उबर ने मंदी के नाम पर 435 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला

यह कैसी मंदी ? मार सिर्फ मजदूरों – कर्मचारियों पर, कंपनी कमा रही है मुनाफा
नई दिल्ली। एक तरफ तो देश की वित्त मंत्री कर रही हैं कि ओबा व उबर जैसी टैक्सी सेवाएं देने वाली कंपनियों के कारण आॅटो मोबाइल सेक्टर में मंदी आई है, जबकि उबर मंदी का हवाला देकर कर्मचारियों की छंटनी कर रही है। अब कौन सही बोल रहा है और झूठ यह तो वही जाने, लेकिन मार सिर्फ मजदूरों – कर्मचारियों पर पड़ रही है। जबकि, पिछले दिनों उबर का मुनाफा बढ़ने की रिपोर्ट आई है। फिलहाल, उबर ने अपने प्रोडक्ट एवं इंजीनियरिंग टीम से 435 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। पहले जुलाई में भी कंपनी ने अपनी मार्केटिंग टीम से 400 कर्मचारियों को बाहर निकाल दिया था।
अमेरिकी मुख्यालय वाले टैक्सी एग्रीगेटर कंपनी उबर का कहना है कि उसकी आर्थकि हालत अच्छी नहीं चल रही है। अमेरिका में कंपनी का घाटा बढ़ता जा रहा है। इसी वजह से दो महीने में अमेरिका में कंपनी ने दूसरी बार छंटनी की है। कंपनी यह कह रही है कि भारत में भी उसका कारोबार अच्छा नहीं चल रहा। अभी पिछले दिनों निर्मला सीतारमण ने कहा कि ऑटो सेक्टर ऑटो-मोबाइल इंडस्ट्री स्टैंडर्ड और मिलेनियल्स के माइंड सेट से सबसे ज्यादा प्रभावित है। उन्होंने आगे कहा था कि देश में ओला, उबर जैसी एग्रीगेटर टैक्सी सेवाओं की वजह से कारें बिक नहीं पा रही, जिससे मंदी छाई है।
इस बार की छंटनी में इसके अमेरिकी दफ्तरों से करीब 8 फीसदी कर्मचारी बाहर हो गए हैं। 170 लोग प्रोडक्ट टीम से और 265 लोगों को इंजीनियरिंग टीम से बाहर निकाला गया है। कंपनी ने एक बयान में इस छंटनी की पुष्टि भी की है। उबर की प्रवक्ता ने कहा है, हमें उम्मीद है कि आगे स्थति सुधरेगी, हम अपनी प्राथमिकता के हिसाब से काम कर रहे हैं, और उच्च प्रदर्शन के आधार पर अपने को जवाबदेह बनाए हुए हैं। यहां बताते चले कि उबर को इस साल मई में ही न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया गया, कंपनी का कहना है कि इसके आईपीओ को अच्छा रिस्पांस नहीं मिला है। इसके बावजूद यह अमेरिका के पिछले पांच साल के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ था और इससे कंपनी ने 8.1 अरब डॉलर रकम जुटाई थी।
भारत की बात करें तो बीते जून महीने में इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि ओला और उबर की ग्रोथ रेट सुस्त पड़ गई है। हालांकि, सुस्त का मतलब धीमा होना था, लेकिन फिर भी ग्रोथ रेट बढ़ रहा था। यानी जितने कर्मचारी थे, उन्हें कम करने की जरूरत नहीं थी। रिपोर्ट में बताया गया था कि 6 महीनों के दौरान ओला और उबर के डेली राइड्स में सिर्फ 4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पहले डेली राइड्स 35 लाख था, जो अब करीब 36.5 लाख पर है।