न्याय तंत्र किसके हित में

दंगाई व इंस्पेक्टर के हत्यारों को जमानत लेकिन 7 साल से जेल में बंद मारुति मजदूरों की अभी तक जमानत नहीं
★ हत्यारों की जमानत के बाद फूल मालाओं से स्वागत क्योंकि यह मोदी योगी की सरकार है!
एक तरफ 7 साल से जेल में बंद और अन्यायपूर्ण उम्र कैद की सजा भुगत रहे मारुति के 13 मजदूर नेताओं की आज तक जमानत नहीं हुई। सुप्रीम कोर्ट मजदूरों की जमानत याचिका पर कुछ सुनने को भी तैयार नहीं हुआ।
दूसरी तरफ बुलंदशहर में सांप्रदायिक दंगा फैलाने वाले और उस दंगे को रोकने वाले इंस्पेक्टर की हत्या तक करने वाले, पुलिस थाने में तोड़फोड़ करने वाले अपराधियो को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जमानत दे दिया क्योंकि वे सत्ताधारी भाजपा के ‘दुलारे’ ठहरे!
यही नहीं, उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर हिंसा के अपराधी जब जमानत पर जेल से बाहर आए तो भाजपाइयों ने जय श्री राम और वंदे मातरम के नारों के बीच उनका भव्य स्वागत किया, फूलों की माला पहनाई और उनके साथ सेल्फी ली।
ज्ञात हो कि पिछले साल दिसंबर महीने में बुलंदशहर के स्याना के चिंगरावटी गांव में गौकशी की अफवाह फैलाकर हिंसा भड़काई गई थी। इस हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पूरा गांव आगजनी और बवाल की भेंट चढ़ गया था। दंगाइयों ने सरकारी वाहन और पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया था। उस वक़्त उत्तर प्रदेश पुलिस ने 38 लोगों को गिरफ्तार किया था। 38 में से 6 आरोपी जमानत पर रिहा होकर शनिवार को बाहर निकले।

उधर 2012 में मारुति सुजुकी, मानेसर प्लांट में सुनियोजित साजिश की घटना के बाद बेगुनाह 147 मज़दूर गिरफ्तार कर जेलों में डाले गए। करीब ढाई हजार मज़दूरों को बर्खास्त कर दिया गया। 5 साल के लंबे संघर्ष के बाद कुछ मज़दूर बेगुनाह साबित हुए, लेकिन 13 मज़दूर नेताओं को बिना सबूत उम्रक़ैद दे दिया गया। किसी की भी आज तक जमानत नहीं हुई। क्योंकि वे इंसाफ के लिए लड़ने वाले ‘मज़दूर’ हैं।
यही है न्यायतंत्र !