उत्तराखंड में इलाज हुआ ज्यादा महँगा

मुँह में राम, बग़ल में छुरी

दिल्ली में ओपीडी पर्चा मुफ्त, उत्तराखंड में 60 रुपए, भर्ती चार्ज 240 रुपए और पैथालॉजी टेस्ट 300 रुपए तक हुए…

जी हाँ, उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने एक और जनविरोधी कदम उठाते हुए सरकारी अस्पतालों में इलाज को कई गुना ज्यादा महँगा कर दिया है। वैसे भी उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में प्रतिवर्ष इलाज 10 फीसदी महँगा होता रहा है। उत्तराखंड में सरकारी इलाज पूरे देश के सरकारी अस्पतालों के इलाज के मुकाबले पहले से ही काफी महँगा रहा है। इस नई बढ़ोतरी ने आम जनता को इलाज से पूरी तरह महरूम करने की व्यवस्था पूरी कर दी है!

अब उत्तराखंड सरकार ने सरकारी अस्पतालों में ओपीडी पर्ची, पंजीकरण से लेकर एक्सरे, टेस्ट तक सब में भारी वृद्धि की है। जिसके आधार पर शासन शासनादेश भी जारी कर रहा है।

हालत ये हैं कि इस पहाड़ी राज्य में पहाड़ के अस्पतालों में बुनियादी सुविधाएँ तक नहीं हैं, मैदानी अस्पतालों में भी डाक्टरों की कमी है, लेकिन वसूली के लिए ये जनता की छाती पर सवार हैं।

हर साल 10 फीसदी बढ़ती रही है इलाज की दर

क़रीब एक दशक से पहले, जब सरकारी अस्पताल की पर्ची 10 रुपए की हुआ करती थी, तब राज्य सरकार ने एक फरमान जारी किया था, जिसके तहत 10 फीसदी बढ़ोतरी हर साल होने लगी। इस बीच बारी बारी कांग्रेस और भाजपा की सरकारें आती-जाती रही, लेकिन यह जनविरोधी फॉर्मूला लागू रहा।

ग़रीब जनता के लिए इलाज होगी दूर की कौड़ी

अभी त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने जो क़दम उठाया हैं, उसके बाद तो आम गरीब जनता के लिए सरकारी अस्पताल भी दूर की कौड़ी हो जाएगी। इस बढ़ोतरी का असर गरीबी रेखा से नीचे और उससे बाहर दोनों तबकों को होगा।

राज्य में ग़रीब जनता के लिए अटल आयुष्मान कार्ड जारी किए गए थे। अब नए फरमान के तहत आयुष्मान योजना के लाभार्थियों को भी ओपीडी शुल्क के लिए ज्यादा पैसा खर्च करना होगा।

बढ़ी हुई दरों का बानगी देखें

नए दरों की स्थिति यह है कि जिला अस्पताल में ओपीडी फीस अटल आयुष्मान कार्ड धारकों को 30 रुपए तथा गैर आयुष्मान कार्ड धारकों के लिए 60 रुपए देने होंगे। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अटल आयुष्मान कार्ड धारको के लिए पंजीकरण शुल्क 11 रुपए से बढ़ाकर 15 रुपए, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पंजीकरण शुल्क 12 रुपए से बढ़ाकर 20 रुपए और नगरी क्षेत्रों में 23 रुपए से 30 रुपए कर दिया गया। वहीं अन्य मरीजों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 30 रुपए, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए 40 रुपए और नगरी क्षेत्रों में 60 रुपए होगा।

जिला अस्पतालों में भर्ती शुल्क आयुष्मान कार्ड धारकों के लिए 30 रुपए से बढ़ाकर 100 रुपए और गैर आयुष्मान कार्ड धारकों के लिए 240 रुपए किया गया है। जनरल वार्ड में बेड की दरें सभी के लिए एक समान 50 रुपए हो गई है। दो बेड वाले प्राइवेट वार्ड के लिए आयुष्मान कार्ड धारकों को 190 रुपए और बाकी लोगों को 400 रुपए देने होंगे।

सिंगल बेड वाले वार्ड में आयुष्मान कार्ड धारकों को 400 रुपए और गैर आयुष्मान कार्ड धारकों को 800 रुपए देने पड़ेंगे। जबकि पहले इसकी दर 300 रुपए थी। इसी प्रकार एसी प्राइवेट वार्ड आयुष्मान कार्ड धारकों के लिए 600 रुपए और अन्य के लिए 1000 रुपए होगा। एसी रूम आयुष्मान कार्ड धारकों के लिए 12 सौ रुपए और अन्य के लिए 16 सौ रुपए होगा।

पैथालॉजी टेस्ट भी काफी महँगा

पैथोलॉजी में जांचों की दरें में भी 30 रुपए से लेकर 300 रुपए तक की बढ़ोतरी हुई है। ब्लड कल्चर और यूरीन कल्चर के लिए वसूली पहली बार शुरू हुआ है, जो 200 रुपए होगा। यूपीटी की दरें 46 रुपए से बढ़कर 65 रुपए हो गई हैं। अल्ट्रासाउंड आयुष्मान कार्ड धारकों के लिए 712 रुपए और अन्य के लिए 800 रुपए होगा। 

भोजन भी हुआ महँगा

अस्पतालों में पहले मुफ्त भोजन मिलता था। फिर उसे कीमत के दायरे में लाया गया। अब उसकी कीमत और ज्यादा बढ़ाई गई हैं, जिसे तय करने का काम अस्पतालों पर छोड़ दिया गया है।

कैबिनेट का फैसला, जारी होगा शासनादेश

त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार की कैबिनेट की अगस्त माह के अंत में बैठक हुई थी, जिसमें प्रदेश में सरकारी इलाज की दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को स्वीकृत किया गया था। जिसका शासनादेश अब जारी होगा।

यह बुनियादी हक़ों पर हमला है

भाजपा सरकार आम जनता से उसके सबसे बुनियादी और जरूरी हक़ निःशुल्क इलाज को पूरी तरीके से रोकने का इंतज़ाम करते हुए एक सामान्य प्राइवेट हॉस्पिटल से भी ज्यादा कर दिया है।

गले में रामनवमी दुपट्टा डालकर जिस तरीके का खेल चल रहा है, जनता कश्मीर, पाकिस्तान मंदिर गो-हत्या में उलझी हुई है और उसकी बुनियादी ज़रूरतें भी केंद्र से लेकर राज्य तक की भाजपाई सरकारें छीनती जा रही हैं।

इसी को कहते- हैं- मुँह में राम, बगल में छुरी

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