बीएचयू की छात्राओं का धरना समाप्त, अभियुक्त प्रोफेसर को भेजा छुट्टी पर

36 छात्राओं ने लगाया है प्रोफेसर पर टूर के दौरान उत्पीड़न का आरोप

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में शनिवार शाम को शुरु हुआ छात्र-छात्राओं का धरना प्रदर्शन रविवार देर रात खत्म हो गया है। छात्र-छात्राएं यौन उत्पीड़न के एक कथित मामले में एक प्रोफेसर के खलिाफ कार्रवाई न होने के विरोध में विश्वविद्यालय के बाहर धरना दे रहे थे। उनका दावा था कि विश्वविद्यालय ने प्रोफेसर के दोषी पाए जाने पर भी उनके खलिाफ उचित कार्रवाई नहीं की है। धरना-प्रदर्शन के बाद अब बीएचयू ने अभियुक्त प्रोफेसर को इस मामले पर पुनर्विचार होने तक छुट्टी पर भेज दिया है।

विश्वविद्यालय ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा है, जंतुविज्ञान विभाग के प्रोफेसर शैल कुमार चैबे के ख़िलाफ की गई शिकायत पर शिकायत समिति ने जांच की थी. समिति की रिपोर्ट पर एग्जिक्यूटिव काउंसिल ने विचार करते हुए उन्हें सजा सुनाई थी. हालांकि, मामले पर पुनर्विचार करते हुए, एग्जिक्यूटिव काउंसिल के फैसले की समीक्षा के लिए उसके पास दुबारा भेजने का निर्णय लिया गया है. एग्जिक्यूटिव काउंसिल के इस मामले पर पुनर्विचार करने तक प्रोफेसर शैल कुमार चैबे को छुट्टी पर जाने के निर्देश दिए जाते हैं.
छात्राओं ने आरोप लगाया था कि धरना प्रदर्शन के दौरान प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए विज्ञान की छात्राओं के हॉस्टल में ताला लगा दिया था. छात्राओं को बाहर नहीं आने दिया जा रहा था. छात्राओं की मांग थी कि प्रोफेसर को विश्वविद्यालय से निकाला जाए. इस मांग को लेकर ही शनिवार शाम 7 बजे से प्रदर्शन शुरू हुआ था.

बीएचयू के पीआरओ राजेश सिंह ने मीडिया को बताया कि कार्यकारिणी परिषद प्रोफेसर के खिलाफ पहले ही कार्रवाई कर चुकी है. उन्होंने बताया, प्रोफेसर शैल कुमार चैबे पर जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सात जून 2019 को हुई कार्यकारिणी परिषद की बैठक में मेजर पेनाल्टी लगाई गई है, उन्हें दोषी ठहराया गया है. भविष्य में विश्वविद्यालय में कोई महत्वपूर्ण प्रशासनिक दायित्व उन्हें नहीं दिया जाएगा और वे आगे से कभी छात्रों से जुड़ी गतिविधियों में भी शामिल नहीं हो सकेंगे. इसके अलावा कभी किसी अन्य संस्थान में वे आवेदन भी नहीं कर पाएंगे.


मामला अक्टूबर 2018 का है. छात्राओं का आरोप है कि विश्वविद्यालय के जंतुविभाग से एक शैक्षणिक टूर गया था. इसमें छात्राएं भी शामिल थीं. उस टूर के दौरान छात्राओं ने प्रोफेसर पर छेड़खानी करने और अश्लील टिप्पणी करने का आरोप लगाया था. करीब 36 छात्राओं ने प्रोफेसर पर टूर के दौरान यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था. उन्होंने कुलपति को पत्र लिखकर शिकायत की थी.
तब ये मामला बीएचयू की 11 सदस्यीय आंतरिक शिकायत समिति के पास गया और प्रोफेसर को दोषी पाया गया. फिर मामला बीएचयू की एक्जिक्यूटिव काउंसिल के पास पहुंचा लेकिन वहां उन्हें सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया गया. इस साल जून में काउंसिल ने प्रोफेसर को बहाल करने का निर्णय लिया है.


शिकायत के समय निलंबित किए गए प्रोफेसर को अब वापस बहाल कर लिया गया है. जब छात्राओं ने साफ तौर पर अपनी शिकायत दर्ज कराई है और आईसीसी में प्रोफेसर को दोषी पाया गया है तो उन्हें सिर्फ चेतावनी देना तो काफी नहीं है. छात्राओं की मांग है कि प्रोफेसर को विश्वविद्यालय से निकाला जाना चाहिए.

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