आईएमएफ ने कहा, भारत की जीडीपी वृद्धि दर अनुमान से बहुत कमजोर

भारत नहीं रहा दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की श्रेणी में

भले ही केंद्र सरकार देश की अर्थव्यवस्था को आसमान की उंचाईयों की छूने की बात करती हो, लेकिन हकीकत कुछ और है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) का मानना है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार उम्मीद से ज्यादा कमजोर है।


आईएमएफ के प्रवक्ता गैरी राइस ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार के उम्मीद से ज्यादा कमजोर रहने की बड़ी वजह नियम-कायदे को लेकर अनिश्चितता तथा कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में नरमी का लम्बा खिंचना है।


हालिया आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2019-20 की पहली तिमाही में कम होकर पांच प्रतिशत पर आ गई। यह छह साल से अधिक का निचला स्तर है। राइस ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर का परिदृश्य नकारात्मक है। उन्होंने हालिया जीडीपी आंकड़ों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि आईएमएफ देश में आर्थिक स्थिति की निगरानी करेगा। उन्होंने कहा, ‘हम अगले वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में आकलन की जानकारी देंगे।’


अर्थव्यवस्था में सुस्ती की समस्या से जूझ रही केंद्र सरकार को आर्थिक विकास दर के मोर्चे पर भी झटका लगा है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में देश की आर्थिक विकास दर घटकर महज पांच फीसदी रह गई है, जो साढ़े छह वर्षों का निचला स्तर है। पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में आर्थिक विकास दर 5.8 फीसदी रही थी। आर्थिक विकास दर में गिरावट के बाद भारत से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा छिन गया है।

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