाता. उसने रंगदारी के लिए ही इतने वीडियो बनाये. हालांकि, लोग ये नहीं समझ रहे कि ‘रंगदारी’ के लिए भी एक वीडियो ही काफी था. 43 वीडियो के बाद जब रेप का चार्ज नहीं लगा है. चिन्मयानंद के ऊपर तो ये भाजपा को लेकर काफी कुछ कहता है. भाजपा ने चिन्मयानंद को पार्टी से भी नहीं निकाला है. गौरतलब है कि चिन्मयानंद के ऊपर 2011 में भी रेप का चार्ज लगा था. पर योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पिछले सालों में उस आरोप को हटाने की कवायद शुरू कर दी.

सवाल ये है कि क्या ये लड़की भाजपा ज्वाइन कर लेती तो उसे न्याय मिल जाता? चिन्मयानंद के ऊपर कार्रवाई होती?

उन्नाव केस

दूसरा मामला यूपी से भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का है. उन्नाव के विधायक पर एक लड़की ने नौकरी का झांसा देकर कई बार दुष्कर्म करने का आरोप लगाया. इस आरोप के बाद उसके परिवार का जीना मुश्किल हो गया. उसके पिता की पुलिस हिरासत में संदिग्ध हालत में मौत हो गई. चाचा पर पुलिस ने तमाम आरोप लगाकर जेल भेज दिया. एक सड़क हादसे में उसके परिवार की दो महिलाओं की मौत हो गई और वो लड़की खुद उसी हादसे में अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही है. बहुत दबाव पड़ने के बाद कुलदीप सिंह सेंगर को इस मामले में गिरफ्तार किया गया.

सवाल ये है कि क्या वो लड़की सेंगर पर आरोप लगाने से पहले भाजपा ज्वाइन कर लेती तो उसे न्याय मिल जाता?

कठुआ केस

तीसरा मामला 2018 में जम्मू-कश्मीर में बकरवाल समुदाय की नन्हीं सी बच्ची आसिफा के रेप और मर्डर का है. इस जघन्य अपराध के आरोपियों को बचाने के लिए जम्मू-कश्मीर भाजपा के नेता और तत्कालीन भाजपा मंत्री भी सामने आ गये थे और तमाम रैलियां निकाली थीं. ऐसा लग रहा था कि जम्मू-कश्मीर के नाम पर उस बच्ची आसिफा से कोई बदला लिया जा रहा है.

सवाल ये है कि क्या आसिफा के मां-बाप पहले भाजपा ज्वाइन करते और फिर मामला खोलते तो कार्रवाई होती? क्योंकि तीनों ही मामलों में भाजपा के नेताओं ने अपने ‘समर्थकों और पार्टी के लोगों’ के लिए एक अलग ही संवेदना प्रकट की है.

राष्ट्रनिर्माण में व्यस्त देश की नेत्रियां

ये संवेदना भाजपा की महिला नेताओं में भी दिखाई देती है. आश्चर्यजनक रूप से भाजपा में कई महिला नेता हैं, जो कैबिनेट मंत्री हैं. स्मृति ईरानी महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं. निर्मला सीतारमन पहले रक्षामंत्री थीं, इस बार वित्तमंत्री हैं. पर दोनों ही मंत्रियों ने इन मामलों पर चुप्पी साध रखी है. दोनों ही भाजपा द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी को पूरा करने में इतनी व्यस्त हैं कि रेप जैसे छोटे मामलों को देखने के लिए फुर्सत नहीं है.

ये अच्छी बात है कि महिला नेताओं को देश के पुलिस तंत्र और न्याय तंत्र पर पूरा यकीन है कि न्याय तो होगा ही और दोषी को सजा भी मिलेगी. गिरती जीडीपी को संभालते हुए भाजपा नेत्री निर्मला सीतारमण को भी ऐसी घटनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए. हमारी नेत्रियां राष्ट्रनिर्माण में इतनी व्यस्त हैं कि ऐसे मामलों पर एक ट्वीट तक नहीं कर सकतीं.

सवाल ये है कि क्या देश की पचास करोड़ महिलाएं भाजपा ज्वाइन कर लें तो उन्हें किसी तरह के रेप थ्रेट से मुक्ति मिल जाएगी? जैसा कि गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि युद्ध करना पड़े तो करेंगे और भाजपा के लोगों ने ‘अपने लोगों’ के लिए युद्ध तो किया ही है. क्या भारत की औरतों की सुरक्षा बस एक मिस्ड कॉल के लिए रूकी है? एक मिस्ड कॉल दें राष्ट्रनिर्माण के लिए और रेप थ्रेट से मुक्ति पा जाएं?

ज्योति यादव ( द प्रिंट से साभार एवं संपादित )

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