फ्रांस में “येलो वेस्ट” आन्दोलन

नवंबर 2018 में फ्रांस में कई दशकों में एक बड़ा आन्दोलन देखा गया। आन्दोलन का प्रत्यक्ष कारण है ईंधन पर टैक्स में वृद्धि होना। सरकार के अनुसार यह टैक्स हरित ऊर्जा की ओर संक्रमण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के उद्देश्य से बनाया गया है। हालांकि, देश के बड़े जनसमूह के लिए इस बढ़े हुए टैक्स के वास्तविक परिणाम होगा कि ईंधन की भारी कीमत बढ़ेगी को और रोजमर्रा की ज़िन्दगी और भी कठिन हो जाएगी। इस आंदोलन को “येलो वेस्ट” नाम दिया गया क्योंकि प्रदर्शनकारी फ्लोरोसेंट येलो रंग की जैकेट पहनते हैं जो कानून अनुसार सभी मोटर चालकों को अपनी कारों में ले जाना चाहिए।
विरोध का कारण ईंधन की कीमत में वृद्धि था लेकिन विरोध प्रदर्शन जल्द ही वर्तमान सत्तारूढ़ शासन के खिलाफ बहुत बड़े आंदोलन में बदल गया, हजारों लोग नवंबर के मध्य से अब तक इस आन्दोलन में शामिल हुए हैं। ईंधन पर बढ़े हुए टैक्स को निरस्त करने के सरकार के फैसले ने लोगों के गुस्से को शांत करने में ज्यादा कुछ नहीं कर पाया है क्योंकि पिछले दो महीनों से जनता का विभिन्न मांगों के साथ सड़कों पर बड़ी संख्या में इकट्ठा होना जारी है। आंदोलन इस मायने में भी दिलचस्प रहा है कि इसमें नेतृत्व का कोई एक समूह नहीं था, कोई एक संघ या राजनीतिक दल विरोध का नेत्रित्व नहीं कर रहा था। यह क्रमिक सरकारों के साथ दशकों की लंबी निराशा और 17 नवंबर को ईंधन की कीमतों में वृद्धि दोनों का नतीजा है क्यूंकि इसका सबसे गहरा उन आम लोगों पर है जिनके लिए इस नियम से रोज़ का जीवन और भी कठिन हो जाएगा।
प्रदर्शनकारी पेरिस या अन्य प्रमुख शहरों तक सीमित नहीं हैं। वे फ्रांस के विभिन्न परिधीय शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं, जिनमें महिलाओं और एकल माताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा शामिल है। आन्दोलन का एक बड़ा हिस्सा कम आय वाले नौकरीपेशा लोग रहे हैं, जिनमें सचिव, आईटी कर्मचारी, फैक्टरी कर्मचारी, डिलीवरी कर्मचारी और केयर (care) कर्मचारी शामिल हैं। इस बड़े हिस्से का सड़कों पर आने का कारण है उनकी कम आय जिसके कारण उनको हर महीने का खर्च निकलना भी मुश्किल हो जाता है| इसी कारण इंधन की कीमत में वृद्धि सबसे ज्यादा इस हिस्से को प्रभावित कर रही है|
आंदोलन मुख्य रूप से एक अन्यायी टैक्स प्रणाली के खिलाफ है। मांगों के बारे में आन्दोलन के हितधारकों के बीच मतभेद भी हैं। अधिकांश ईंधन टैक्स को कम करना चाहते हैं, टैक्स प्रणाली की समीक्षा करना चाहते हैं, न्यूनतम वेतन बढ़ाना चाहते हैं और macron द्वारा लाये गए धनी और व्यापार समर्थक आर्थिक कार्यक्रम बदलने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों के एक वर्ग ने यह भी मांग की है कि संसद को भंग कर दिया जाए और macron को हटाया जाए। मैक्रोन परिवर्तन लाने के वादे पर सत्ता में आए थे, क्योंकि वे मौजूदा राजनीतिक दलों से असंबद्ध थे। 1980 के बाद से लोक हितकारी राज्य को ध्वस्त करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी थी जिसके खिलाफ लोगों की असहमति और आक्रोश अब सामने आया है। समाज में बढ़ते तनाव ने अब हजारों लोगों को एक साथ आकर और इन समस्याओं को दूर करने का रूप ले लिया है। यह आंदोलन भविष्य में क्या आकार लेगा यह हमारे सामने आज स्पष्ट नहीं है, लेकिन इसने हमें आश्वस्त किया है कि बढ़ती असमानता जो समाज में प्रभावी है, वह अब गैर चुनौती नहीं सही जाएगी।