उत्तराखंड रोडवेज कर्मियो को दो हफ्ते में वेतन दो -हाई कोर्ट

वेतन भी ना दो, विरोध पर एस्मा जैसा दमनकारी कदम उठाओ, वाह रे उत्तराखंड की भाजपा सरकार वाह!
उत्तराखंड में तीन माह से रोडवेज कर्मचारियों का वेतन बकाया है, विरोधस्वरूप आन्दोलन पर राज्य की भाजपा सरकार एस्मा (हड़ताल रोकने के लिए आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून) लगाने की धमकी देती है। इसके ख़िलाफ़ यूनियन ने उच्च न्यायालय नैनीताल में दायर की है जनहित याचिका।
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायलय ने रोडवेज कर्मचारियों के तीन माह से वेतन नहीं देने के मामले में सुनवाई के दौरान सचिव परिवहन निगम को कोर्ट में पेश होना पड़ा। कोर्ट ने कर्मचारियों के वेतन देने के लिए 12 करोड़ रुपए दो सप्ताह में रिलीज करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 14 अक्टूबर नियत हुई है।
ज्ञात हो कि पिछले तीन माह से वेतन भत्ते व अन्य सुविधाएं नहीं दिए जाने व उसके विरुद्ध हड़ताल पर एस्मा लगाए जाने के खिलाफ यूनियन द्वारा जनहित याचिका दायर की गई थी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सचिव को पेश होने को कहा था।
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जन हित याचिका में बयां की व्यथा
रोडवेज़ कर्मचारी यूनियन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी पंत ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कहा कि राज्य सरकार ने कर्मचारियों को तीन महीने से वेतन नहीं दिया है। इसके चलते कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति बहुत विकट हो गई है और उनके लिए अपने परिवार का भरण पोषण करना तक मुश्किल हो गया है।
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लूट रही है सरकार, भुगत रहे हैं कर्मचारी
याचिका में यह भी कहा गया है कि यूपी पर राज्य सरकार का 2002 से बकाया है जो अब तक का 700 करोड़ रुपये हो गया है। लेकिन सरकार उसे वसूलने के प्रति गंभीर नहीं हैं। यूनियन के वकील एमसी पंत ने बताया कि सरकार के वकील ने हाईकोर्ट को यह कहकर गुमराह करने की कोशिश की कि यूपी के सचिव से इस संबंध में बातचीत चल रही है।
याचिका में यह भी कहा गया है विभिन्न मौकों पर जिसमें आपदा भी शामिल है राज्य सरकार बसों को हायर करती है लेकिन उसका भी पैसा नहीं देती। अब तक सरकार पर केदारनाथ आपदा का भी पैसा बकाया है और यह अब तक 45 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है।
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एस्मा लगाने की धमकी ग़लत
यूनियन ने कहा कि सरकार उनको हड़ताल के लिए मजबूर करती है और फिर एस्मा लगाने की चेतावनी देती है। कोर्ट में एस्मा को चुनौती देते हुए कहा गया है कि ऐसे में सरकार द्वारा हड़ताल पर एस्मा की कार्रवाई करना पूरी तरह ग़लत और नियम विरुद्ध है। दरअसल सरकार कर्मचारियो को हड़ताल करने पर मजबूर करती आई है।
सरकार व परिवहन निगम न तो उनको नियमित कर रही है, न उनको नियमित वेतन दिया जा रहा है, न उनको पिछले चार साल से ओवर टाइम दिया जा रहा है। रिटायर कर्मचारियों का न ही देयकों का भुगतान किया गया। सरकार ने निगम को 45 करोड़ रुपया बकाया देना है। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने भी निगम को सात सौ करोड़ रुपया देना है।
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अगर सरकार और निगम इनको वसूले तो यूनियन व निगम की सारी समस्या सुलझ जाएगी। लेकिन संसाधनों को लूटने में जुटी भाजपा सरकार के लिए आम मज़दूर-कर्मचारी कोई मायने नहीं रखते।