बैंकों का विलय, सरकारी बैंकों पर डाका

अर्थव्यवस्था तबाही की ओर

नई दिल्ली। सरकार ने सरकारी बैंकों का विलय करके देशी विदेशी बड़े पूंजीपतियों को बैंकों में जमा जनता की गाढ़ी कमाई को लूटने का एक और मौका दे दिया है। यह ऐसे समय किया है, जब देश की अर्थव्यवस्था तबाह हो रही है। अधिकतर उद्योगों में संकट छाया हुआ है और छंटनी तालाबंदी ने रफ्तार पकड़ ली है।


वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने पंजाब नेशनल बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक के विलय का ऐलान किया। इस विलय के बाद पीएनबी देश का दूसरा बड़ा सरकारी बैंक बन जाएगा। इसके अलावा केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक, इंडियन बैंक में इलाहाबाद बैंक के विलय का ऐलान किया गया। इस विलय के बाद देश को 7वां बड़ा पीएसयू बैंक मिलेगा। पहले 27 पब्लिक सेक्टर बैंक थे अब 12 होंगे।


जानकारों की मानें तो बैंकों का फंसा कर्ज यानी एनपीए (मार्च 2018 से मार्च 2019) 8.96 लाख करोड़ से घटकर 7.90 लाख करोड़ रह गया है। सरकारी बैंकों का मुफाना लगातार बढ़ रहा है। मार्च में खत्म तिमाही के दौरान सिर्फ 6 सरकारी बैंक मुनाफे में थे जबकि जून में खत्म तिमाही के दौरान 14 सरकारी बैंक मुनाफे में आए। माना जा रहा है कि पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए देश में बैंकों की अहम भूमिका होगी। देश में ऐसे बैंक चाहिए जिनकी कर्ज देने की क्षमता ज्यादा हो।
बावजूद इसके, आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार को झटका लगा है। देश की विकास दर में गिरावट दर्ज हुई है। पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में विकास दर 5.8 फीसदी से घटकर 5 फीसदी हो गई है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पिछले वित्त वर्ष (2018-19) के 12.1 फीसदी की तुलना में महज 0.6 फीसदी की दर से आगे बढ़ सका है. वहीं एग्रीकल्चर और फिशिंग सेक्टर पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 5.1 फीसदी की तुलना में 2 फीसदी की दर से आगे बढ़ा है.


अगर कंस्ट्रक्शन सेक्टर की बात करें तो यहां 5.7 फीसदी की तेजी रही, जो पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 9.6 फीसदी की तुलना में 3 फीसदी से अधिक गिरावट है.फाइनेंशियल, रियल एस्टेट और प्रफेशनल सर्विसेज पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 6.5 फीसदी की तुलना में 5.9 फीसदी की दर से आगे बढ़ा है. इलेक्ट्रिसिटी, गैस, वाटर सप्लाई समेत अन्य सेक्टर में मामूली तेजी देखने को मिली है.


ये आंकड़े ऐसे समय में आए हैं जब दुनियाभर की रेटिंग एजेंसियां भारत के जीडीपी अनुमान को घटा रही हैं. हाल ही में इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड ने भारत की सालाना जीडीपी ग्रोथ का अनुमान भी 7.3 फीसदी से घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया है. एजेंसी का मानना है कि खपत में कमी, मॉनसून की बारिश अपेक्षा से कम, मैन्युफैक्चरिंग में कमी आदि की वजह से लगातार तीसरे साल अर्थव्यवस्था में सुस्ती रह सकती है. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने साल 2019 के लिए भारत का जीडीपी ग्रोथ 6.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. इससे पहले जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने बताया था कि सर्विस सेक्टर में सुस्ती, कम निवेश और खपत में गिरावट से भारत की जीडीपी सुस्त हुई है. नोमुरा की रिपोर्ट के मुताबिक उपभोक्ताओं का विश्वास कम हो रहा है और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट आई है।

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