सरकारी विभाग जायेंगे निजी हाथों में

पुराने कर्मचारियों की जगह लेंगे ‘निजी एक्सपर्ट’
हम बीएसएनएल देखते हैं, तो रेलवे के निगमीकरण या निजी रेल सेवा की बात आ जाती है। अभी इसपर सोच रहे होते हैं, तो मज़दूर विरोधी श्रम संहिताओं के पारित होने की ख़बर आती है, या एयर इण्डिया या फिर वनवासियों की बेदखली अथवा स्थाई नौकरी के ख़त्म होने का मसला उभरता है।
दरअसल, कश्मीर, अनुच्छेद-370, मॉब लिंचिंग, पाकिस्तान फ़तह या क्रिकेट के शोर में बहुत सी असल ज़िदगी की ख़बरें ग़ायब रहती हैं। ऐसी ही ख़बर है मोदी सरकार का केंद्रीय कर्मचारियों के लिए जबरिया अवकाश योजना (कंपल्सरी रिटायरमेंट स्कीम), जिसकी जगह लेंगे ‘निजी एक्सपर्ट’!
जी हाँ, मोदी-2 सरकार गठन के तत्काल बाद, विगत 20 जून को केन्द्रिय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने सभी केंद्रीय विभागों को एक नोटिस जारी किया है। इसके तहत 30 साल नौकरी कर चुके अथवा 50 साल उम्र वाले कर्मचारियों का डाटा माँगा गया है, जिसकी समीक्षा होगी। इस आधार पर केन्द्र सरकार के अधीन कर्मियों को जबरिया अवकाश (सीआरएस) देकर कार्यमुक्त किया जाएगा। रेलवे सहित सभी केन्द्र सरकार के विभागों में यह लागू भी हो गया है।
इस दायरे में केन्द्र सरकार के अधीन सचिवालय से लेकर सभी विभागों और निचले स्तर के कर्मचारियों से लेकर प्रमुख सचिव तक आयेंगे।
मजेदार यह है कि इस अघोषित छँटनी के बाद उनकी जगह निजी क्षेत्र के ‘एक्सपर्ट’ रखे जायेंगे! उल्लेखनीय है कि 2014 में पहली बार लायी गयी यह योजना महज ‘अनुत्पादक’ अधिकारियों के लिए थी। पाँच साल में कहीं कोई विरोध ना होने और प्रचण्ड बहुमत मिलने के बाद 20 जून की नोटिस से इसका दायरा बढ़ाकर सभी कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए कर दिया गया।
नोटिस के तहत सभी विभागों को मासिक रिपोर्ट देना होगा कि इस योजना के लिए कितने कर्मियों के नाम प्रस्तावित किये गये हैं। इसमें जिनका नाम आयेगा उन्हें महज 3 माह का नोटिस पे मिलेगा।
साफ है कि रेल, बीएसएनएल सहित सभी सरकारी विभागों को निजी हाथों में सौंपने के साथ केंद्र सरकार सरकारी दफ्तरों का निजीकरण करने की दिशा में आगे बढ़ गई है। प्रचण्ड बहुमत की मोदी सरकार ने पूरे हौसले के साथ निजी क्षेत्र की पटरी पर मोदी-1 कार्यकाल से ज्यादा तेज रफ्तार से दौड़ लगा दी है।
निजी ‘एक्सपर्ट’ की भरती का सीध मतलब केन्द्रीय विभागों को भी निजी हाथों में सौंपना है। यही है ‘मिनिमम गर्वमेंट-मैक्सिमम गर्वनेंस’।