यौन शोषण के दोषी प्रोफेसर को बहाल करने पर बीएचयू में छात्राओं का विरोध प्रदर्शन

जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर पर छात्राओं ने लगाए हैं अश्लील हरकतें, अभद्रता और भद्दी टिप्पणियों का आरोप

नई दिल्ली। 36 लड़कियों द्वारा यौन शोषण के आरोप लगाए जाने के बावजूद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में आरोपी प्रोफेसर की बहाली को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। पूर्व में जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एसके चैबे को छात्राओं के साथ अश्लील हरकतें, अभद्रता और भद्दी टिप्पणियों का दोषी पाए जाने और जांच कमेटी द्वारा कठोरतम कार्रवाई के आग्रह के बावजूद बहाल कर दिया गया।

अक्टूबर 2018 में जंतु विज्ञान विभाग के बीएससी के पांचवे सेमेस्टर के छात्र-छात्राओं ने कुलपति को पत्र लिख कर प्रो. चैबे पर एक शैक्षणिक यात्रा छात्राओं के साथ शारीरिक छेड़खानी और अश्लील हरकतें करने का आरोप लगाया था और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. छात्र-छात्राओं का यह समूह 3 अक्टूबर से 9 अक्टूबर 2018 तक प्रो. चैबे के साथ भुवनेश्वर की शैक्षणिक यात्रा पर थे. इस यात्रा से लौटने के बाद 13 अक्टूबर को प्रो. चैबे के बर्ताव को लेकर यह सामूहिक शिकायत की गई थी.

इसके बाद 25 अक्टूबर 2018 लेकर 30 नवंबर 2018 तक आईसीसी द्वारा इस मामले की जांच की गई, जहां कमेटी ने सभी पीड़ितों, गवाहों, आरोपी, विभागाध्यक्ष, पूर्व विभागाध्यक्षों और मामले से जुड़े हुए लोगों से बात की है.

डेढ़ दर्जन से ऊपर शिकायतकर्ताओं, गवाहों और दस पूर्व विभागाध्यक्षों, शिक्षकों, कर्मचारियों से बात करने के बाद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी, जिसमें उसने प्रो. चैबे पर लगे आरोपों सिद्ध पाया. कमेटी की जांच में यह भी सामने आया कि प्रो. चैबे छात्राओं के साथ अश्लील हरकतों के आदी हैं और लंबे समय से ऐसा करते आ रहे हैं.

आरोप है कि छात्रों को न्याय दिलाने का आश्वासन फौरी तौर पर गुस्सा शांत कराने का एक हथकंडा मात्र निकला और सभी आरोपों में दोषी पाए गए आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की अनुशंसा की रिपोर्ट को दरकिनार करते हुए प्रो. चैबे को विश्वविद्यालय आने की अनुमति दे दी गई.


अक्टूबर 2018 में आईसीसी को जांच सौंपे जाने के बाद से प्रो. चैबे को निलंबित कर दिया गया था, लेकिन कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद प्रशासन द्वारा उन पर क्या कार्रवाई की गई, इस बारे में कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया.


दिसंबर 2018 में रिपोर्ट विश्वविद्यालय की एक्जीक्यूटिव काउंसिल की जनवरी 2019 में हुई एक बैठक में यह रिपोर्ट पेश हुई थी, लेकिन प्रो. चैबे के बारे में कोई फैसला नहीं किया गया. हालांकि इसके बाद जून 2019 में काउंसिल की एक और बैठक हुई.

सूत्रों के मुताबिक इसी बैठक में प्रो. चैबे को जुलाई से बहाल करने का निर्णय लिया गया. इसके बाद बीते अगस्त से प्रो. चैबे ने अपने शैक्षणिक दायित्व संभाल लिए. इस काउंसिल के अध्यक्ष बीएचयू के कुलपति राकेश भटनागर हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में भटनागर के हवाले से बताया गया है कि निलंबन आदेश केवल तब के लिए था जब तक कि आंतरिक शिकायत समिति अपनी जांच पूरी नहीं कर लेती. कुलपति ने अखबार को बताया कि आरोपी प्रोफेसर अब पढ़ाना शुरू कर देंगे.

इस बारे में बीएचयू के कुलपति राकेश भटनागर से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा, ‘उनको बड़ी सजा दी गई है, उन्हें सेंसर कर दिया है, कड़ी चेतावनी भी दी गई है. उनके सर्विस रिकॉर्ड में ये बात जुड़ गई है कि वो सेंसर हैं. इस सजा के बाद वो किसी यूनिवर्सिटी के वीसी नहीं बन पाएंगे.’

जब कुलपति राकेश भटनागर से आईसीसी की रिपोर्ट के बाबत पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने रिपोर्ट पढ़ी है. उन्होंने यह भी कहा कि एक्जीक्यूटिव काउंसिल ने पूरी रिपोर्ट पढ़ने के बाद ही ये फैसला लिया है.

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