वोल्टास प्रबंधन ने 8 मज़दूरों की कर दी गेट बंदी

माँग पत्र पर समाधान की जगह प्रबंधन की बढ़ती तानाशाही, प्रबंधन सीधे कहता है कि श्रम विभाग तो मेरी जेब में है…!


पंतनगर (उत्तराखंड)। एयर कंडीशनर बनाने वाली वोल्टास लिमिटेड पंतनगर के प्रबंधन ने आज यूनियन अध्यक्ष व महामंत्री सहित 8 मजदूरों की गैरकानूनी गेट बंदी कर दी। इसके खिलाफ मजदूरों का संघर्ष नए मुक़ाम पर आ गया है। एक तरफ गेट बंदी के शिकार मज़दूर कंपनी गेट पर धरने पर बैठ गए हैं, वहीं दूसरी तरफ प्लांट के भीतर काम करने वाले मज़दूरों ने आज प्रबंधन का घेराव किया और लंच का बहिष्कार किया।

गेटबंदी के शिकार मज़दूरों में यूनियन अध्यक्ष मनोज कुमार, महामंत्री दिनेश पन्त, पूर्व अध्यक्ष नन्द लाल, कुंदन सिंह, राकेश जोशी, चन्द्र भूषण, पंकज मालिक व अतीक खान शामिल हैं।

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माँगपत्र पर करीब दो साल से संघर्ष जारी

कंपनी में नए वेतन समझौते के लिए वोल्टास इंप्लाइज यूनियन ने 10 दिसंबर 2017 को अपना मांग पत्र दिया था। तब से संघर्ष चल रहा है। प्रबंधन ने शुरू से ही मज़दूरों पर दबाव बनाने के लिए पूर्व में मिलने वाली तमाम सुविधाएं काट दीं, मज़दूरों की कई बार गैरकानूनी वेतन कटौतियां की, एक स्थाई श्रमिक को निलंबित कर गेट बंद किया। यूनियन ने स्थायीकरण की मांग उठाई थी इसलिए प्रबंधन ने कई ठेका श्रमिकों की गेट बंदी कर दी 2 घंटे के मिलने वाले लघु अवकाशों को भी बंद किया।

यूनियन का कहना है कि प्रबन्धन की यह सारी गैरकानूनी गतिविधियां लगातार चलती रही, लेकिन श्रम अधिकारी, एएलसी-डीएलसी ने प्रबंधन के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की, जिसके कारण प्रबंधन का मनोबल बढ़ता गया।

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डीएलसी ने माँगपत्र भेजा श्रम न्यायालय, प्रबन्धन की मनमर्जी और तेज

इस बीच डीएलसी ने मांग पत्र को श्रम न्यायालय में संदर्भित कर दिया, लेकिन यूनियन के लगातार दबाव बनाने के कारण प्रबंधन द्वारा की गई इन गैर कानूनी कार्रवाई के खिलाफ नोटिस जारी किया। इसपर अभी चार अक्टूबर को वार्ता होनी है।

इस बीच प्रबंधन ने 8 मजदूरों का दूसरे प्लांट में स्थानांतरण का दबाव बनाया, जिस पर यूनियन ने साफ कह दिया कि औद्योगिक विवाद कायम रहते ऐसी कोई भी कार्रवाई नहीं हो सकती है, इसके लिए उन्हें श्रम न्यायालय से अनुमति लेनी होगी।

एएलसी ने फरमाया 4 अक्टूबर तक गेट पर बैठो

लेकिन प्रबंधन श्रम विभाग के साथ मिलीभगत करके आज 8 मजदूरों का गेट बंद कर दिया। यूनियन ने इस मुद्दे पर जब सहायक श्रम आयुक्त को पत्र दिया और उनसे तत्काल कार्यवाही की माँग की तो उन्होंने भी मामले को सुलझाने की जगह उलझा दिया और कहा कि पूर्व में वार्ता का पात्र दे दिया है, इसलिए अभी पत्र जारी नहीं कर सकते। सलाह दी कि वे गेट पर ही बैठे रहे रजिस्टर में अपना नाम दर्ज करें और 4 अक्टूबर की वार्ता में इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा।

सवाल यह है कि मजदूरों की गेट बंदी 25 सितंबर को हुई है और वार्ता 4 अक्टूबर को होगी, तब तक मजदूर क्या गेट पर रोज बैठेंगे? क्या यही है श्रम विभाग का न्याय?

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यूनियन द्वारा एएलसी को पत्र दे लगाया आरोप

यूनियन द्वारा एएलसी को दिए पत्र में लिखा है कि वोल्टास लिमिटेड सिडकुल पंतनगर के प्रबंधन ने आज दिनांक 25/09/ 2019 को गैरकानूनी रूप से 8 श्रमिकों की गेट बंदी कर दी, जिसकी पूर्व में भी कोई सूचना नहीं दी थी। प्रबंधन से इस संबंध में बातचीत करने पर प्रबंधन ने बताया कि उनकी एएलसी, डीएलसी से बातचीत हो चुकी है। जो भी बात करना हो उनसे करो हमें कोई बात नहीं करनी है।

पत्र में लिखा है कि पिछले करीब 2 सालों से कंपनी में यूनियन के माँग पत्र पर औद्योगिक विवाद कायम है और प्रबंधन द्वारा संराधन कार्यवाही के पूरे दौर में सुविधाओं, वेतन कटौतियां, गेटपास/लघु अवकाश बंदी सहित एक के बाद एक गैरकानूनी गतिविधियां की गई, जिसकी सूचना देते रहे और श्रम विभाग द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं करने के कारण प्रबंधन का मनोबल बढ़ता गया। प्रबन्धन ने यूनियन कार्य से जाने हेतु गेटपास देना भी बंद किया, और अब यह गेटबन्दी। आज तो वह खुलेआम कह रहा है कि एलसी डीएलसी से उनकी बात हो गई है।

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पत्र द्वारा माँग किया है कि प्रबंधन की गैरकानूनी गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाएं, समस्त श्रमिकों की तत्काल प्रभाव से कार्यबहाली करवाएं, किसी भी श्रमिक के किसी भी प्रकार की सेवा शर्तों और कार्य की प्रकृति में औद्योगिक विवाद के दौरान किसी भी प्रकार का परिवर्तन ना करने का आदेश दें और प्रबंधन द्वारा गैरकानूनी गेट बंदी से लेकर पूर्व में दिए गए पत्रों के अनुसार किए गए गैर कानूनी कृत्यों पर उचित कानूनी कार्रवाई करें।

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यह मोदी दौर की विशेषता है

अभी जो हर जगह का प्रबन्धन आक्रामक दिख रहा है, उसकी वजह भी एकदम साफ है। मोदी सरकार ने श्रमक़ानूनी अधिकारों पर डकैती करके मालिकों को असीमित अधिकार दे दिए हैं। दूसरी ओर मज़दूर आबादी बिखराव की स्थिति में है। इन हमलों के शिकार मज़दूरों का एक हिस्सा मोदी की जय-जयकार में लगा है।

मोदी सरकार को अच्छी तरह से मालूम हो गया है कि वे जिनकी गर्दन काट रहे होंगे, वे ही उनकी गुड़गान करेंगे। सच बोलने और इन नीतियों की मुखालफत करने वालों से अपने ही भाई आपस मे लड़ेंगे…

तो फिर भोगेगा कौन? मज़दूर!

इसे समझना होगा और एकजुट हो संघर्ष की दिशा में आगे बढ़ाना होगा !

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