पंजाब एंड महाराष्ट्र बैंक के लाखों जमाकर्ताओं की दीवाली काली

6 महीने तक अपने एकाउंट से 1000 रुपए से ज्यादा निकालने पर आरबीआई की पाबन्दी
अगर आप पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक के ग्राहक हैं तो अगले 6 महीने तक 1000 रुपये से अधिक पैसा नहीं निकाल सकेंगे। दरअसल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी है। मोदी सरकार की यह सौगात क्या है? आर्थिक मामले के विशेषज्ञ गिरीश मालवीय की पोस्ट…
कल भारतीय रिजर्व बैंक ने महाराष्ट्र एंड पंजाब बैंक के लाखों जमाकर्ताओं की दीवाली काली कर दी खाताधारक अब 6 महीने तक अपने एकाउंट से 1000 रुपए से ज्यादा नहीं निकाल सकेंगे।
इस बैंक में बहुत छोटे छोटे लोग जो छोटा मोटा व्यापार करते थे, नोकरी करते थे सब्जी भाजी का ठेला लगाते थे अपनी बचत जमा कर देते थे…… एक झटके में आपने उनसे उनका मेहनत से कमाया हुआ पैसा छीन लिया।
मुझे याद है जब नोटबन्दी हुईं थी तब फोर्ब्स पत्रिका के स्टीव फोर्ब्स ने लिखा था, “भारत सरकार का नोट बंदी का कृत्य घोर अनैतिक है, क्योंकि मुद्रा वह वस्तु है, जो लोगों द्वारा बनाई गई वस्तुओं का प्रतिनिधित्व करती है ! मुद्रा बिल्कुल वैसा ही वादा होती है, जैसा कोई सिनेमा या कार्यक्रम में शामिल टिकट होती है, जो आपको सीट मिलने की गारंटी देती है ! इस तरह के संसाधन सरकारें नहीं, लोग पैदा करते हैं “……….
सरकार का जमाकर्ताओं के पैसे पर जरा सी भी हक़ नही है तो सरकार को क्या अधिकार हैं कि वह उनके खुद के कमाए पैसे से उन्हें महरूम कर दे?…. …..लेकिन यह हो रहा है और हम देख रहे हैं।
आपकी जानकारी के लिये बता दूं कि पीएमसी बैंक कोई छोटा मोटा बैंक नही है यह बैंक देश के टॉप टेन कोऑपरेटिव बैंक में शामिल था…….पीएमसी बैंक मल्टी स्टेट अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक है। ये बैंक महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, गोवा, गुजरात, आंध्रप्रदेश और मध्यप्रदेश में काम करती है। बैंक की 6 राज्यों में 137 ब्रांच है। बैंक की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च तक कर्मचारियों की संख्या 1,814 थी। मार्च 2019 तक बैंक के पास खाताधारकों का 11 हजार 617 करोड़ रुपए का डिपॉजिट था।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह बैंक का पिछला रिकॉर्ड बिलकुल साफ सुथरा है बल्कि यह काफी सक्षम बैंक मानी जाती है पीएमसी बैंक इतना सक्षम बैंक था कि कुछ दिन पहले ही गोवा के दो बीमार सहकारी बैंकों मापुसा अर्बन कोऑपरेटिव और मडगाम अर्बन कोऑपरेटिव बैंक का विलय उसके अंदर किये जाने की चर्चा चल रही थी, पिछले सालो में अपनी AGM में “बैंक ने अपने शेयरधारकों के लिए 11 प्रतिशत लाभांश की घोषणा की, हर साल उसका लाभ भी बढ़ता जा रहा था वित्त वर्ष 2016-17 के लिए 96.04 करोड़ रुपये के मुकाबले 2017-18 वित्त वर्ष में 100.90 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया।वित्त वर्ष 2016-17 में बैंक का कुल जमा 9,012 करोड़ रुपये रहा, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में यह 9,938.85 करोड़ रुपये के रूप में दर्ज किया गया था। इस मीटिंग के अनुसार “31 मार्च 2018 को बैंक का 2,737.95 करोड़ रुपये का निवेश है, जिसमें से 2,320.13 करोड़ रुपये सरकार द्वारा स्वीकृत प्रतिभूतियों में निवेश किए गए हैं”।
यानी साफ है कि उसके रिकॉर्ड के अनुसार वह लाभ में था ओर पूरी तरह से सक्षम भी था सरकारी प्रतिभूतियों में उसका निवेश था आदि आदि …..तो अचानक उस पर रिजर्व बैंक ने इतनी बड़ी कार्यवाही कैसे कर दी ?
दरअसल सभी अरबन कोआपरेटिव बैंकों का नियमन रिजर्व बैंक करता है। इन बैंकों के आडिट वाले बही खाते के आधार पर केंद्रीय बैंक वार्षिक आधार पर निगरानी जांच करता है। यानी यह माना जाए कि पिछले सालों में जब भी ऐसे ऑडिट किये गए ऐसी कोई गड़बड़ी पकड़ में नही आई और आज अचानक से इतनी बड़ी गड़बड़ी पकड़ की गई कि आपको रोक ही लगानी पड़ गयी।
आरबीआई ने PMC बैंक पर बैंकिग रेलुगेशन एक्ट, 1949 के सेक्शन 35ए के तहत यह कार्रवाई की हैं यह असाधारण कार्यवाही है।
क्योकि बताया यह जा रहा है कि पीएमसी बैंक पर एनपीए कम बताने समेत प्रबंधन में कई तरह की खामियों के आरोप हैं। सूत्रों ने बताया कि पीएमसी पर ये अंकुश उसके द्वारा अपने डूबे कर्ज के बारे में सही जानकारी नहीं देने की वजह से लगाया गया हैं। बैंक ने अपने एनपीए को काफी कम कर दिखाया है।
लेकिन ठीक ऐसे ही आरोप बड़े बड़े बैंको पर भी लगे हैं तो उन्हें सिर्फ जुर्माना लगा कर छोड़ दिया गया पिछले साल आरबीआई ने देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई पर 7 करोड़ रुपए, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया पर 10 लाख रुपए का ओर एक्सिस बैंक पर 3 करोड़ रुपए जुर्माना लगाया है। ओरियंटल बैंक आफ कॉमर्स पर डेढ़ करोड़ का जुर्माना लगाया इसके अलावा रिजर्व बैंक ने पंजाब नेशनल बैंक और बैंक आफ बड़ौदा पर भी 50-50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) पर भी 2 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया।
यह सारे जुर्माने एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) की पहचान और धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन एवं अन्य प्रावधानों से जुड़े नियमों का अनुपालन नहीं करने को लेकर लगाए गए।
तो फिर PMC बैंक ने ऐसा कौन सा गुनाहे अजीम कर दिया जिस से उस पर जुर्माना न लगा कर उसे एक ऐसी सजा सुनाई गई है जिसे उसके मजलूम खाता धारकों को भुगतना पड़ रहा है ?
दरअसल पहले मीडिया इस तरह के प्रश्न पूछता था! तथ्यों की खोजबीन भी करता था लेकिन अब सब खत्म हो गया है।
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