देश के 150 पूंजीपतियों ने दबा रखे हैं जनता के साढ़े 4.5 लाख करोड़ रुपए

जनता की गाड़ी कमाई को लूटने वाले के नाम तक नहीं बता रही है आरबीआई
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार देश के अनुसूचित कॉमर्शियल बैंकों (एससीबी) का 31 मार्च 2019 तक 9,49,279 करोड़ रुपए नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) के रूप में फंसा पड़ा है। इसमें से 4,54,188 करोड़ रुपए मात्र देश के 150 पूंजीपतियों के पास फंसा पड़ा है। यह एसएसबी के कुल एनपीए का करीब 50 फीसदी है। लेकिन, आरबीआई ने जनता की गाड़ी कमाई से मौज करने वालों के नाम तक बताने से इनकार कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने संसद ने जानकारी दी। कहा कि एनपीए में फंसी बैंकों की राशि की वसूली के लिए दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 (आईबीसी) बनाया गया है। इसके तहत बैंकों की ओर से नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू की जाती है। दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू होते ही उधारकर्ता बैंक दिवाला कंपनी के कार्यों का प्रबंधन अपने हाथों में ले लेते हैं। आईबीसी को और प्रभावी बनाने के लिए इसमें कई संशोधन किए गए हैं। इन संशोधनों के तहत उधारकर्ता को तीन माह का कारावास और बंधक रखी गई संपत्ति पर 30 दिन के भीतर कब्जा करने का प्रावधान किया गया है।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि एनपीए राशि की वसूली के लिए कई बैंकों की ओर से ऋण वसूली अधिकरणों (डीआरटी) के समक्ष भी वाद-दायर किए गए हैं। वसूली में तेजी लाने के लिए सरकार ने देश में 6 नए डीआरटी की स्थापना की है। केंद्रीय मंत्री के अनुसार, वसूली को बढ़ाने के लिए ज्यादा राशि वाले एनपीए खातों की पहचान की गई है और इनको निगरानी अलग से की जा रही है। इसके अलावा 250 करोड़ रुपए से ज्यादा बकाए वाले खातों की निगरानी एक विशेष एजेंसी से कराई जा रही है।
वित्त राज्य मंत्री ने कहा है कि वसूली में तेजी लाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का असर दिख रहा है। केंद्रीय मंत्री के अनुसार, बीते चार सालों में कुल 4,01,424 करोड़ रुपए की वसूली की गई है। वित्त वर्ष 2018-19 में 1,56,746 करोड़ रुपए एनपीए की वसूली की गई है जो बीते चार सालों में सबसे अधिक है। बेहतर वसूली के लिए सरकार की ओर से ऑनलाइन संपूर्ण एकबारगी निपटान प्लेटफॉर्मों का सृजन किया गया है।