सूरत का हीरा उद्योग भी मंदी की चपेट में

15 हजार से ज्यादा नौकरियां गईं, सीएम से आर्थिक पैकेज की मांग

भारत के औधोगिक क्षेत्रों में तथाकथित आर्थिक मंदी गहरा रही हैं। सूरत का हीरा उधोग भी साल 2008 के बाद से संकट में है। पिछले कुछ हफ्तों में 15,000 से अधिक रत्न कलाकारों को नौकरी से निकाल दिया गया हैं। लेकिन, यहां कोई आवाज तक नहीं उठा रहा है। दरअसल यह क्षेत्र असंगठित है, जहां कोई मजदूरों कर्मचारियों की कोई सुनवाई नहीं है।


दिसंबर 2018 के बाद से, लगभग एक लाख रत्न कलाकारों को निकाल दिया गया। यह सभी मोटे हीरे को काटने और चमकाने में लगे थे। मालिकों का कहना है कि 2008 में वैश्विक मंदी के बाद से सबसे खराब मंदी है।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा कटिंग और पॉलिशिंग डायमंड सेन्टर हैं, जो दुनिया के हर 15 रफ डायमंड्स में से 14 की प्रोसेसिंग करता हैं। सूरत और गुजरात के अन्य शहरों में हजारों कारखानों में 95 प्रतिशत से अधिक हीरे काटे और पॉलिश किए जाते हैं ।
दक्षिण गुजरात के इस शहर सूरत में 3,000 से अधिक छोटे और मध्यम कारखानों में सात लाख लोग कार्यरत हैं।
कुछ दिनों पहले सूरत के प्रमुख हीरा कंपनी, गोधानी जेम्स ने अपने 550 रत्न कलाकारों को नौकरी से निकाल दिया।


सूरत डायमंड एसोसिएशन के पूर्व प्रमुख और वर्तमान में रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद यानी जीजेईपीसी (गुजरात विभाग) के अध्यक्ष दिनेश नावडिया ने कहा था कि कई कारणों से रत्न कलाकारों को निकाला जा रहा हैं, क्योंकि आर्थिक मंदी ने हीरा कारोबार को बूरी तरह प्रभावित हैं। ले-ऑफ घटनाएं भी खूब हो रही है।


दिनेश नावडिया और अन्य प्रतिनिधियों ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जीएसटी के संचय, करों को कम करने और बैंकों द्वारा ऋण देने सहित उनके मुद्दों पर चर्चा की थी।


हीरा क्षेत्र में नुकसान करने वाले मुख्य कारकों में रफ हीरों में बिना मूल्य की वृद्धि शामिल हैं, यहां तक कि पॉलिश किए गए हीरों की कीमतें भी बढ़ गई हैं क्योंकि दो मुख्य बाजारों के बीच व्यापार युद्ध बढ़ने से प्रभावित विदेशी मांग में गिरावट के कारणरू चीन और यू.एस. का ट्रेड वार शामिल हैं।

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