दमन का वह भयावह दौर

मारुति मजदूरों का आंदोलन एक नजर मे – 3

(शुरुआती संघर्षों से आगे बढ़ता मारुति मज़दूर आंदोलन एक नए चरण में… फिर क्या हुआ… प्रोविजनल कमेटी के राम निवास की रिपोर्ट….)

तीसरी क़िस्त

नई यूनियन ने दिया सामूहिक माँगपत्र

नवगठित मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन ने सभी मजदूरों की माँगों का ख्याल रखते हुए अपना सामूहिक माँग-पत्र मारुति प्रबंधन को दिया। इस माँग-पत्र में सबसे पहली व प्रमुख माँग ठेका प्रथा को खत्म करने और समान काम समान वेतन लागू करने की थी।

लेकिन इस माँग पर मारुति प्रबंधन में खलबली मच गई और उन्होंने हर तरीके से नवनिर्वाचित यूनियन पदाधिकारियों को प्रलोभन देने का प्रयत्न किया। प्रबन्धन यह दबाव बनाने लगा कि यह सिर्फ स्थाई श्रमिकों की यूनियन है और प्रतिनिधि उन्हीं की माँगें व सुविधाओं को उठा सकते हैं।

18 जुलाई की घटना और भयावह दमन का दौर

लेकिन बड़े आंदोलन से गुजर कर आए हुए नेतृत्व के साथी अपनी प्रथम माँग यानी ठेका श्रमिकों की माँग पर कायम रहे। मारुति प्रबंधन ने फिर से इस यूनियन को खत्म करने का अनेक तरीके से प्रयास किया। जब कंपनी प्रबंधन के सभी प्रयास असफल हुए तो उन्होंने अंततः 18 जुलाई 2012 को एक षड्यंत्रबद्ध तरीके से प्लांट के अंदर झगड़ा करवाया, जिसमें एक मैनेजर की मौत हो गई।

इसे भी देखें- http://मारुति मजदूर आंदोलन : एक नजर मे-1

कंपनी प्रबंधन ने उसका सहारा लेते हुए पुलिस-प्रशासन की मदद से भारी दमन के साथ 148 मजदूरों को जेल के अंदर डाल दिया। उसने 546 स्थाई मजदूरों और करीब 1800 ठेका मजदूरों को काम से निकाल दिया।

जो दिखा मारुति की वर्दी में, वो बना पुलिस का शिकार

इस घटना के बाद कंपनी प्रबंधन और सरकार की मिलीभगत खुलकर सामने आई। पुलिस प्रशासन ने बर्खास्त मजदूरों के ऊपर बेइंतहा दमन किया। जो भी मजदूर पुलिस को मिल जाता वह उसे जेल के अंदर डाल देते, फर्जी मुक़दमें ठोंक देते।

यह भी देखें- http:// संघर्ष, यूनियन गठन और झंडारोहण

दमन के बीच आंदोलन की नई उभार

दमन से बिखरे मजदूर फिर से गोलबंद होना शुरू हुए। एक नई पहल के साथ इस आंदोलन को आगे बढ़ने का संकल्प किया और एक अस्थाई कमेटी के तौर पर एक नई कार्यकारिणी का गठन किया- प्रोविजनल वर्किंग कमिटी, मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन। वर्ष 2012 से अभी तक प्रोविजनल कमेटी की अगुवाई में यह आंदोलन चलता आ रहा है ।

क्रमशः जारी…

About Post Author